जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 को मोदी सरकार की ओर से हटाए जाने के बाद माना जा रहा है कि देश में बीजेपी के पक्ष में माहौल और तेज हो गया है. साल के आखिर में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में बीजेपी को इस माहौल का लाभ मिल सकता है. ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है. उधर महाराष्ट्र में बीजेपी के सहयोगी दल शिवसेना का भी रुख अब नरम पड़ गया है.
इस बीच बीजेपी पर दबाव बनाने की राजनीति से जुड़े बयानों में कमी देखी गई है. पहले शिवसेना सीएम पद की दावेदारी भी खुलेआम जताती नजर आई है. पार्टी सूत्र बता रहे हैं कि महाराष्ट्र व अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव के दौरान सहयोगी दल अब बीजेपी के आगे दबाव की राजनीति नहीं कर सकेंगे.
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव को लेकर शिवसेना इस बार जमीनी तौर पर कुछ ज्यादा ही सक्रिय है. वजह कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे पहली बार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. अगर वह चुनाव में उतरते हैं तो यह पहला मौका होगा, जब ठाकरे घराने का कोई सदस्य सीधे तौर पर चुनाव मैदान में होगा. अब तक शिवसेना सिर्फ चुनाव लड़ाती रही है. शिवसेना के कुछ नेता आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में भी पेश कर रहे हैं.
शिवसेना ने पिछले दिनों अपने मुखपत्र में लिखे एक संपादकीय में भी गठबंधन में बराबरी की बात करते हुए इस बार मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी के संकेत दिए थे. शिवसेना की ओर से मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोकने की चर्चाओं पर विराम लगाने की मंशा के साथ पिछले दिनों महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सार्वजनिक तौर पर यह कहा था कि मुख्यमंत्री पद पर कोई भ्रम नहीं है. मुख्यमंत्री बीजेपी का ही बनेगा. वही दोबारा सीएम बनेंगे.
बता दें कि शुरुआती तौर पर दोनों दलों के नेताओं की ओर से 135-135 सीटों पर चुनाव लड़ने पर चर्चा के संकेत दिए गए. वहीं 18 दल अन्य सहयोगी दलों को देने पर बात चली. हालांकि अभी सीटों का पेंच सुलझा नहीं है. कहा जा रहा है कि बदले माहौल के बीच बीजेपी ज्यादा सीटों पर लड़ सकती है. 2014 के विधानसभा चुनाव में कुल 288 में बीजेपी को 122 और शिवसेना को 63 सीटें मिलीं थीं.
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