कर्नाटक के धर्मस्थल में कथित सामूहिक दफन मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है. एक पूर्व सफाई कर्मचारी चिन्नय्या ( जिसे मास्क मैन के नाम से भी जाना जाता है) जो इस मामले में शिकायतकर्ता था, अब खुद आरोपी बन गया है. मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने उसके खिलाफ जालसाजी और झूठे सबूत पेश करने के आरोप जोड़े हैं. बेल्थांगडी कोर्ट में चिन्नय्या द्वारा पेश की गई खोपड़ी और हड्डियों के आधार पर दर्ज प्राथमिकी (FIR) में अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) की 10 धाराओं को जोड़ा गया है.
दरअसल, चिन्नय्या ने दावा किया था कि उसने 1995 से 2014 के बीच मंदिर प्रशासन के दबाव में सैकड़ों शवों को दफनाया या जलाया, जिनमें से कई महिलाओं और नाबालिगों के शव शामिल थे, जिन पर यौन हिंसा के निशान थे. उसने 11 जुलाई को बेल्थांगडी कोर्ट में एक खोपड़ी और कुछ हड्डियां पेश कीं और दावा किया कि ये एक ऐसी महिला के अवशेष हैं जो यौन हिंसा का शिकार हुई थी. हालांकि, फॉरेंसिक जांच में इन दावों को झूठा पाया गया.
SIT के सूत्रों के अनुसार, पेश की गई खोपड़ी और हड्डियां एक पुरुष की थीं, ना कि किसी महिला की. इसके बाद SIT ने चिन्नय्या को 23 अगस्त 2025 को पेरजरी (झूठी गवाही) और झूठे सबूत पेश करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद अदालत ने उसे 10 दिनों की SIT हिरासत में भेजा दिया.
UDR की जारी है जांच
पुलिस सूत्रों ने बताया कि मूल शिकायत पर दर्ज FIR में कोई बदलाव नहीं किया गया है और सामूहिक दफन, लापता व्यक्तियों के मामलों और अप्राकृतिक मृत्यु रजिस्टर (UDR) की जांच अभी-भी जारी है. नई धाराएं चिन्नय्या द्वारा बेल्थांगडी अदालत में पेश खोपड़ी से संबंधित हैं और उन्हें उसी एफआईआर में शामिल किया गया है और अब पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की 10 धाराओं के तहत अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है.
पुलिस ने मामले में जोड़ी ये धाराएं
क्या है मामला
बता दें कि चिन्नय्या ने जुलाई में धर्मस्थल में कथित हत्याओं और सामूहिक दफन की शिकायत के बाद शुरू हुई जांच ने पूरे देश को झकझोर दिया था. पुलिस ने चिन्नय्या के दावों के आधार पर 13 साइटों पर खुदाई शुरू की थी, जिनमें से 11 स्थानों की खुदाई 4 अगस्त 2025 तक पूरी हो चुकी थी. नौ स्थानों पर कोई मानव अवशेष नहीं मिले, जबकि एक स्थान पर आंशिक कंकाल और दूसरे स्थान पर एक खोपड़ी और हड्डियां मिलीं. हालांकि, फॉरेंसिक जांच में इन अवशेषों को पुरुष का बताया गया, जिसने चिन्नय्या के दावों पर सवाल खड़े किए.
शिकायतकर्ता ( जो कि अब आरोपी है) ने दावा किया था कि वह 1995 से 2014 तक धर्मस्थल में सफाई कर्मचारी के रूप में काम करता था और उसे प्रभावशाली लोगों के दबाव में शवों को दफनाने या जलाने के लिए मजबूर किया गया. उन्होंने कहा कि वह अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए 2014 में धर्मस्थल छोड़कर पड़ोसी राज्य में छिप गया था और उसने अपनी गवाही में कई चौंकाने वाले दावे किए, जैसे कि नेत्रावती नदी के किनारे शवों को देखना, जिनमें से कई पर यौन हिंसा के निशान थे.
सगाय राज