चीन अब स्पेस-प्लेन क्लब में है. चीन का मुख्य स्पेस कॉन्ट्रेक्टर ‘चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड इंडस्ट्री कॉरपोरेशन’ है. ये पिछले पांच वर्षों से एक स्पेसक्राफ्ट के विचार पर काम करता रहा है. अब 4 सितंबर को प्रयोग के तौर पर दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले स्पेस-प्लेन को लॉन्च किया गया. इसे दो दिवसीय ऑरबिटल मिशन पर भेजा गया. 6 सितंबर को चीन की सीक्रेटिव एयर स्ट्रिप इस स्पेस-प्लेन ने लैंडिंग की.
स्पेस-प्लेन के पहले मॉडल का टेस्ट फरवरी 2018 में किया गया, जिसकी पुष्टि दो वैज्ञानिकों- यी योउडा और लियू गैंग की ओर से की गई थी. स्पेस-प्लेन का उपयोग नागरिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. यह पे-लोड ले जा सकता है, जिसे या तो स्पेस के ऑरबिट (कक्षा) में रखा जा सकता है या जरूरत पड़ने पर पृथ्वी की सतह पर पहुंचाया जा सकता है.
संभावित चीनी स्पेस-प्लेन प्रोजेक्ट ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिकी वायुसेना अपने दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले स्पेस-प्लेन पर काम कर रही है, जिसे X-37B कहा जाता है. स्पेस-प्लेन को लॉन्च करने के बाद, चीन ने कहा कि "यह अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण इस्तेमाल की दिशा में तकनीकी मदद देने की योजना के मुताबिक रीयूजेबल टेक्नोलॉजी का वैरीफिकेशन करेगा." 2017 में चीन ने कहा था कि उसका 2020 तक दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले स्पेस-प्लेन को टेस्ट करने का लक्ष्य है.
अमेरिकी स्पेस-प्लेन X-37B ने अंतरिक्ष में 780 दिनों का एक रिकॉर्ड फ्लाइट टाइम बनाया है, जो अंतरिक्ष के शस्त्रीकरण के नए युग का संकेत देता है. चीन 2018 में इस दौड़ में कूदा और संभवतः टेंग्युन नामक एक प्रोटोटाइप का टेस्ट करने में कामयाब रहा. प्रयोगात्मक स्पेस-प्लेन के आकार, वजन, पेलोड का अभी खुलासा नहीं किया गया. ये भी नहीं बताया गया कि स्पेस-प्लेन मानव समेत था या मानव रहित था.
जियुकुआन लिफ्ट-ऑफ
चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने रिपोर्ट किया कि प्रायोगिक स्पेस-प्लेन ने मुख्य लॉन्च पैड नंबर 921, जियुकुआन सैटेलाइट लॉन्च सेंटर (JQSLC) से 4 सितंबर, 2020 को उड़ान भरी. ये उड़ान 1530 (दोपहर साढ़े तीन बजे) रॉकेट CZ-2F के लॉन्ग मार्च सीरीज पर भरी गई.
JQSLC में इस मुख्य लॉन्च पैड की ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि स्पेस-प्लेन के प्रक्षेपण के लिए लॉन्च पैड, अम्बिलिकल टॉवर और मोबाइल लांचर को हाल ही में रीनोवेट किया गया. ऐसा CZ-2F के बड़े हथौड़े नुमा हेड फेयरिंग को समायोजित करने के लिए किया गया.
लिफ्ट-ऑफ की जमीनी तस्वीरों में रॉकेट की अभूतपूर्व रूप से बड़ी फेयरिंग दिखती है. ये दर्शाता है कि स्पेस-प्लेन संभवतः 8 टन का है, जो अमेरिकी X-37B के आकार से लगभग दोगुना है.
इस तरह के बड़े आकार का स्पेस-प्लेन जो रिट्रैक्टेबल आर्म से लैस है, और विरोधी के जासूसी उपग्रह को आसानी से पकड़ कर जमीन पर ला सकता है. यह CZ-2F कैरियर रॉकेट के 14वें मिशन का कामयाब लिफ्ट-ऑफ था.
