महाराष्ट्र में बुलढाणा जिले के सैलानी यात्रा के दौरान एक विशाल होली दहन कार्यक्रम का आयोजन होता है. इस होली दहन में हिन्दू, मुस्लिम और सभी धर्मों के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. इस विशालकाय होली में खास बात ये है कि इसमें लकड़ी नहीं बल्कि 10 से 12 ट्रक नारियल जलाए जाते हैं.
हाजी हजरत अब्दुल रहमान उर्फ सैलानी बाबा की दरगाह बुलढाणा शहर से 25 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पिंपलगांव सराय के पास मौजूद है. हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक इस वली (महात्मा) के उर्स (यात्रा) की शुरुआत होली के दहन से होती है. यहां जलने वाली होली में भक्त नारियल, उतारे हुए कपड़े जलाते हैं. मान्यता है कि इस होली में अपने कपड़े जलाने से भुत-प्रेत, जादू-टोना और बीमारियों से मुक्ति मिलती है.
सैलानी यात्रा की इस होली दहन में राज्य ही नहीं पूरे देश से लोग आते हैं. कुछ साल पहले तक इस होली में भक्तों द्वारा मुर्गियां, बकरी के बच्चे जिन्दा जलाये जाते थे. ये बात जब प्रशासन की नजर में आई तो इसे बंद करवा दिया गया.
1990 से इस होली दहन की शुरुआत हुई है. हर साल होली दहन से सैलानी यात्रा की शुरुआत होती है. हाजी अब्दुल रहमान उर्फ सैलानी बाबा इनकी मजार पर चादर चढ़ाने और पूजा के बाद होली जलाई जाती है. पांच दिनों तक चलने वाली यात्रा का समापन सन्दल निकालकर होता है.
अंकुर कुमार / पंकज खेळकर