अजित पवार को कैसे मिला एनसीपी का समर्थन? विधायकों ने बताई INSIDE STORY

महाराष्ट्र में सियासी घमासान जारी है. देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी नेता अजित पवार के साथ मिलकर सरकार तो बना ली लेकिन विधानसभा में बहुमत साबित करना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी. सोमवार को मुंबई के हयात होटल में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी ने अपने 162 विधायकों की परेड कराई.

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महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार (फोटो-IANS) महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार (फोटो-IANS)

विद्या

  • मुंबई,
  • 26 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 1:56 AM IST

  • मुंबई के हयात होटल में हुई विधायकों की परेड
  • शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी के विधायक हुए शामिल
  • शरद, सोनिया और उद्धव के नाम पर ली शपथ

महाराष्ट्र में सियासी घमासान जारी है. देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी नेता अजित पवार के साथ मिलकर सरकार तो बना ली लेकिन विधानसभा में बहुमत साबित करना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी. सोमवार को मुंबई के हयात होटल में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी ने अपने 162 विधायकों की परेड कराई. साथ ही बीजेपी को यह संदेश भी दिया कि उनके पास विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त संख्या बल है.

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अब सवाल उठता है कि अगर शरद पवार के पास एनसीपी विधायकों का समर्थन है तो अजित पवार को पार्टी विधायकों का सपोर्ट कैसे हासिल हुआ. इसका खुलासा एनसीपी के ही दो विधायकों ने किया. इंडिया टुडे से खास बातचीत में एनसीपी विधायक अनिल पाटिल और दौलत दरौडा ने बताया कि उनके दिल्ली से मुंबई लौटने के बीच आखिर शुक्रवार रात (22 नवंबर) से लेकर सोमवार सुबह (25 नवंबर) के बीच क्या हुआ. इन विधायकों को अजित पवार ने दिल्ली भेज दिया था.

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अनिल पाटिल ने बताया, 'अजित दादा ने हमें रात में फोन किया और कहा कि शनिवार सुबह 7 बजे सभी विधायकों की बैठक होगी. वह हमारे पार्टी नेता हैं, लिहाजा उनके आदेश को मानना हमारा कर्तव्य है. हम उनके बंगले पर पहुंचे, जहां से हमें गाड़ी में बैठाया गया'. उन्होंने आगे कहा, '15 मिनट बाद हम राजभवन पहुंचे. उससे पहले हमें मालूम नहीं था कि हम कहां जा रहे हैं. इसके बाद वहां राष्ट्रगान हुआ और फिर शपथ ग्रहण समारोह. इसके बाद फिर राष्ट्रगान हुआ.'

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उन्होंने कहा, 'शपथ ग्रहण समारोह के बाद अजित पवार ने कहा कि हमें ऐसी सरकार बनानी है, जो 5 साल चले. 3 पार्टियों की सरकार बनाने में मुश्किल होगी और यह भी आशंका है कि यह कितने वक्त तक चलेगी. इसलिए हमें दो पार्टियों के साथ सरकार बनानी चाहिए.'

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पाटिल ने कहा, 'हम इसके लिए तैयार थे क्योंकि हमें लगा कि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के आशीर्वाद से यह हो रहा है. फिर हमें जाने को कहा और बताया गया कि अन्य एनसीपी विधायक भी यही करेंगे.' पाटिल ने बताया कि एनसीपी के विधायक ज्यादातर सीधे शरद पवार से बात नहीं करते. उन्हें अजित पवार से ही कॉर्डिनेट करना होता है. लिहाजा हमें लगा कि यही पार्टी का फैसला है. उन्होंने बताया कि अजित पवार ने यही कहा था कि पार्टी का भी यही फैसला है.

पाटिल ने आगे कहा, 'हम पर बागी होने के आरोप लगाए गए. हमें हमारे नेता अजित पवार ने बुलाया था. इसलिए हम मिलने चले गए. ऐसे में हम बागी कैसे हो गए. लेकिन जब हमें स्थिति समझ आई तो हम वापस लौट आए. हमने अजित पवार से भी कहा कि हमारे लिए शरद पवार का फैसला मायने रखता है.'

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अनिल पाटिल ने आगे कहा, 'जब हम दिल्ली पहुंचे तो किसी को नहीं जानते थे. कुछ बीजेपी विधायक हमसे एयरपोर्ट पर मिले. वहां काफी लोग थे तो हम तुरंत गाड़ी में बैठे और गुरुग्राम के एक होटल पहुंचे. वहां सादे कपड़ों में पुलिस अफसर थे. शुरुआत में हमें लगा कि वे विजिटर्स हैं. लेकिन अगले ही दिन पता चल गया कि वे सुरक्षाकर्मी हैं.'

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एनसीपी विधायक ने आगे बताया कि स्थिति समझने के बाद उन्होंने पार्टी नेताओं को फोन लगाया और शरद पवार ने भरोसा दिलाया कि उन्हें वापस बुला लिया जाएगा. उन्होंने कहा, 'हमने पार्टी कार्यकर्ताओं के पहुंचने का इंतजार किया. स्थानीय एनसीपी नेताओं ने हमें सलाह दी कि हम कैसे लिफ्ट तक पहुंचें और होटल से कैसे बाहर आएं. 3-4 मिनट बाद हम बाहर आ गए.'

वहीं अन्य विधायक दरौडा ने बताया, 'हम किसी पार्टी के साथ नहीं हैं. हमने वहीं से शरद पवार और सुप्रिया सुले से बात की और उन्होंने हमें भरोसा दिलाया. हमने एनसीपी के चिन्ह पर चुनाव जीता है. शरद पवार हमारे बॉस हैं और नेता भी. जो व्हिप शरद पवार ने जारी किया है, उसका पालन किया जाएगा और उनका आदेश ही हमारे लिए काफी है.'

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