गाजियाबादः सड़कों का होगा डिजिटलाइजेशन, अब PINCODE से की जाएगी पहचान

गाजियाबाद के सड़कों को अब नगरपालिका के दस्तावेज में पिन कोड की तरह चार से पांच अंकों की एक पहचान संख्या दी जाएगी. पहला अंक नगर निगम क्षेत्र का होगा, अगले दो से तीन अंक नगर निगम के वार्ड का होगा. इसके बाद गली नंबर होगा.

Advertisement
गाजियाबाद की सड़कों को मिलेगा खास तरह नंबर गाजियाबाद की सड़कों को मिलेगा खास तरह नंबर

तनसीम हैदर

  • गाजियाबाद,
  • 28 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 10:07 PM IST
  • नगर निगम करेगा सर्वे जो सितंबर से शुरू होगा
  • सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार कम करने की कवायद
  • सड़क की गुणवत्ता की पहचान लाल, पीले और हरे रंग से

कोरोना संकट के बीच गाजियाबाद में सड़कों की पहचान बदलने जा रही है और जल्द ही जिले की सड़कों को स्थायी पहचान संख्या (PIN-CODE) से पहचाना जाएगा. डाक विभाग के पोस्टकोड की तरह, जोन में सड़कों का नंबर नगर निगम द्वारा निर्धारित डिजिटल कोड में जाना जाएगा.

इस डिजिटल संख्या के आधार पर सड़कों को जाना जाएगा और इसका रिकॉर्ड नगर निगम के कंप्यूटर में फीड किया जाएगा. साथ ही नगर निगम के इस प्रयास से सड़क निर्माण कार्य में होने वाले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा भविष्य में यह भी पता लगाना आसान हो जाएगा कि सड़क कब बनी थी और इसे बनाने के लिए कितना खर्च किया गया था.

Advertisement

अब तक, परंपरागत रूप से नगर निगम के निर्माण विभाग में फाइलें रखी जाती थीं, लेकिन अब भविष्य में ऐसा नहीं होगा. हर सड़क को नगरपालिका के दस्तावेज में पिन कोड की तरह चार से पांच अंकों की एक पहचान संख्या दी जाएगी. पहला अंक नगर निगम क्षेत्र का होगा, अगले दो से तीन अंक नगर निगम के वार्ड का होगा. इसके बाद गली नंबर होगा.

इन सभी को जोड़कर जो संख्या (कोड) बनाई जाएगी, उसे उस सड़क की पहचान संख्या कहा जाएगा.

भ्रष्टाचार रोकने में मदद मिलेगीः नगर आयुक्त 
गाजियाबाद के नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने कहा कि सड़कों को नंबर देने के पीछे उद्देश्य शहर में सड़कों के निर्माण में भ्रष्टाचार को रोकना है. यह प्रथा सालों से चली आ रही है कि गलियों में सड़क के निर्माण का प्रस्ताव तथा पहले और अंतिम घर के मालिक का नाम टेंडर में लिखा गया है.

Advertisement

उदाहरण के लिए, एक गली के बाईं ओर पहला घर राकेश का है और आखिरी घर महेश का है, फिर इस गली में सड़क बनाई जाएगी. आधिकारिक फाइल में लिखा जाता था कि राकेश के घर से महेश के घर तक सड़क का निर्माण किया गया.

इसे भी पढ़ें --- ED को जया साहा ने बताया-सुशांत डिप्रेशन में थे, इसलिए कहा था CBD ऑयल ले लो!

उन्होंने कहा कि कई बार यह देखा गया है कि कुछ समय बाद उसी गली के बाईं ओर रहने वाले पहले और आखिरी घर के मालिक का नाम लिखकर सड़क का निर्माण फिर से फाइलों में दिखाया जाता है. लेकिन अब सड़कों की पहचान संख्या देने से भ्रष्टाचार को काफी हद तक रोका जा सकेगा. सड़कों के सीमांकन का निर्धारण करने के लिए एक सर्वेक्षण किया जाएगा. इसको सीमांकित करना आवश्यक है. सीमांकन पर सड़क की लंबाई निर्धारित की जाएगी. उसका शुरुआती और अंतिम बिंदु तय किया जाएगा. इसके लिए नगर निगम सर्वे करेगा. इस साल सितंबर से सर्वे शुरू किया जाएगा.

सड़कों का कलर कोड
नगर आयुक्त ने यह भी कहा कि टूटी सड़कों की पहचान करने के लिए नगर निगम सड़कों को रंग कोड (कलर कोड) देगा. इससे निगम के अधिकारियों के लिए यह तय करना आसान हो जाएगा कि धन की उपलब्धता के आधार पर पहले किन सड़कों को दुरुस्त किया जाना चाहिए.

Advertisement

इसे भी पढ़ें --- CBI के पूर्व ज्वाइंट डायरेक्टर बोले- अभी गिरफ्तार नहीं होगी रिया चक्रवर्ती

निगम अधिकारियों के अनुसार, टूटी सड़क की मरम्मत होते ही रंग कोड बदल जाएगा. निगम की आंतरिक व्यवस्था के लिए यह पहल की जा रही है. गलियों में रंग कोड लाल होगा. वहीं, जर्जर सड़क जो पांच साल से अधिक पुरानी हैं, वे लाल रंग की होंगी.

पांच साल से अधिक पुरानी अच्छी सड़कें पीले रंग के साथ होंगी. एक से पांच साल तक की जर्जर सड़क को पीला रंग स्टार के साथ दिया जाएगा. जबकि एक साल पहले बनी सड़क को हरा रंग दिया जाएगा. यदि नगर निगम का यह प्रयास सफल होता है, तो यह अन्य शहरों के लिए भी प्रेरणादायक हो सकता है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement