विशालकाय टनल, 35 सैनिकों को ले जा सकने वाली नाव... लद्दाख में चीन को टक्कर देने को तैयार भारतीय सेना

लद्दाख में भारतीय सेना चीन को टक्कर देने की पूरी तैयारी में जुटी है. वहां विशालकाय टनल का निर्माण चल रहा है. इसके अलावा पैंगोंग झील में नए लैंडिंग क्राफ्ट तैनात हुए हैं. ये लैंडिंग क्राफ्ट एकसाथ 35 सैनिकों को ले जाने में सक्षम हैं.

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निर्माणाधीन सेला टनल की तस्वीर निर्माणाधीन सेला टनल की तस्वीर

मंजीत नेगी

  • नई दिल्ली,
  • 15 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:34 PM IST

लद्दाख में गतिरोध फिलहाल भले शांत हो लेकिन चीन ने वहां निर्माण कार्य रोका नहीं है. इसकी काट निकालने के लिए भारतीय सेना ने भी पूरी कमर कसी हुई है. भारतीय सेना लद्दाख में नई सड़कों, टनल को बनाने की तैयारी में जुटी है. इसके साथ-साथ कई निर्माण कार्य पूरे भी हो चुके हैं. रक्षा सूत्रों ने बताया है कि भारतीय सेना ने ईस्टर्न सेक्टर में ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है, जिसमें 450 टैंक और 22 हजार सैनिकों को ठहराया जा सकता है.
 
इसी के साथ पैंगोंग झील, जिसका हिस्सा भारत और चीन दोनों में है. उसमें पेट्रोलिंग को और मजबूत भी बनाया गया है. इसके लिए भारतीय सेना की इंजीनियरिंग टीम ने नए लैंडिंग क्राफ्ट बनाए हैं. इसने पेट्रोलिंग क्षमता को काफी बेहतर किया है. ये लैंडिंग क्राफ्ट एकसाथ 35 सैनिकों को ले जाने में सक्षम हैं.

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स्थाई इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर जोर

रक्षा सूत्रों ने बताया है कि पिछले दो सालों में आवास और तकनीकी भंडारण की स्थिति को और बेहतर किया गया है. ऐसी सुविधाएं विकसित की गई हैं जिनमें 22 हजार के करीब सैनिकों और 450 के करीब वाहनों को रखा जा सके. अब सेना के लिए स्थाई इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर जोर है.

ऐसे निर्माणों के बारे में आजतक ने भारतीय सेना के इंजिनियर इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह से बात की. उन्होंने बताया कि सीमाओं पर स्थायी बचाव निर्माण किये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहली बार 3-डी स्थायी बचाव निर्माण तैयार किए गए हैं. जिनमें सैनिक और वाहनों को रखा जा सकता है. छोटी बंदूकों के साथ-साथ टी 90 टैंक की मुख्य बंदूक के वार का भी इनपर कोई असर नहीं होता है.

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ऐसे निर्माण को 36-48 घंटे में किया जा सकता है. साथ ही साथ इनको एक स्थान से दूसरे स्थान पर रीलोकेट भी किया जा सकता है. पाया गया है कि पूर्वी लद्दाख में इस तरह के निर्माण कारगर हैं.

आगे बताया गया कि चीनी बॉर्डर पर फिलहाल 9 टनल पर काम जारी है. इसमें 2.535 किलोमीटर लंबी सेला टनल भी शामिल है. यह दुनिया की सबसे ऊंची बाई-लेन टनल होगी. ऐसी ही 11 और टनल पर प्लानिंग का काम जारी है.

 

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