देश में जनगणना का 140 साल पुराना इतिहास, वक्त के साथ ऐसे बदले सवाल और दायरा

शुरुआत में जनगणना प्रश्नावली एक बेसिक टूल थी जिसका मकसद जरूरी जनसांख्यिकीय पहलुओं पर डेटा जमा करना था. हालांकि, हर सफल जनगणना के साथ मेथड और कंटेंट को और स्पष्ट किया गया, जो नीतियां बनाने के लिए सरकार की जरूरतों को दिखाता है.

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जनगणना करता कर्मचारी (फाइल फोटो) जनगणना करता कर्मचारी (फाइल फोटो)

बिश्वजीत

  • नई दिल्ली,
  • 01 मई 2025,
  • अपडेटेड 5:30 PM IST

भारत में जनगणना देश के जनसांख्यिकीय ढांचे को समझने का एक आधार रही है. साल 1872 में पहली व्यापक जनगणना से शुरू होने वाली हर दसवर्षीय जनगणना का मकसद विकसित होते सामाजिक तानेबाने को समझना रहा है, जो 1872-2011 के सभी सवालों को देखने के बाद साफ हो जाएगा. सालों से जैसे-जैसे देश बदल रहा है, वैसे-वैसे जनगणना करने तरीके और दायरा भी बदल रहा है.

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पहले शामिल थे जाति से जुड़े सवाल

शुरुआत में जनगणना प्रश्नावली एक बेसिक टूल थी जिसका मकसद जरूरी जनसांख्यिकीय पहलुओं पर डेटा जमा करना था. हालांकि, हर सफल जनगणना के साथ मेथड और कंटेंट को और स्पष्ट किया गया, जो नीतियां बनाने के लिए सरकार की जरूरतों को दिखाता है. आजादी से पहले जाति, जनजाति और नस्ल जैसी पहचान पता करना जनगणना के अभिन्न अंग थे. हालांकि, आजादी के बाद इसमें एक अहम बदलाव आया.

अब जाति के आंकड़ों की संवेदनशील प्रकृति की वजह से इसे मुख्य जनगणना प्रश्नावली से बाहर रखा गया. यह एक विविधतापूर्ण देश में एकता को बढ़ावा देने की कहानी का हिस्सा था. स्वतंत्र भारत (1951 के बाद) में अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को छोड़कर बाकी जातियों की गणना को छोड़ दिया गया.

आजादी के बाद बदला मेथड

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साल 1872 में अंग्रेजों ने जाति/वर्ग को एक सवाल के रूप में जिक्र किया था लेकिन बाद में वर्ग को सवालों से हटा दिया गया. साल 1961 में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को एक ही सवाल की कैटेगरी के रूप में जोड़ा गया, 1951 की जनगणना में इसका जिक्र स्पेशल ग्रुप्स के रूप में किया गया था.

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जनगणना की तकनीकी धीरे-धीरे बदलती रही, ताकि एक जनगणना से दूसरी जनगणना की तुलना में डेटा की सटीकता और गुणवत्ता में सुधार हो सके. हमने 1872 से लेकर 2011 तक की जनगणना की प्रश्नावली निकाली है, जो जनगणना का सबसे अहम फैक्टर है. इससे साफ हो जाएगा कि कैसे देश की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जनगणना को विकसित किया गया है.

1872 की जनगणना में थे 17 सवाल

उदाहरण के तौर पर 1872 में हुई पहली व्यापक जनगणना में नाम, जन्मतिथि, लिंग, धर्म जैसे 17 सवाल पूछे गए थे, जबकि 1951 में आजाद भारत की पहली जनगणना में सवालों की संख्या 14 थी. हालांकि इसमें 13वें सवाल के वैकल्पिक सवाल में 13 और भी सवाल पूछे गए थे. साल 1991 की जनगणना में सवालों की संख्या 23 थी और साल 2001 में 23 सवाल के जवाब मांगे गए थे.

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साल 2011 में हुई सबसे हालिया जनगणना में 29 सवाल पूछ गए थे. इनमें सामान्य सवालों के अलावा मातृभाषा,अन्य भाषाओं की जानकारी, माइग्रेशन, रोजगार और पलायन से जुड़ी वजह से संबंधित सवाल किए गए थे.

अब  केंद्र सरकार ने बुधवार को जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया है, जिसका मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत तमाम दलों ने स्वागत किया है. हालांकि यह जनगणना कब होगी और इसका क्या स्वरूप होगा, इस बारे में सटीक जानकारी नहीं निकलकर आई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इसे लेकर बीते दिन सरकार से कई सवाल पूछे थे.  

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