चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियरी में कहा कि 'न्याय देना एक अनिवार्य सेवा है'. पिछले दशक में किए गए प्रयासों ने हमारी न्यायपालिका को आधुनिक बनाया है. उन्होंने कहा कि अभी एक दिन पहले ही हमने 20 शिशुओं से 100 शिशुओं तक की क्षमता बढ़ाने वाले एक नए शिशुगृह का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि हमें सुनिश्चित करना होगा कि हमारी अदालतें समाज के सभी वर्गों को सुरक्षित माहौल प्रदान करें.
'लंबित मामले बड़ी चुनौती'
सीजेआई ने कहा, 'हमारा मौजूदा नेशनल एवरेज डिस्पोजल रेट 95 प्रतिशत है, बावजूद इसके कि लंबित मामलों में प्रगति एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. डिस्पोजल से फाइलिंग के अनुपात को बढ़ाने के लिए कुशल पेशेवरों को काम पर रखना जरूरी है.'
उन्होंने कहा, 'जिला स्तर पर, न्यायिक कर्मियों की रिक्तियां 28% और गैर-न्यायिक कर्मियों की रिक्तियां 27% हैं. रिक्तियों को भरने के लिए सम्मेलन में विचार-विमर्श किया गया है.'
'सभी वर्गों के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करना होगा'
सीजेआई ने कहा, 'लंबित मामलों को कम करने के लिए गठित समिति ने तीन चरणों में एक एक्शन प्लान तैयार किया है. हाल ही में लोक अदालत के दौरान लगभग 1000 मामलों का निपटारा किया गया.' उन्होंने कहा कि हमें इस तथ्य को बदलना होगा कि जिला स्तर पर केवल 6.7% कोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर महिलाओं के अनुकूल है.
सीजेआई ने कहा, 'हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हमारा न्यायालय समाज के सभी वर्गों, विशेषकर महिलाओं और अन्य कमजोर समूहों, जैसे दिव्यांगजन, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति आदि के लोगों को सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान करे.'
सृष्टि ओझा