शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों ने फिलहाल अपना दिल्ली मार्च स्थगित कर दिया है, जिसके बाद अब प्रदर्शनकारी किसान आज अपना आगे का प्लान बताएंगे. उनका कहना है कि कल (8 दिसंबर) हुए प्रदर्शन में पुलिस ने आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियां बरसाईं, जिसमें 6-8 किसान घायल हो गए और एक घायल को पीजीआई, चंडीगढ़ रेफर किया गया है.
बता दें कि शंभू बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी है. आज इस मामले में सुप्रीम हुई. जिसमें कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें शंभू बॉर्डर सहित सभी हाईवे को खोलने के निर्देश केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकार को देने की मांग की गई है.
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा,'शंभू में आंदोलन को 302 दिन पूरे हो चुके हैं. मोदी सरकार की नीति ऐसी है कि सरकार उलझन में है कि उनका फैसला क्या है. आज खट्टर ने कहा कि किसानों को दिल्ली जाने से कोई नहीं रोक रहा है और दिल्ली जाने के कई रास्ते हैं. जबकि सरकार और अधिकारियों का कहना है कि किसानों को दिल्ली जाने की अनुमति नहीं है. रवनीत बिट्टू कहते हैं कि पैदल आइए. कुल मिलाकर भारत सरकार उलझन में है. भाजपा नेतृत्व के बयान एक-दूसरे से अलग-अलग हैं. हमारे साथ दुश्मन देश के लोगों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. हमने कहा कि हम पैदल जाएंगे और हमें पीएम के दौरे से कोई लेना-देना नहीं है. अब हम खनौरी बॉर्डर जा रहे हैं. मोर्चा की स्थिति और 14 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे जगजीत डल्लेवाल की हालत देखिए. कल किसान मार्च नहीं करेंगे. डल्लेवाल से मीटिंग के बाद अंतिम फैसला लेंगे.' बता दें कि 4.30 बजे किसान प्रेस कांफ्रेंस करेंगे.
(इनपुट: असीम बस्सी)
बता दें कि इस जनहित याचिका में शंभू बॉर्डर समेत सभी हाईवे को खोलने के लिए केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि इस तरह हाईवे को अवरुद्ध करना लोगों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है. ये भी कहा गया था कि ये नेशनल हाइवे एक्ट और BNS के तहत भी अपराध है. ऐसे में हाईवे को रोकने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए.
(इनपुट: कनु सारदा/संजय शर्मा)
शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन से हाईवे जाम के मामले पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा है कि अदालत इस मामले पर पहले ही सुनवाई कर चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये मामला उसके संज्ञान में है. पहले से एक मामला सुप्रीम कोर्ट में ही पेंडिंग हैं.
(इनपुट: कनु सारदा/संजय शर्मा)
एक दिन पहले यानी 8 दिसंबर को किसानों का जत्था दोपहर के समय शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर बढ़ा था, लेकिन हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों के लगाए गए मल्टी लेयर बैरिकेडिंग पर किसानों को रोक दिया गया. प्रदर्शनकारी किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे गए और बैरिकेड्स पर पहुंचने के बाद उन्हें तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें भी की गईं.
सुप्रीम कोर्ट किसान आंदोलन को लेकर जो याचिका लगाई गई है, उसमें कहा गया है कि इस तरह हाईवे को ब्लॉक करना लोगों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है. ये नेशनल हाइवे एक्ट और भारतीय न्याय संहिता यानी BNS के तहत भी अपराध है. याचिका में ये गुहार भी लगाई गई है कि सुप्रीम कोर्ट प्रदर्शनकारी किसानों को हाईवे से हटाने के निर्देश दे.