अब निधि चौधरी ने लिखी कविता, 'वो पूछे क्यूं धन्यवाद कहा गांधीजी के हत्यारे को...'

फेसबुक पर पोस्ट की गई इस कविता में निधि चौधरी ने लिखा, वो पूछे क्यूं धन्यवाद कहा गांधीजी के हत्यारे को, क्यूं आवाहन किया उनकी मूर्तियां तोड़ने के नारे को.

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आईएएस अधिकारी निधि चौधरी (फाइल फोटो-सोशल मीडिया) आईएएस अधिकारी निधि चौधरी (फाइल फोटो-सोशल मीडिया)

aajtak.in

  • मुंबई,
  • 04 जून 2019,
  • अपडेटेड 8:57 AM IST

महात्मा गांधी पर कथित विवादित ट्वीट करके सुर्खियों में आईं मुंबई की आईएएस अधिकारी निधि चौधरी ने अब एक कविता लिखी है. फेसबुक पर पोस्ट की गई इस कविता में निधि चौधरी ने लिखा, 'वो पूछे क्यूं धन्यवाद कहा गांधीजी के हत्यारे को, क्यूं आवाहन किया उनकी मूर्तियां तोड़ने के नारे को.' इस कविता के साथ निधि चौधरी ने लिखा, 'यह व्यक्तिगत विचार है. आधिकारिक क्षमता के आधार पर नहीं लिखा गया है. कविता के प्रत्येक शब्द को पढ़े बिना निष्कर्ष पर न जाएं.'

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क्या है विवाद

निधि चौधरी ने ट्विटर पर दुनिया भर से महात्मा गांधी की प्रतिमाएं और भारतीय नोटों से उनके चित्र हटाने का आह्वान किया था और 30 जनवरी 1948 के लिए महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को धन्यवाद दिया था. इसी दिन राष्ट्रपिता की हत्या हुई थी. विवाद भड़कने के बाद निधि चौधरी ने स्पष्ट किया कि ट्वीट 'व्यंगात्मक' था और इसे 'गलत तरीके से पेश' किया गया. बाद में चौधरी ने ट्वीट हटा लिया था.

पवार ने फडणवीस से की थी शिकायत

निधि चौधरी के इस ट्वीट के खिलाफ एनसीपी चीफ शरद पवार ने 'कठोर' कार्रवाई करने की मांग की. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को लिखे पत्र में पवार ने कहा, 'अगर सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो माना जाएगा कि इसकी नीतियां और मंशा निम्नतम स्तर पर पहुंच चुकी है.'

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निधि चौधरी को कारण बताओ नोटिस

पवार के विरोध के साथ जगह-जगह निधि चौधरी का विरोध होने लगा. फडणवीस सरकार ने निधि चौधरी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें मुम्बई नगर निगम से जल आपूर्ति विभाग भेज दिया गया. इसके साथ ही कारण बताओ नोटिस जारी किया गया.

निधि ने दी सफाई, लिखी कविता

कार्रवाई और विवाद बढ़ता देख निधि ने अपना ट्वीट हटा लिया. साथ ही कहा कि मैं महात्मा गांधी का बहुत सम्मान करती हूं. अपनी कविता में निधि ने लिखा, 'जो मेरे चरित्र पर छींटे अब तुमने उछाले हैं, इन छींटों के तेज़ाब से रूह पे उभरे छाले हैं, गर ज़ख़्म जिस्म को देते तो, मरहम शायद उनको भर देते.'

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