बेस्ट बेकरी मामला: गुजरात में 14 लोगों को जिंदा जलाने के मामले में दोनों आरोपी बरी

गुजरात के गोधरा हादसे के दो दिन बाद एक मार्च 2002 को उग्र भीड़ ने वडोदरा में बेस्ट बेकरी में आग लगा दी थी, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी. भीड़ ने बेकरी में शरण लेने वाले मुस्लिमों को निशाना बनाकर बेकरी ने आग लगाई थी. 2003 में हुई सुनवाई में वडोदरा की एक कोर्ट ने सभी 21 लोगों को बरी कर दिया था.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 जून 2023,
  • अपडेटेड 8:26 PM IST

मुंबई की एक अदालत ने 2002 बेस्ट बेकरी मामले में मंगलवार को दोनों आरोपियों को बरी कर दिया. दोनों आरोपियों हर्षद सोलंकी और मफत गोहिल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने दोनों आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया. गुजरात में साल 2002 में हुए बेस्ट बेकरी मामले में 14 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी.

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गोधरा हादसे के दो दिन बाद एक मार्च 2002 को उग्र भीड़ ने वडोदरा में बेस्ट बेकरी में आग लगा दी थी, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी. भीड़ ने बेकरी में शरण लेने वाले मुस्लिमों को निशाना बनाकर बेकरी ने आग लगाई थी. 2003 में हुई सुनवाई में वडोदरा की एक कोर्ट ने सभी 21 लोगों को बरी कर दिया था. बाद में गुजरात हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था.

इस मामले में पीड़ितों में से एक जहिरा बीबी शेख सहित एक एनजीओ ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में दोबारा जांच के आदेश दिए थे और गुजरात के बजाए महाराष्ट्र में दोबारा मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया था. 

मुंबई की सत्र अदालत ने फरवरी 2006 में 17 आरोपियों में से नौ को दोषी करार दिया था. 2012 में बॉम्बे हाईकोर्ट सबूतों के अभाव में पांच आरोपियों को बरी कर दिया था जबकि चार की सजा बरकार रखी थी. 

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सोलंकी और गोहिल बेस्ट बेकरी मामले में फरार थे क्योंकि वे अजमेर ब्लास्ट केस में मुकदमे का सामना कर रहे ते. उन्हें 2017 में मुंबई की कोर्ट के समक्ष पेश किया गया था. इस मामले में दो अन्य आरोपियों की मामले की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई थी.

सोलंकी और गोहिल के वकील प्रकाश सालसिंकर ने कहा कि उनके मुवक्किलों की रिहाई की उम्मीद थी क्योंकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं थे.

उन्होंने कहा कि प्रत्यक्षदर्शियों ने मामले की सुनवाई के दौरान आरोपियों को पहचाना नहीं था. इसका मतलब है कि आरोपियों की दंगे में कोई भूमिका नहीं थी. 

बता दें कि दोनों आरोपी मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद है और औपचारिकताएं पूरी होने के बाद एक या दो दिनों के भीतर जेल से बाहर आ सकते हैं. 

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