गुजरात मंत्रिमंडल में BJP ने कैसे साधा जातीय समीकरण

गुजरात कैबिनेट में किन चेहरों को मिला मौका,ओल्ड पेंशन स्कीम से हिमाचल को कैसा नुकसान, भारत-ब्रिटेन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से किसे होगा फायदा, उत्तर प्रदेश में कर्मचारियों के यहां क्यों पड़ रहे GST विभाग के छापे, सुनिए 'दिन भर' में.

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सूरज कुमार

  • ,
  • 12 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:26 PM IST

नए से ज़्यादा पुराने को  मौका क्यों?

 

 

भूपेंद्र पटेल का राजतिलक हो गया है. वो गुजरात के 18वें मुख्यमंत्री बने और इस समारोह के गवाह रहे दो हज़ार से ज्यादा नेता जो शपथग्रहण में मौजूद थे. लगातार सातवीं दफा गुजरात की सत्ता संभाल रही बीजेपी ने इस इवेंट को बड़ा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. समारोह में बीजेपी शासित राज्य के मुख्यमंत्री शामिल हुए, साथ ही घटक दल के नेताओं को मंच पर जगह दी गई. ये शक्ति प्रदर्शन था 2024 लोकसभा चुनाव से पहले मिली रिकॉर्ड जीत का.

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भूपेंद्र पटेल के बाद 16 मंत्रियों ने भी शपथ ली. जिसमें आठ कैबिनेट, दो स्वतंत्र प्रभार और छह राज्य मंत्री शामिल हैं. वहीं विरगाम से विधायक बने हार्दिक पटेल का नाम इसमें शामिल नहीं है. हालांकि उन्होंने कहा था कि उन्हें जो जिम्मेदारी दी जाएगी वो उसका निर्वहन करेंगे. दो रोज पहले हुई बैठक में मंत्रिमंडल का फार्मूला तैयार किया गया था. कहा गया कि आदिवासी इलाकों में भी बीजेपी को स्वीकारा गया है तो एसटी समुदाय को भूपेंद्र कैबिनेट में प्रतिनिधित्व मिल सकता है.

 

 

इसके अलावा भूपेंद्र पटेल खुद पाटीदार समुदाय से आते हैं तो इस वर्ग को भी अच्छी जगह मिल सकती है. इसके अलावा कोली, ब्राह्मण, जैन को भी मंत्रिमंडल में शामिल करने पर चर्चा हुई थी, लेकिन ये चर्चा कितनी अमल में आ सकी, मंत्रिमंडल में किन नामों को शामिल किया गया है, दिन भर में सुनने के लिए क्लिक करें

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OPS खाली कर देगा ख़जाना?

 

 

कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश चुनाव से पहले राज्य की जनता से 10 वादे किए थे. इन्ही वादों में एक था ओल्ड पेंशन स्कीम. इसे लागू करने का वादा था क्योंकि 2003 में एनडीए सरकार ने देश भर से ये ख़त्म कर दी थी. फिर अस्तित्व में आया था National Pension Scheme. अब हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता है औ कल ही सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ओल्ड पेंशन को पहली कैबिनेट बैठक में बहाल करने का एलान कर दिया है.

 

 

 

हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम शुरुआत से ही बड़ा मुद्दा रहा है क्योंकि  राज्य में बड़ी संख्या में सरकारी सेवाओं से रिटायर्ड कर्मचारी रहते हैं. सरकारी आंकड़े के मुताबिक राज्य में एक लाख नब्बे हज़ार रिटायर्ड सरकारी कर्चमारी हैं जो पेंशन का लाभ लेते हैं.

 

 

 

 

हाल ही में कुछ सरकारी यूनियन्स ने भी केंद्र सरकार को इस बाबत चिट्ठी लिखी थी लेकिन केंद्र पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने के पक्ष में है नहीं. हालांकि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारें पहले ही इस स्कीम को लागू कर चुकी हैं और अब हिमाचल प्रदेश भी इस ओर कदम उठाने वाली है, हालांकि अर्थशास्त्र के जानकार कह रहे हैं कि इस फैसले को करना मतलब अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर है, लेकिन सवाल है कैसे, कैसे पुरानी पेंशन योजना के लागू होने से राज्य पर फाइनेनशियल बर्डन आ जाएगा, इसपर भी हम आएंगे लेकिन पहले ओल्ड पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम पर क्लैरीटि ले लेते हैं कि ये दोनों एक दूसरे से अलग कैसे है, दिन भर में सुनने के लिए क्लिक करें.

