भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर कई नए बदलाव करता रहता है. अब इसी कड़ी में रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अगले 6 महीने के भीतर 1000 किलोमीटर रेलवे ट्रैक की घेराबंदी करने का फैसला किया है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को ऐलान किया कि रेलवे अपने नेटवर्क के उन हिस्सों में 1,000 किमी की बाउंड्री वॉल बनाएगा, जहां मवेशियों के ट्रेनों से टकराने के अधिकतम मामले दर्ज किए गए हैं.
आधिकारिक डेटा की मानें तो अक्टूबर के पहले 9 दिन में करीब 200 ऐसे मामले सामने आए जहां मवेशियों की टक्कर से ट्रेनें प्रभावित हुईं. वहीं, इस साल अबतक 4000 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि रेल मंत्रालय ट्रैक की सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीरता से काम कर रहा है. इसके लिए दो अलग-अलग डिजाइन को तैयार किए गए हैं. इनमें से एक डिजाइन को मंजूरी मिल चुकी है. उन्होंने कहा कि अगले पांच से छह महीनों में डिजाइन की टेस्टिंग के लिए 1,000 किलोमीटर के ट्रैक की घेराबंदी की जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि पारंपरिक तरीके से बनी बाउंडरी वॉल मवेशियों के ट्रेन से टकराने की समस्या का समाधान नहीं है. इससे ग्रामिणों को परेशानी उठानी पड़ सकती है.
बता दें, उत्तर मध्य रेलवे ज़ोन सबसे अधिक प्रभावित है. जहां 2020-21 में मवेशियों के टकराने के कुल 26,000 मामलों में से 6,500 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. यह दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर के 3,000 किमी ट्रैक और मेजबान भागों को कवर करता है. इसमें आगरा, झांसी और प्रयागराज जैसे डिवीजन शामिल हैं और यहां पूर्व से चलने वाली ट्रेनें भारत के उत्तरी भागों तक जाती हैं.
इससे पहले रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) के मुंबई डिविजन ने मुंबई से गांधीनगर वाले रूट पर बसे आसपास के बहुत सारे गांवों के सरपंचों को चिट्ठी लिखी थी. चिट्ठी में सरपंचों से कहा गया था कि वे अपने मवेशियों को काबू में रखें. वंदे भारत ट्रेन कॉरिडोर के आसपास मवेशियों को भटकने नहीं दिया जाए. यह भी चेतावनी दी गई थी कि अगर मालिकों ने अपने मवेशियों का ख्याल नहीं रखा तो उनके खिलाफ ऐक्शन भी लिया जाएगा.
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