चीन अब नागरिकों के डीएनए में झांक रहा है. चीन में बढ़ते जेनेटिक प्रोफाइल डेटाबेस को लेकर कई लोग चिंतित हैं. इसने गोपनीयता (प्राइवेसी) को लेकर फिर बहस शुरू कर दी है. चीनी सरकार के जीनोमिक डेटाबेस में करीब 140 मिलियन (14 करोड़) प्रोफाइल हैं, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा डीएनए डेटाबेस बनाते हैं. खुफिया एजेंसियों को डर है कि चीन अपनी किस्म के अकेले इस डेटाबेस का कैसे फायदा उठाएगा?
आइए कुछ अतीत में चलते हैं. 2003 में, चीन के पब्लिक सिक्योरिटी मंत्रालय ने डीएनए डेटाबेस बनाने पर काम शुरू किया. इसमें संदिग्धों और अपराधियों के डीएनए सैम्पल थे. फिर इसका धीरे धीरे विस्तार करते हुए चीन के अल्पसंख्यकों के साथ-साथ बहुसंख्यक नागरिकों तक भी बढ़ा दिया गया, जो संदिग्ध या अपराधी नहीं थे, बल्कि सामान्य नागरिक थे. 2013 में, चीनी सरकार ने तिब्बत और शिनजियांग के जातीय अल्पसंख्यक समुदायों के डीएनए सैंपल लेना शुरू कर दिया. वो भी बिना किसी आपराधिक जांच की जरूरत और बिना इन समुदायों की पूर्व अनुमति लिए हुए.
2013 में, चीनी सरकार ने निवासियों के लिए नि:शुल्क वार्षिक शारीरिक जांच की पेशकश के बहाने तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) में लोगों से बायोमेट्रिक सैंपल लेना शुरू किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, लगभग 80 प्रतिशत यानी 30 लाख लोग इस प्रक्रिया में शामिल थे. 2016 में शिनजियांग में भी ऐसा किया गया. जहां करीब करीब क्षेत्र के सभी 23 मिलियन (2 करोड़ 30 लाख) लोगों का डेटा एकत्र किया गया.
तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट में डिजिटल सिक्योरिटी प्रोग्राम डायरेक्टर लोबसांग ग्यात्सो सिथेर ने चीन और तिब्बत में जीनोमिक सर्विलांस पर खास बातचीत के दौरान हमें बताया, "तिब्बत सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड डेमोक्रेसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जेनेटिक सैंपल्स का कलेक्शन तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) में पूरा हो गया है, हालांकि, टीएआर के बाहर तिब्बत में डेटा के संग्रह की स्थिति स्पष्ट नहीं है. और, मैपिंग प्रक्रिया किस स्तर पर है, इस सवाल का जवाब अज्ञात है.”
विस्तार के पीछे क्या है सोच?
शिनजियांग और तिब्बत में, डीएनए कलेक्शन अकेला ही नहीं था. मल्टीमॉडल एप्रोच में लोगों के हाई डेफिनेशन फोटो, वायस सैंपल, फिंगरप्रिंट्स और लोगों के आईरिस (आंखों की पुतली) के स्कैन शामिल थे जो अंततः उन लोगों के पुलिस डेटाबेस में व्यक्तिगत जानकारी से जोड़े गए. ये सब कुछ लोगों की सहमति लिए बिना और बिना किसी तर्क किया गया.
इस डेटाबेस से अल्पसंख्यकों की 360 डिग्री की निगरानी करना संभव है. इसे सुरक्षा कैमरों के बड़े सिस्टम और स्थानीय परिवारों की गहन निगरानी के साथ जोड़ा गया. इन अभ्यासों की सफलता ने पूरे चीन में इसके विस्तार को प्रोत्साहित किया. 9 नवंबर, 2017 को, पब्लिक सिक्योरिटी मंत्रालय ने झेंगजोऊ में एक बैठक बुलाई. इसमें राष्ट्रव्यापी Y-STR - शॉर्ट टेंडम रिपीट या यूनिक डीएनए सीक्वेंसेस (जो कि पुरुष (Y) क्रोमोसोम्स पर होती हैं) से जुड़े प्लान पर विचार किया गया.