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फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से हमें क्या फ़ायदा?

 

 

अब बात भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले फ्री एग्रीमेंट की. ऋषि सुनक जब पीएम बने ब्रिटेन के तब कहा गया कि मार्च तक भारत के साथ ब्रिटेन की फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की शुरुआत हो जाएगी और इसी दिशा में बात आगे बढ़ती दिख भी रही है.  यूके की ट्रेड सेक्रेटरी केमी बदेनोच दिल्‍ली पहुंची हैं जहां उनकी मुलाकात भारत के कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल के साथ होगी. इस दौरान दोनों देशों के बीच एफटीए को लेकर छठे दौर की बातचीत होगी. इससे पहले, ऑस्ट्रेलिया-भारत के बीच FTA हो गया है जो 29 दिसंबर से लागू भी हो जाएगा.

 

तो ऑस्ट्रेलिया से Cooperation Agreement के बाद यूके साथ भी एफटीए पर जल्‍द सहमति की उम्‍मीद बढ़़ गई है. माना जा रहा है कि यूके साथ बातचीत में शर्तें लगभग वही होंगी, जो ऑस्‍ट्रेलिया के साथ थीं. केमी बदेनोच ने भी कहा है कि फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का मकसद भारत-यूके के 29 billion pounds trading relationship को बूस्ट करना है.

 

 

 

भारत-ऑस्ट्रेलिया और भारत-जापान एफटीए को छोड़ दें, तो भारत के कमोबेश सभी FTA अन्य विकासशील देश मसलन सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, आसियान, मलेशिया, यूएई के साथ है और अब इस कड़ी में एक और नाम ब्रिटेन का भी जुड़ने वाला है. तो वो कौन कौन से सेक्टर्स हैं जहां फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर इंवेस्ट होने वाला है, दिन भर में सुनने के लिए क्लिक करें.

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GST की छापेमारी में तेज़ी क्यों?

 

 

अब चलते हैं उत्तर प्रदेश जहां के बाज़ारों में रौनक कम है. छोटे और मंझोले कारोबारियों की दुकानें पर शटर गिरे हुए हैं, ताले लटके हैं. वजह है जीएसटी डिपार्टमेंट के ताबड़तोड़ छापे। व्यापारियों में इसे लेकर गहरी नाराज़गी है। एक हफ्ता तक चलने वाले 248 टीमों वाले इस अभियान के छठे दिन भी 71 जिलों में 180 कारोबारियों के यहां छापा पड़ा और उनके लेनदेन की जांच की गई। कल ललितपुर में व्यापारियों ने राज्यमंत्री मनोहर लाल पंथ और बीजेपी विधायक रामरतन कुशवाहा के घर का घेराव किया.

 

 

इन कारोबारियों का कहना था कि सर्वे छापे की आड़ में इंस्पेक्टर राज और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। आरोप ये भी है कि जांच में कुछ टेक्निकल खामियां ज़बरदस्ती निकाली जाती हैं और फिर कार्रवाई का दबाव बनाकर दुकानों को सीज़ करने की धमकी देकर बिना टैक्स एसेसमेंट के पेनाल्टी जमा करने को कहा जाता है. हालांकि इस मामले में व्यापार कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष पुष्पदंत जैन ने जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की तो इन छापों को अगले 72 घंटों के लिए रोक लिया गया.

 

मैनपुरी उप-चुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत के बाद मुखिया अखिलेश यादव ने भी अपने बयान में इन जीएसटी छापों का ज़िक्र करते हुए कहा कि राज्य का व्यापारी परेशान है.

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जीएसटी को लेकर कारोबारी वर्ग की नाराज़गी नई नहीं है... पहले भी जीएसटी टैक्स के बारे में कई बार व्यापारी लामबंद हुए हैं... पर सवाल ये है कि अचानक इस छापेमारी के तेज़ होने की वजह क्या है, क्यों एक साथ 248 टीमें सभी ज़िलों में एक साथ गयीं, औऱ क्या सरकार कारोबारियों की नाराज़गी को देखकर दबाव में आई है जो 72 घंटा की रोक लगी, दिन भर में सुनने के लिए क्लिक करें.

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