बारामती में बंधक बनाकर रखे गए थे UP के 9 मजदूर

बंधक बनाकर रखे गए इन मजदूरों में 2 दिव्यांग और एक नाबालिग भी शामिल है. जब कभी इन मजदूरों को बाजार जाना होता तो साथ में तीन-चार बाउंसर जाते, जो उन पर निगरानी रखते. सब मजुदुरों के फोन मालिक ने जब्त कर लिए थे.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

पंकज खेळकर

  • बारामती,
  • 22 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 11:58 PM IST

महाराष्ट्र के बारामती में एमआईडीसी पेपर मिल में 9 मजदूरों को 2 महीने से बंधक बनाकर रखे जाने का मामला सामने आया है. ये सभी मजदूर उत्तर प्रदेश से बारामती शहर नौकरी की तलाश में आए थे, जिनमें 2 दिव्यांग भी थे. इन मजदूरों से 12 से 18 घण्टों तक मजदूरी करवाई जाती थी और मामूली गलती पर पिटाई भी की जाती थी.कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं को जब मजदूरों के साथ इस अत्याचार की बात पता चली तो उन्होंने सभी मजदूरों को रिहा करवाया. बारामती तहसील के पुलिस थाने में कंपनी के मालिक संतोष सिंह सहित 2 और लोगों के खिलाफ IPC की धाराओं 374 और 344 के तहत मामला दर्ज करवाया गया है. रिहा हुए मजदूरों ने कंपनी के मालिक पर अत्याचार करने के आरोप लगाए हैं.

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क्या है बंधक बनाने का मामला

बारामती के एमआईडीसी पेपर मिल में काम करने वाले ये मजदूर जब अपने गांव जाने की बात करते तो उनकी पिटाई की जाती और वे भाग न सकें, इसलिए उन्हें मिल के अंदर ही बंधक बनाकर रखा गया था. इतना ही नहीं इन मजदूरों में अगर कोई बीमार भी हो जाता, तो उनके इलाज तक की व्यवस्था नहीं थी. जब कभी इन मजदूरों को बाजार जाना होता तो साथ में तीन-चार बाउंसर जाते, जो उन पर निगरानी रखते. सब मजदुरों के फोन मालिक ने जब्त कर लिए थे.

जब इन मजदूरों को उत्तर प्रदेश अपने घर फोन करना होता तो फोन स्पीकर मोड पर रखकर बातें करना पड़ता. इस अत्याचार की सुगबुगाहट कंपनी के कुछ कर्मियों के परिवार वालों को लगी और उन्होंने इसकी जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता सिद्धार्थ राउत को दीं. सामाजिक कार्यकर्ता तहकीकात के लिए कंपनी में गए तो अत्याचार की सच्चाई सामने आई.

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कैसे रिहा कराए गए UP से आए मजदूर

बंधक बनाकर रखे गए इन मजदूरों में 2 दिव्यांग और एक नाबालिग भी शामिल है. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बंधक बनाकर रखे गए सभी मजदूरों को रिहा करवाया. वहीं मिल के मालिक सहित तीनों आरोपी फिलहाल फरार हैं.

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