चीन में आम नागरिकों के डीएनए प्रोफाइलिंग के निहितार्थ के बारे में हमने टोरंटो यूनिवर्सिटी में डॉक्टोरल कैंडिडेट एमिल डिर्क्स से बात की. वे ‘ ASPI रिपोर्ट ऑन जीनोमिक सर्विलांस’ के लेखकों में से एक हैं. डिर्क्स ने कहा “चीन के सत्तावादी राजनीतिक तंत्र के तहत, राजनीतिक असंतोष एक अपराध है. चीन का पब्लिक सिक्योरिटी मंत्रालय दो भूमिकाएं निभाता है: सामाजिक स्थिरता बनाए रखना और कम्युनिस्ट पार्टी के शासन की निरंतरता को सुनिश्चित करना. इस अर्थ में, चीन में "इफेक्टिव पुलिसिंग" का अर्थ है राजनीतिक असंतोष का उन्मूलन. गैर-राजनीतिक अपराधों की जांच के अलावा, जीनोमिक निगरानी की इस नई प्रणाली का यह इस्तेमाल किया जा सकता है.”
डिर्क्स का शोध चीन में पुलिसिंग, ड्रग्स, हिरासत और सर्विलांस पर केंद्रित है.
डिर्क्स ने कहा, “चीनी नागरिकों को पुलिस तब भी उत्पीड़ित कर सकती है, जब उनके कथित अपराध गैर-राजनीतिक हों. चीन की सत्तावादी राजनीतिक प्रणाली के कारण, पुलिस पर कम संस्थागत दबाव है, जो कि राजनीतिक तौर पर खुले शासन में मौजूद हो सकती हैं. इसलिए यह संभावना है कि चीन की पुलिस जीनोमिक निगरानी के इस नए कार्यक्रम का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र होगी. इससे चीनी समाज पर पब्लिक सिक्योरिटी मंत्रालय का कब्जा और गहरा होगा.”
जीनोमिक सर्विलांस के लिए कॉर्पोरेट मदद
बायोमेडिकल और बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री जीनोमिक सर्विलांस के लिए सिस्टम की मजबूती के लिए काफी कोशिश कर रही हैं, इसलिए आर्थिक रूप से इसे काफी फायदा हो रहा है. शीर्ष चीनी और बहुराष्ट्रीय कंपनियां डीएनए सैंपल्स को इकट्ठा करने और उनका विश्लेषण करने के लिए आवश्यक उपकरण और बौद्धिक संपदा के माध्यम से चीनी सुरक्षा एजेंसियों को तार्किक और तकनीकी सहायता प्रदान कर रही हैं.
अमेरिका की बायोमेडिकल और बायोइनफॉरमैटिक्स कंपनी ‘थर्मो फिशर साइंटिफिक’ को शुरुआती वर्षों के दौरान अहम प्लेयर बताया गया था. थर्मो ने दर्जनों चीनी कंपनियों के साथ, इस तरह के अभ्यासों को पूरा करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई. कई अमेरिकी सांसदों और मानवाधिकार समूहों ने इन कॉरपोरेट्स के खिलाफ अपनी चिंताएं जताई हैं.
साथ ही शिनजियांग और तिब्बत जैसे क्षेत्रों में उनके सॉल्यूशन्स और प्रोडक्ट्स के निहितार्थों के खिलाफ आवाज उठाई है. सार्वजनिक और सरकारी दबावों के कारण, 2019 में थर्मो फिशर साइंटिफिक इंक ने कहा कि वह अब चीन के शिनजियांग के ज्यादातर मुस्लिम क्षेत्रों में जेनेटिक सीक्वेंसर नहीं बेचेगी या सर्विस नहीं देगी.
संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) और अन्य खुफिया एजेंसियों की लंबे समय से चिंताएं हैं कि चीन डीएनए डेटाबेस का इस्तेमाल जैव हथियार विकसित करने में कर सकता है जो विशिष्ट आबादी या व्यक्तियों को मारने के काम आ सके. उन्हें डर है कि यह एक टारगेटेड नरसंहार हो सकता है.
दो साल पहले, एजेंट एड यू ने "सेफगार्डिंग द बायोइकॉनॉमी" पर एक अमेरिकी आयोग को बताया कि एफबीआई का ‘वेपन्स ऑफ मास डेस्ट्रक्शन डायरेक्टोरेट’ ऐसे उपायों पर काम कर रहा है जिससे कि प्रतिकूल तत्वों को ऐसी प्रौद्योगिकी और सामग्री प्राप्त करने से रोका जो सके, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता पैदा करती हों.
