"मेरा सपना है कि कॉमर्स इस कदर परिवर्तित हो जाए कि हर तरह के विक्रेता अपने उत्पाद को ओपन नेटवर्क पर समान प्रोटोकॉल के ज़रिए प्रस्तुत करा सके." ये बातें ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) ने ईशा लीडरशिप अकादमी द्वारा आयोजित वार्षिक कार्यक्रम 'ईशा इनसाइट: कामयाबी का डीएनए ' के ग्यारहवें संस्करण के पहले दिन कहीं.
ONDC के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अनेक बायर एप्लीकेशन उपभोक्ताओं को उनके रुझान के अनुसार कुछ ही उत्पादों को उपलब्ध कराते हैं. ग्राहकों की प्राथमिकता के अनुसार, सेवा सुनिश्चित होती है. सही मायने में उपभोक्ताओं के लिए पूरी तरह से ओपन नेटवर्क, यानी एकीकृत सेवाओं समेत ओमनी- चैनल इस तरह के ताकतवर ब्रांडिंग का मोहभंग कर देगा.
देश में लीडरशिप कार्यक्रमों की सूची में लोकप्रियता के पायदान पर अग्रणी माने जाने वाले कार्यक्रम , 'ईशा इनसाइट २०२२' की शुरुआत सद्गुरु के संबोधन के साथ हुई. ईशा फाउंडेशन के संस्थापक , सद्गुरु ने प्रतिभागियों को अपनी विशिष्ट शैली में संबोधित करते हुए बताया कि अगर आप अपने कारोबार को चलाना चाहते हो, तो अपने आप को मुक्ति ' की स्थिति में रखो यानी कोई भी चीज़ तुम्हें छू न सके. काम में पूरी तरह से लिप्त रहो, फिर भी उलझनों से निर्लिप्त. भारतीय अध्यात्म के गूढ ज्ञान को व्यावहारिक रूप से प्रासंगिक बनाते हुए उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत किए. भारतीय अध्यात्म के परम तत्व, मुक्ति के विषय पर सद्गुरु ने कहा कि जो मुक्त होने की जिज्ञासा रखता है, वह साधक कहलाता है. साधक होने के नाते वह न तो किसी चीज़ पर विश्वास करता है, न ही उसे पूरी तरह से नकारता है. स्वयं के अनुभव पर साधना के पथ पर आगे बढता है. उन्होंने अपनी चित परिचित शैली में उस गुण की तुलना एक स्व उद्यमी से की, जो साधक की तरह ही अपने काम में कार्यशील रहता है.
उद्यमी बने रहने और सतत साधना के पथ पर अग्रसर रहने की बात पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा, " स्व उद्यमी बनने का मतलब सिर्फ़ किसी कारोबार को चलाना नहीं होता, अलबत्ता वह काम किसी साधना की तरह होता है. साधक हमेशा समाधान और संभावनाओं को खोजने के लिए तत्त्पर रहता है. अगर आप किसी चीज़ की खोज में नहीं , तो आप उद्यमी नहीं बन सकते."
"जिस समय काल में हम जीते हैं, वह हमारे कार्य का महत्वपूर्ण गुण सूचक होता है." इस बात की अभिव्यक्ति के साथ सद्गुरु ने प्रतिभागियों को सलाह दी कि वे अपने विचारों और भावनाओं की कशमकश से दूरी बनाए रखें ताकि अपने आप अंतरदृष्टि स्पष्ट हो जाए और हर चीज़ साफ़ दिखाई दे. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया, "अगर हम जो कुछ भी कर रहे हैं , उससे दूरी नहीं बनाएंगे, खास कर - वह समय जिसमें हम जीवित हैं, हम वास्तविकता को देख नहीं पाएंगे. ऐसे में हम समय का परिणाम बनकर रह जाएंगे या फिर समय के उत्पीड़न का शिकार.”
दिन भर चले सत्र में आगे एचएलई ग्लासकोट लिमिटेड के मुख्य ट्रान्सफोरमेशनल अधिकारी व निदेशक, अमित कालरा ने कंपनी के रूपांतरण की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला. एक अच्छी कंपनी को और भी बेहतरीन करने की प्रक्रिया के बारे उन्होंने कहा, "किसी भी कंपनी के तीन प्रमुख आधार स्तंभ होते हैं- लोग , निवेशक और ग्राहक. कंपनी को जीवित रखने में तीनों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है."
अगले तीन दिनों तक कार्यक्रम में नामी गिराम दिग्गज वक्ताओं से रू-ब-रू होने का मौका मिलेगा. इस सूची में लद्दाख से आए लोकप्रिय शिक्षाविद तथा पर्यावरणविद, हिमालयन इंस्टीट्यूट ओफ़ एल्टरनेटिव्स के निदेशक सोनम वांगचूक, एस वेंचर्स ग्रूप ( स्नेप डील, यूनीकॉमर्स व स्टेलेरो ) के सह- संस्थापक कुणाल बहल, बंधन बैंक के प्रबंध निदेशक व सीईओ चंद्रशेखर घोष, केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, गो कलर्स ब्रांड के संस्थापक गौतम सरौगी, एक्यूस के चेयरमैन व सीईओ अरविंद मेल्लीगेरी व्यवसायिक क्षेत्र में अपने अनुभव और सीख साझा करेंगे.
इसके अलावा बीस रिरोर्स लीडर को भी चयनित किया गया है, जो कि अपने अपने व्यापार जगत के महारथी हैं. विविध उद्योगों में कार्यरत ये तमाम दिग्गज व्यवसायी और उद्योगपति अनुभवों का नया अध्याय जोड़ेंगे. प्रतिभागियों के लिए एक विशेष अवसर तैयार किया गया है, जहां वे इन रिसोर्स लीडर्स से सीधा संपर्क साध सकेंगे और सलाह - मशवरा ले सकेंगे.
ईशा लीडरशिप की परिकल्पना और संस्थापना सद्गुरू द्वारा ग्यारह वर्ष पहले की गई थी, जिसका एक मात्र लक्ष्य था- सर्वोच्च गुणवत्ता वाली लीडरशिप शिक्षा प्रदान कराना, बाहरी कौशल विकास के संग अंदरूनी स्वास्थ्य को बेहतर बनाना. ईशा लीडरशिप पहल का मकसद लीडरशिप यानी नेतृत्व के गुण को स्वाभाविक और आंतरिक रूप से विकसित करना है, जो सांसारिक रणनीतियों या बह्य तकनीकों से परे हो. इसका प्रेरक सिद्धांत है कि व्यक्ति अपने मन, मस्तिष्क, शरीर और ऊर्जा को नियंत्रित व प्रबंधित करना सीख लें ताकि बाहरी परिस्थितियों व लोगों को संचालित करना आसान हो जाए.
पिछले दशक के दौरान, ईशा इनसाइट: कामयाबी के डीएनए कार्यक्र्म ने अपार ख्याति प्राप्त की है और इसे विश्व का लोकप्रिय लीडरशिप प्रोग्राम माना जाता है. इससे पूर्व अनेक दिग्गज हस्तियों ने इस कार्यक्र्म में उपस्थित होकर इनसाइट कार्यक्र्म को चार चांद लगाए हैं. इनमें से कुछ नाम हैं: रतन टाटा, एन आर नारायण मूर्ति, किरण मजूमदार शॉ , जीएम राव, केवी कामथ , अजय पिरामल, हर्ष मरिवाला, अरुंधति भट्टाचार्य, भाविष अग्रवाल, पवन गोएनका आदि.
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