जिनके नाम पर रखा गया चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम... क्या बोला उनका परिवार?

चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम विक्रम साराभाई के नाम पर होने को लेकर कहा उनके बेटे कार्तिकेय साराभाई ने कि यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है. यह गर्व हर देशवासी के लिए है न केवल परिवार के लिए. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट 'नए भारत' को रिप्रेजेंट करता है.

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मल्लिका और कार्तिकेय साराभाई (फाइल फोटो) मल्लिका और कार्तिकेय साराभाई (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 6:12 PM IST

साइंटिस्ट और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक विक्रम साराभाई के बेटे कार्तिकेय साराभाई ने बुधवार को कहा कि चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट 'नए भारत' को रिप्रेजेंट करता है और हर देशवासी को इस पर गर्व है. विक्रम साराभाई को श्रद्धांजलि देते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम 'विक्रम' रखा है. 

चंद्रयान-3 का 'विक्रम' लैंडर चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड हो गया है. भारत ऐसा करने वाला चौथा और चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला दुनिया का पहला देश बन गया है.   

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पर्यावरणविद् कार्तिकेय साराभाई ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा, "यह हम सभी के लिए एक महान दिन है, न केवल भारतीयों के लिए बल्कि विश्व स्तर पर क्योंकि कोई भी चंद्रमा के साउथ पोल तक पहुंचने में सक्षम नहीं था. लोगों ने पहले भी इसके लिए कोशिश की थी, लेकिन असफल रहे." 

वहीं लैंडर का नाम विक्रम साराभाई के नाम पर होने को लेकर कहा कि यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है क्योंकि लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है, लेकिन यह गर्व हम सभी के लिए है क्योंकि यह सभी के लिए है न केवल परिवार के लिए. इस लैंडर के पार्ट्स अलग-अलग लोगों ने तैयार किए हैं. इसलिए इसमें भारत का बहुत बड़ा हिस्सा शामिल है. इसमें पूरे देश के वैज्ञानिक शामिल हैं, यह नए भारत का प्रतिनिधित्व करता है.  

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चंद्रयान-2 विफल नहीं हुआ: कार्तिकेय साराभाई

साराभाई ने कहा कि उनके पिता दूसरों की नकल करने के बजाय हर किसी से सीखने में विश्वास करते थे. उन्होंने कहा, चंद्रयान-2 विफल नहीं है क्योंकि यह अभी भी नवीनतम चंद्रमा मिशन में मदद कर रहा है. साराभाई ने कहा, "जब चंद्रयान-2 का लैंडर नहीं पहुंच सका तो हमारा दिल टूट गया, लेकिन हमने बहुत कुछ सीखा. चंद्रयान 2, चंद्रयान 3 को उतरने के लिए सही स्थान ढूंढने में मदद कर रहा है. इसलिए यह वास्तव में एक सफलता थी क्योंकि हमने अपनी गलतियों से सीखा. हम बना रहे हैं. हमारा अपना रास्ता है क्योंकि हम 2047 की ओर जा रहे हैं. चंद्रयान ने अपना रास्ता खोज लिया है.''   

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विक्रम साराभाई की बेटी ने क्या कहा?

विक्रम साराभाई की बेटी और सामाजिक कार्यकर्ता मल्लिका साराभाई ने कहा कि भारतीय चंद्रमा मिशन पूरी मानवता के लिए एक कदम है. उन्होंने कहा, "मैं प्रयास और विज्ञान में विश्वास करती हूं. मेरा मानना ​​है कि इसरो के वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की है और यह मेरे पिता के सपनों में से एक को पूरा करेगा. उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का सपना देखा था, न कि अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए, न ही यह साबित करने के लिए कि यह कितना महान है, लेकिन यह देखना है कि मानव जाति, मानवता और ग्रह सभी के लिए कैसे बेहतर, सुरक्षित और अधिक सम्मानजनक हो सकते हैं.'' 

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मल्लिका साराभाई ने कहा, "मैं इसे पूरी मानवता के लिए एक कदम आगे के रूप में देखती हूं क्योंकि चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर कोई नहीं उतरा है. यह अकेले भारत के बारे में नहीं है. यह मानव भावना के बारे में है. मुझे लगता है कि मेरे पिता मानव आत्मा के बारे में थे. मेरे पिता और मेरी मां, विज्ञान और कला लोगों के जीवन को बेहतर बनाने, न्याय लाने, खुशी और सम्मान लाने की भाषा थे." 

 

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