कोविड-19 की वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ के आपातकाल इस्तेमाल को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) -सेंट्रल स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की ओर से हरी झंडी मिलने पर भारत बायोटेक ने खुशी जाहिर की है. बता दें कि भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन को विकसित किया है. इसका हेडक्वार्टर हैदराबाद में स्थित है.
भारत बायोटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन डॉ कृष्णा ऐल्ला ने कहा, ‘कोवैक्सीन को आपातकाल इस्तेमाल के लिए अनुमति मिलना इनोवेशन और नए उत्पादों के भारत में विकास की दिशा में बड़ी छलांग है. ये देश के लिए गौरव का क्षण है और भारत की वैज्ञानिक क्षमता के लिए बड़ा मील का पत्थर है. महामारी के बीच मेडिकल जरूरत को जहां ये वैक्सीन पूरा करती है, वहीं हमारा लक्ष्य उन आबादियों तक वैश्विक पहुंच बनाना है, जिन्हें इसकी (वैक्सीन) सबसे ज्यादा जरूरत है. कोवैक्सीन ने असाधारण सुरक्षा डेटा सुनिश्चित करने के साथ मल्टीपल वायरल प्रोटीन्स के खिलाफ मजबूत इम्युनिटी (प्रतिरक्षा) रिस्पॉन्स दिखाया है.’
कोवैक्सीन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) और भारत बायोटेक ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में विकसित किया है. डॉ ऐल्ला ने कहा, ‘हम इस प्रोजेक्ट के लिए दूरदृष्टि नेतृत्व देने के लिए ICMR के डायरेक्टर जनरल डॉ बलराम भार्गव का दिल से शुक्रिया अदा करते हैं.’ CDSCO की एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने जल्द मंजूरी प्रक्रिया के संदर्भ में सिफारिश की है. SEC की 1-2 जनवरी 2021 को बैठक हुईं और अंतिम फैसले के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को सिफारिश की गईं. कोवैक्सीन SARS-CoV 2 की बहुत परिष्कृत और इनएक्टिवेटेड 2 डोज है जिसे वीरो सेल मैन्युफैक्चरिंग प्लेटफॉर्म पर उत्पादित किया गया.
फेस 3 मानव क्लीनिकल ट्रायल नवंबर में किया गया शुरु
कोवैक्सीन के फेस 3 मानव क्लीनिकल ट्रायल नवंबर के मध्य में शुरू हुए. इसके लिए भारत भर में 26,000 वॉलन्टियर्स पर ये ट्रायल किए गए. कोविड-19 वैक्सीन के लिए यह भारत की पहली और अकेली फेस 3 प्रभावकारिता स्टडी थी. साथ ही ये भारत में किसी भी वैक्सीन के लिए सबसे बड़ी फेस 3 प्रभावकारिता स्टडी थी. कोवैक्सीन का फेस 1 और फेस 2 क्लीनिकल ट्रायल्स में करीब 1000 सब्जेक्ट्स पर मूल्यांकन किया गया. इनके सुरक्षा और इम्युनिटी से संबंधित नतीजे उत्साहवर्धक रहे. साथ ही ये अंतर्राष्ट्रीय पीर रिव्यू वाले साइंटिफिक जर्नल्स की स्वीकार्यता के मुताबिक थे.
भारत बायोटेक की बायो कंटेनमेंट फैसिलिटी में किया गया विकसित
कोविड-19 के लिए भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को भारत बायोटेक की BSL-3 (बायो-सेफ्टी लेवल 3) बायो कंटेनमेंट फैसिलिटी में विकसित और उत्पादित किया गया. ये दुनिया में अपनी तरह की अकेली फैसिलिटी है. कोवैक्सीन के मूल्यांकन के दौरान इसकी कई खासियत सामने आई. जैसे कि मल्टीपल वायरल प्रोटीन्स के खिलाफ दीर्घकालिक इम्युन रिस्पॉन्स. साथ ही इसने हेट्रोलॉगस SARS-CoV2 स्ट्रेन्स को लेकर ब्रॉड स्पेक्ट्रम न्यूट्रेलाइजिंग क्षमता दिखाई है. ऐसे में म्यूटेंट्स को घटाने या हटाने में भी ये कारगर है. इसने मल्टीपल एपिटोप्स के लिए मेमोरी टी सेल रिस्पॉन्स पैदा करने की भी क्षमता दिखाई है. ये भविष्य में संक्रमणों के लिए रैपिड एंटीबॉडी रिस्पॉन्स का संकेत देती है.
उत्पाद के विकास और क्लिनिकल ट्रायल डेटा को अब तक पांच पब्लिकेशंस में जगह मिली, इन्हें 4 पीर रीव्यू वाले इंटरनेशनल जर्नल्स को भेजा गया है जिनमें से 4 ने इन्हें स्वीकार कर लिया है और शीघ्र ही इन्हें प्रकाशित करेंगे. फेस 2 ट्रायल डेटा का पब्लिकेशन पीर रिव्यू प्रक्रिया के तहत हैं. नियमन गाइडलाइंस के हिस्से के तौर पर सारे डेटा को DCGI और CDSCO को सौंपा गया है.
आशीष पांडेय