एजेंट यू ने जीनोमिक्स और जेनेटिक मैपिंग के क्षेत्र में चीनी साझेदारों के साथ काम करने वाली अमेरिकी कंपनियों के बारे में फिक्र जताई. जिनका उद्देश्य विशिष्ट जेनेटिक टाइप्स को लक्षित करने वाली नई दवाएं विकसित करना है. उन्होंने अमेरिकी डीएनए डेटा की बड़ी मात्रा के चीन को प्रेषित होने के खतरे को लेकर भी फिक्र जताई. ये फिक्र चीनी नॉन स्टेट एक्टर्स की ओर से अमेरिकी हेल्थ डेटाबेस की बड़े पैमाने पर हैंकिंग से जुड़ी रिपोर्ट्स को लेकर थीं. इस तरह की चिंताओं ने अमेरिकी सीनेटर्स- चार्ल्स ग्रासले और मार्को रूबियो को विचलित किया. उन्होंने अमेरिकी हेल्थ डिपार्टमेंट को लिखित रूप में जीनोमिक डेटा के ऐसी कंपनियों की ओर से इकट्ठा करने पर चिंता जताई जिनका जुड़ाव अमेरिका से है.
एमिल डिर्क्स ने कहा, "सामान्य तौर पर, मेरा मानना है कि किसी भी कंपनी या अनुसंधान संस्थान का कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करे कि उनकी गतिविधियां मानवाधिकारों के हनन में योगदान न करें. चीन में पुलिस दमन और जीनोमिक निगरानी के बारे में हम क्या जानते हैं, इसे देखते हुएयह निश्चित रूप से उस देश में काम करने वाली किसी कंपनी या शोधकर्ता के साथ केस होगा.”
डीएनए सर्विलांस की मेथेडोलॉजी
तिब्बत और शिनजियांग में अपनाई गई थोक एप्रोच के विपरीत, चीनी अधिकारी देश के अन्य हिस्सों में अलग रणनीति अपना रहे हैं. वहां शॉर्टलिस्टेड पुरुषों के डीएनए सैंपल्स इकट्ठा करके लागत प्रभावी पद्धति को अपनाया जा रहा है. इस विशिष्ट और लक्षित एप्रोच के तहत Y-STAR डेटा, पुरुष (Y) क्रोमोसोम्स पर खास डीएनए सीक्वेंस को एकत्र किया जाता है.
यह डेटा सुरक्षा एजेंसियों को किसी भी व्यक्ति के डीएनए सैंपल्स को विशिष्ट परिवार या किसी व्यक्ति के साथ जोड़ने में सक्षम बनाता है. अधिकारी इससे पीढ़ियों तक फैले परिवार के ट्री चार्ट्स भी बना सकते हैं.
ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ASPI) की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2017 के अंत से, पूरे चीन अधिकारियों ने देश की पुरुष आबादी के 5-10 प्रतिशत या लगभग 35-70 मिलियन लोगों से डीएनए नमूने एकत्र करने की शुरुआत की.
ऑटोसोमल STR डेटा के विपरीत, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के डीएनए में मौजूद है, Y-STR केवल पुरुष डीएनए में पाए जाते हैं. यह पिता से पुत्र तक सीधे पास किया जाता है और यह पीढ़ी दर रीकॉम्बिनेशन से नहीं गुजरता है. इसलिए, वे रैंडम म्युटेशन्स के अलावा बहुत कम विभिन्नता दिखाते हैं. यह उन पुरुषों की पहचान करने और उन्हें जोड़ने में मदद करता है जो एक ही परिवार के पुरुष के Y-STR प्रोफ़ाइल को साझा करते हैं. इन्हें मजबूत सर्विलांस डेटा और परिवार की जानकारी के साथ मिलाएं, तो कोई आसानी से डीएनए नमूनों को एक असल व्यक्ति से जोड़ सकता है. इसलिए, यह एक क्षेत्र के सभी निवासियों से नमूने एकत्र करने की तुलना में अधिक लागत प्रभावी एप्रोच है.
