मान्यता है कि प्राचीन भारत में यहां के ध्वजाधारी पर्वत पर महान तपस्वी कदरम ऋषि निवास करते थे. इन्हीं के नाम पर जिले का नाम कोडरमा पड़ा रहा. यह उत्तर में बिहार के नवादा और पश्चिम में गया जिले से जुड़ा हुआ है. पूर्व में झारखंड का गिरिडीह और दक्षिण में हजारीबाग जिला है. वर्षो पहले कोडरमा क्षेत्र बहुत ही घने जंगलों तथा पहाड़-पठार से घिरा था. इस दौरान यहां कई गैर-आर्य आए लेकिन आदिवासियों ने उनसे डट कर सामना किया और उन्हें भगा दिया.
कोडरमा की राजनीतिः आम चुनाव 2019 में आया था भूचाल
कोडरमा की राजनीति में आम चुनाव के समय उस समय भूचाल आ गया था, जब राजद की प्रदेश प्रमुख अन्नपूर्णा देवी ने राजद छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं. कोडरमा राजद का गढ़ रहा हुआ है. 2005 और 2009 में अन्नपूर्णा देवी लगातार यहां से विधायक रही थीं. लेकिन 2014 में भाजपा ने नीरा यादव को मैदान में उतार दिया. नीरा यादव जीत गईं. बाद में राज्य की शिक्षा मंत्री भी बनीं. इस बार देखना ये है कि अन्नपूर्णा देवी भाजपा में हैं. नीरा यादव जैसी कद्दावर नेता भी इसी सीट से हैं. ऐसे में विपक्षी महागठबंधन क्या करेगा, इसका पूर्वानुमान लगा पाना बेहद मुश्किल है.
कोडरमाः जरासंध से लेकर समुद्रगुप्त तक का इतिहास का जिक्र
ये भी कहा जाता है कि महाभारत काल के राजगृह के शक्तिशाली सम्राट जरासंध का जिक्र मिलता है. यह भी कहा जाता है कि मगध के राजा महापद्मानंद और राजा अशोक ने भी इस इलाके समेत ओडिशा और झारखंड तक फैला था. जब कलिंग का पतन हुआ, उसके बाद ही समुद्रगुप्त झारखंड के इस इलाके में पहुंचे थे. चीनी यात्री इचिंग अपनी नालंदा और गया यात्रा के दौरान कोडरमा में भी आया था. कोडरमा में घोरसिमा में पुरातात्विक अवशेष पाए जाते हैं.
7.16 लाख की आबादी, 66.84 फीसदी साक्षरता दर
जिले की आबादी 716,259 है. इसमें से 367,222 पुरुष और 349,037 महिलाएं हैं. जिले की 19.7 फीसदी आबादी शहरी और 80.3 फीसदी ग्रामीण इलाकों में रहती है. कुल साक्षरता दर 66.84 फीसदी है. शहरी इलाकों में शिक्षा का दर 79.1 और ग्रामीण इलाकों में 63.7 प्रतिशत है. अभी इस जिले में 6 प्रखंड हैं. ये हैं - कोडरमा सदर, जयनगर, मरकच्चो, सतगावां चंदवारा और डोमचांच.
कोडरमा की जातिगत गणित
कोडरमा जिले में कुल 257,418 कामगार हैं. इनमें से 55.7 फीसदी कामगार ऐसे हैं जो या तो स्थाई रोजगार में हैं या साल में 6 महीने से ज्यादा कमाते हैं.
कोडरमा जिला मुख्यालय से 33 किलोमीटर दूर है चंचला देवी शक्ति पीठ. यहां मां दुर्गा 400 फीट ऊंचे पहाड़ पर एक गुफा में हैं. वहीं, 70 किमी दूर स्थित है घोड़सिमर धाम. यह विशिष्ट पुरातात्विक सह धार्मिक स्थल है. यहां पर लगभग एक मीटर की गोलाईवाला चार फीट लंबा शिवलिंग है. तिलैया डैम बराकर नदी पर बनाया गया है. यह बांध 1200 मीटर लंबा और 99 फीट ऊंचा है. 36 वर्ग किमी की सुंदर झील से घिरा हुआ है.
aajtak.in