स्पेस फ्लाइट
चीन ने अभी तक स्पेस फ्लाइट के बारे में कोई डेटा जारी नहीं किया है. हालांकि इसका अमेरिकी स्टेट एजेंसीज और अंतरिक्ष उत्साही लोगों की ओर से अध्ययन किया गया है.
स्पेस फ्लाइट का अध्ययन एस्ट्रोनॉमर जोनाथन मैकडॉवेल की ओर से बड़े परिश्रम के साथ किया गया. वे हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिज़िक्स के साथ जुड़े हैं. अध्ययन से संकेत मिलता है कि चीन ने एक स्पेस शटल टाइप का क्राफ्ट लॉन्च किया जिसने कक्षा के चक्कर लगाए. इस अध्ययन ने मजबूती से सुझाव दिया कि यह एक मानव रहित उड़ान थी.
चीनी सोशल मीडिया की अटकलों में भी कहा गया है कि स्पेस-प्लेन ने स्पेस ऑरबिट में दो पेलोड छोड़े. स्पेस-प्लेन ने 348 किमी X 318 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा में मूव किया. मैकडॉवेल ने दावा किया कि यह अमेरिकी X-37B की तुलना में आकार में बहुत छोटा था.
लोप नुर के पास लैंडिंग
चीनी स्पेस-प्लेन एक गुप्त एयर स्ट्रिप पर उतरा. ये एयर स्ट्रिप चीन के सबसे पुराने परमाणु परीक्षण क्षेत्र लोप नुर के पास स्थित है.
लैंडिंग का फ्लाइट पाथ और समय बताता है कि यह हवाई पट्टी थी जिस पर स्पेस प्लेन उतरा था. प्लैनेट लैब्स ने हाई रिजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों में स्पेस-प्लेन को कैप्चर किया, जिसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.
सीक्रेट एयर स्ट्रिप
चीन की सीक्रेटिव एयर स्ट्रिप अब 6 सितंबर, 2020 को स्पेस-प्लेन के उतरने के बाद अब काफी चर्चा में आ गई है. स्पेस-प्लेन ने स्थानीय समय के मुताबिक 10.00 बजे लैडिंग की.
एयर स्ट्रिप 5 किलोमीटर लंबी और 60 मीटर चौड़ी है. इसके दोनों ओर 2.5 किलोमीटर ओवरशूट हैं. इस प्रकार कुल लंबाई 10 किलोमीटर है. यहां दोनों तरफ दो और 5 किलोमीटर लंबी और 500 मीटर की चौड़ाई वाली डर्ट स्ट्रिप्स है जो ट्राएंगल को पूरा करती है. ये फॉर्मेशन इसलिए है कि स्पेस-प्लेन को लंबी दूरी से ही पहचान हो जाए जिससे कि सही एयर स्ट्रिप पर सटीक लैंडिक हो सके.
यहां दो बड़े लॉन्च पैड हैं जिनमें एक 15 मीटर X 30 मीटर और दूसरा 20 मीटर X 20 मीटर आकार का है, 15 मीटर X 15 मीटर आकार का छोटा एंटीना फील्ड और बिजली की आपूर्ति के लिए सोलर पैनल मौजूद हैं.
टेस्ट आर्टिकल्स के अस्थायी स्टोरेज के लिए संभवतः 25 मीटर X 50 मीटर आकार के तीन स्टाफ बैरक और एक बड़ा लंबा हैंगर दिखता है.
इस बड़े एयर फील्ड में विभिन्न स्थानों पर कुछ निगरानी उपकरण भी देखे गए हैं. लॉन्च और लैंडिंग के दौरान निगरानी उपकरणों को रखने के लिए कुछ इमारतें और कुछ डगआउट भी मौजूद हैं. मुख्य रन-वे के उत्तर-पश्चिमी दिशा में एक संभावित मौसम संबंधी रडार भी देखा जा सकता है.
(कर्नल विनायक भट्ट (रिटायर्ड) इंडिया टुडे के लिए एक सलाहकार हैं. वे सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषक हैं, उन्होंने 33 वर्षों तक भारतीय सेना में सर्विस की)
कर्नल विनायक भट (रिटायर्ड)