रिपोर्ट्स से संकेत मिलता है कि हेनान प्रांत के अधिकारियों ने प्रांत की कुल पुरुष आबादी के केवल 10 प्रतिशत से Y-STR सैंपल्स जमा करके प्रांत की कुल पुरुष आबादी के 98.71 प्रतिशत जेनेटिक कवरेज को हासिल कर लिया. अन्य प्रांतों में भी ऐसा ही देखा गया.
सामान्य नागरिकों और अल्पसंख्यकों के डीएनए का बिना अनुमति बड़े पैमाने पर लिया कलेक्शन खुले तौर पर मौजूदा चीनी घरेलू कानूनों और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन करता है. वो कानून जो मानव जेनेटिक डेटा के संग्रह, उपयोग और भंडारण को नियंत्रित करते हैं.
बायोमेट्रिक और डीएनए की जानकारी के दुरुपयोग पर लोबसांग ग्यात्सो ने कहा, "मेरा मानना है कि किसी भी डेटा संग्रह के साथ, दुरुपयोग की संभावना जुड़ी होती है. हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करता है कि किस तरह की प्रक्रिया और नीतियां लागू होती हैं जिससे डेटा का दुरुपयोग नहीं किया जा सके.
चीन के मामले में, ऐसी कोई प्रकिया या नीतियां लागू नहीं हैं. चीनी बौद्धिक संपदा (एआई) के एक बूस्टर, काई-फू ली के शब्दों में, तर्क दिया है कि चीन को एआई विकसित करने में फायदा है क्योंकि इसके नेताओ का "कानूनी पेचीदगियों" या "नैतिक सहमति" से कम लेना देना है.
शिनजियांग और तिब्बत पर कैसे असर?
चीनी सरकार की ओर से सरकार के आलोचकों और उनके परिजनों को धमकाने और उनके खिलाफ हिंसा का रिकार्डेड इतिहास रहा है. यही बात आर्थिक अपराध के आरोपियों और अल्पसंख्यक क्षेत्रों में उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने वालों के लिए भी कही जा सकती है.
शिनजियांग, तिब्बत और अब इनर मंगोलिया सभी चीनी सरकार द्वारा लक्षित उत्पीड़न देख रहे हैं. इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स और द न्यूयॉर्क टाइम्स की ओर से हासिल लीक दस्तावेज से पता चलता है कि शिनजियांग में अधिकारियों ने क्षेत्र के ‘रीएजुकेशन शिविरों’ में बंदियों के परिजनों के बारे में जानकारी एकत्र की है.
किसी बंदी की रिहाई उसके परिजनों के बर्ताव पर सशर्त होती है. जो लोग रडार पर रहते हैं, उनके परिवार और रिश्तेदारों को नियमित रूप से स्थानीय पुलिस अधिकारियों की ओर से यातनाएं दी जाती हैं. पुलिस अधिकारियों के पास Y-STR डेटाबेस तक सीधी पहुंच है जिसमें लोगों के बायोमेट्रिक नमूने और डीएनए की जानकारी है. इससे पुलिस को उन लोगों पर असंतुष्ट होने या एक्टिविस्ट होने की मुहर लगाने में आसानी रहती है. इससे एक्टिविस्ट्स और अल्पसंख्यकों के नागरिक और मानवाधिकारों पर और चोट पहुंच रही है.
डीएनए फेनोटाइपिंग एक नई और आनेवाली विधि है जो जांचकर्ताओं को किसी अज्ञात नमूने की जैव-भौगोलिक विशेषताओं का अनुमान लगाने में मदद करती है, जैसे कि बालों और आंखों का रंग, त्वचा का रंग, भौगोलिक स्थान, और उम्र आदि. उसी के मुताबिक उन्हें उइगर या तिब्बतियों के रूप में टैग किया जा सके. दुनिया भर के वैज्ञानिकों और समूहों ने चेतावनी दी है कि इस तरह की तकनीकों से पहले से ही उत्पीड़ित समाज में जातीय भेदभाव बढ़ेगा.
एमिल डिर्क्स कहते हैं कि "इस बात के सबूत हैं कि चीनी शोधकर्ता, चीन में सभी जगह सार्वजनिक सुरक्षा ब्यूरो के प्रतिनिधियों के साथ काम कर रहे हैं. साथ ही तिब्बतियों और उइगरों की पुलिसिंग से जुड़ी नई फॉरेंसिक तकनीकों का पता लगाने में जुटे रहते हैं.”
