रांची: शहीद फ्रांसिस का अंतिम संस्कार आज, बेटी बोली- पापा नहीं रहे, अब मैं डॉक्टर कैसे बन पाऊंगी

रांची के लाली गांव के निवासी थे फ्रांसिस होरो का पार्थिव शरीर जैसे ही रांची एयरपोर्ट पर श्रद्धांजलि के लिए रखा गया, उनकी बूढी मां की चीत्कार और पत्नी के अविरल बहते आंसू से वहां मौजूद सबके कलेजे फट गए.

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शहीद फ्रांसिस होरो का पार्थ‍िव शरीर देखकर उनकी मां और पत्नी का कलेजा फट गया शहीद फ्रांसिस होरो का पार्थ‍िव शरीर देखकर उनकी मां और पत्नी का कलेजा फट गया

धरमबीर सिन्हा

  • रांची,
  • 02 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 9:46 AM IST

रांची के लाली गांव के निवासी थे फ्रांसिस होरो का पार्थिव शरीर जैसे ही रांची एयरपोर्ट पर श्रद्धांजलि के लिए रखा गया, उनकी बूढी मां की चीत्कार और पत्नी के अविरल बहते आंसू से वहां मौजूद सबके कलेजे फट गए.

शनिवार शाम को उनके शव को दिल्ली से रांची लाया गया. एयरपोर्ट पर ही राज्य की गवर्नर द्रोपदी मुर्मू, मंत्री सीपी सिंह, लुईस मरांडी समेत आर्मी के जवानों और अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. शहीद फ्रांसिस होरो के पार्थिव शरीर को रविवार को उनके पैतृक गांव रांची के लाली ले जाया जाएगा, जहां राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि होगी.

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बेटी ने पूछा- अब मेरा सपना कैसे पूरा होगा?
शहीद होरो की पत्नी के मुताबिक उन्हें शुक्रवार शाम को सेना की ओर से ये मैसेज आया कि पेट्रोलिंग के दौरान क्रॉस फायरिंग में होरो शहीद हो गए. शहीद होरो अपने पीछे बूढ़ी मां और पत्नी के अलावा दो बेटियों को छोड़ गए. एक बिटिया 13 साल की है और एक 8 साल की. परिवार में और कोई पुरुष ना होने के कारण सारा भार अब पत्नी के ऊपर है. होरो की बिटिया आगे चलकर डॉक्टर बनना चाहती है लेकिन बिटिया कहती है कि पिता नहीं है अब सपना कैसे पूरा होगा. होरो ने 1995 में आर्मी ज्वाइन की थी. बिहार रेजिमेंट में हवलदार होरो उस समय क्रॉस फायरिंग में शहीद हो गए, जब वे सीमा पर पेट्रोलिंग कर रहे थे.

 

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