उद्धव ठाकरे की अगुवाई में बीमा कंपनियों के खिलाफ प्रोटेस्ट करेगी शिवसेना

फसल बीमा के मुद्दे पर केंद्र में भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) की सहयोगी शिवसेना बीमा कंपनियों के खिलाफ 17 जुलाई को प्रोटेस्ट करने की तैयारी में है. शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने इस बात की घोषणा की है.

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उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो) उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)

कमलेश सुतार

  • मुंबई,
  • 11 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 5:17 PM IST

फसल बीमा के मुद्दे पर केंद्र में भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) की सहयोगी शिवसेना बीमा कंपनियों के खिलाफ 17 जुलाई को प्रोटेस्ट करने की तैयारी में है. शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने इस बात की घोषणा की है. शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ही प्रोटेस्ट की अगुवाई करेंगे.

उद्धव ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान बीमा योजना भले ही अच्छी स्कीम है, लेकिन इसका लाभ किसानों तक नहीं पहुंच रहा है. यह एक गंभीर मुद्दा है. कंपनियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना होगा. यह प्रोटेस्ट उनके लिए चेतावनी है, अगर कंपनियां सही रास्ते पर नहीं आएंगी तो शिवसेना के अंदाज में हम उनसे निपटेंगे.

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बता दें कि हर साल प्राकृतिक आपदा के चलते देश में किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. बाढ़, आंधी, ओले और तेज बारिश से उनकी फसल खराब हो जाती है. इस संकट से राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की. देश के सभी किसानों तक इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा है. हालांकि इस योजना पर भी सवाल भी उठ रहे हैं. खुद योगी सरकार के मंत्री इसपर सवाल उठा चुके हैं.

राज्यों के कृषि मंत्रियों के सम्मलेन में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि  इस योजना का जिस तरह से लाभ किसानों को मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है.

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना पर भी सवाल उठा चुकी है शिवसेना

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बीजेपी की सहयोगी शिवसेना इससे पहले मोदी सरकार प्रधानमंत्री मुद्रा योजना पर भी सवाल उठा चुकी है. शिवसेना ने कहा था कि ‘मुद्रा’ योजना के तहत वितरित किए गए कर्जों के बकाए को लेकर रिजर्व बैंक ने चिंता जताई. इस बकाए कर्ज की राशि 11 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. सरकारी और निजी बैंकों के बकाए तथा डूबते कर्ज का पहाड़ पिछले कई वर्षों से गंभीर चर्चा का विषय बन गया. ऊपर से हजारों करोड़ रुपये का कर्ज डुबाकर कुछ उद्योगपतियों के देश के बाहर भाग जाने से इस विषय को और भी ‘बघार’ मिल गई है. इसी पार्श्वभूमि पर अब ‘मुद्रा’ जैसी योजना की बकाया राशि भी कुछ हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.

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