कानूनों और नियमों का कैसे हो रहा है उल्लंघन?
1. कानूनी उल्लंघन:
मौजूदा चीनी कानून इस तरह के संग्रह और जेनेटिक डेटा के उपयोग की अनुमति नहीं देते हैं. यह जेनेटिक डेटा के उपयोग से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कानूनों और नियमों का भी उल्लंघन करता है.
2015 में, कुवैत ने अपनी पूरी आबादी के डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए एक कानून पारित किया. कुवैत में रहने वाले विदेशी और यहां तक कि आगंतुकों को भी शामिल किया जाना था. कुवैत की संवैधानिक अदालत ने दो साल बाद 2015 के कानून को रद्द कर दिया, क्योंकि इस बारे में चिंताएं सामने आईं कि निजता के उल्लंघन में डेटाबेस का उपयोग कैसे किया जा सकता है. इसी तरह की एक घटना केन्या में भी हुई थी जहां उच्च न्यायालय की ओर से डीएनए प्रोफाइल को बायोमीट्रिक डेटाबेस से बाहर करने के लिए कहा गया था.
2. बिना सहमति लिए कलेक्शन:
बिना अनुमति कलेक्शन और जेनेटिक- बायोमेट्रिक जानकारी का उपयोग नागरिकों की गोपनीयता या निजता को भंग करता है. चीन में अल्पसंख्यकों या व्यक्तियों के खिलाफ इस तरह की जानकारी का दुरुपयोग किया जा सकता है.
बेल्जियम के लेउवेन में कैथोलिक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और जेनेटिसिस्ट यव्स मोरियू ने जीनोमिक सर्विलांस पर एनपीआर के स्कॉट साइमन से बात की.
उनका कहना है, "मैं इस बारे में बहुत चिंतित हूं क्योंकि इतिहास में, यदि आप 20 वीं सदी के पहले भाग में देखें, तो जर्मन और फिर रवांडा और बुरूंडी में बेल्जियम के उपनिवेशवादी असल में वहां गए थे, और वे नस्ल और विचारों के साथ छद्म वैज्ञानिक विचारों का इस्तेमाल कर रहे थे. और लोगों को एक विशेष जातीयता से जोड़ रहे थे. यह नरसंहार का एक अहम कारक था. और मध्यावधि में इसके जोखिम वास्तव में चिंताजनक है. "
3. गोपनीयता:
जेनिटिक मैपिंग जैसी संवेदनशील और निजी जानकारी किसी व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ कह सकती है. ऐसे कई तरीके हैं जिनमें इसका दुरुपयोग किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, बोस्टन से एक कम्प्यूटेशनल बायोलॉजिस्ट ने पहचान नहीं खोलने की शर्त पर गोपनीयता के संदर्भ में निहितार्थ के बारे में कहा: "जीनोमिक जानकारी का उपयोग विभिन्न बीमारियों के जोखिम को निर्धारित करने में किया जा सकता है और बीमा कंपनियों इसके आधार पर बीमा देने से इनकार कर सकती हैं. कुल मिलाकर, डीएनए बेहद समृद्ध और निजी जानकारी है और इसका दुरुपयोग कई तरीके से किया जा सकता है.”
लोबसांग ग्यात्सो सिथेर कहते हैं: "चीनी सरकार के पास दमन, सेंसरशिप और निगरानी के लिए किसी भी तरह के डेटा का उपयोग करने का एक ट्रैक रिकॉर्ड है. ऐसे में तिब्बती, उइगर और यहां तक कि चीनी नागरिकों के डेटा के किसी भी तरह के कलेक्शन को रोका जाना चाहिए और उसकी निंदा की जानी चाहिए. तक निंदा और रोका जाना चाहिए. जब तक कि चीनी सरकार यह विश्वास दिलाने और दिखाने में समर्थ न हो कि इस तरह के डेटा को इकट्ठा करने से उचित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा. साथ ही मानवाधिकारों की यूनिवर्सल डिक्लरेशन का सम्मान किया जाएगा.
(लेखक सिंगापुर स्थित ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस एनालिस्ट हैं)
एस.कनन