महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ गई है. भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह भी बीते रविवार को सोलापुर में रैली कर चुनावी माहौल गरमा चुके हैं. मगर अभी शिवसेना से सीटों के बंटवारे पर फैसला नहीं हुआ है. गठबंधन में बराबरी के फॉर्मूले के तहत शिवसेना बीजेपी से बराबर सीटें चाहती है. हालांकि, कश्मीर से 370 हटाने के बाद देश भर में अपने पक्ष में बने माहौल के चलते आत्मविश्वास से लबरेज बीजेपी शिवसेना को अपने बराबर सीटें देने के पक्ष में नहीं है. पार्टी नेताओं का मानना है कि बीजेपी अकेले चुनाव लड़कर भी सरकार बनाने की क्षमता रखती है. महाराष्ट्र में अक्टूबर में चुनाव संभावित हैं. यहां बहुमत का आंकड़ा 145 सीटों का है. पिछली बार 2014 के चुनाव में अकेले लड़ने वाली बीजेपी ने 122 सीटें हासिल की थीं.
सिटिंग एमएलए की सीटों पर नहीं होगा समझौता
बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) महाराष्ट्र की 123 सीटों पर किसी तरह के समझौते के मूड में नहीं है. इसी तरह शिवसेना के पास मौजूद 63 विधायकों की सीटों को भी बीजेपी नहीं लेना चाहती. इस प्रकार कुल 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में शेष 103 सीटों पर बीजेपी 50:50 के अनुपात में बंटवारा करना चाहती है. अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी के खाते में 170 से अधिक सीटें आएंगी. हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि इस फॉर्मूले पर शिवसेना आसानी से सहमत नहीं होगी.
अकेले लड़ने के विकल्प भी खुले
महाराष्ट्र के दौरे के दौरान बीजेपी के सभी शीर्ष नेता राज्य इकाई को सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करने का निर्देश दे चुके हैं. रविवार और सोमवार को महाराष्ट्र दौरे पर रहे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी मीटिंग के दौरान सभी सीटों पर अपनी तैयारी चुस्त-दुरुस्त रखने को कह चुके हैं.
इससे पूर्व महाराष्ट्र दौरे पर पहुंचीं बीजेपी महासचिव सरोज पांडेय हों या फिर कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, उन्होंने भी 288 सीटों पर पार्टी की चुनावी तैयारी की रणनीति बना ली है. इससे संकेत मिलते हैं कि बीजेपी अकेले चुनाव लड़ने के विकल्प को भी खुला रखना चाहती है. दरअसल, सीटों पर बंटवारे और कुछ अन्य मतभेदों के चलते 2014 में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूट चुका है. दोनों दलों ने तब अकेले चुनाव लड़ा था. ऐसे में बीजेपी किसी तरह भी परिस्थिति के लिए पहले से तैयारी करने के विकल्प को रखकर चल रही है.
नवनीत मिश्रा