झारखंड में मनरेगा 2.0: शहरों में लागू होगी रोजगार की गारंटी योजना, काम नहीं तो भत्ता देगी सरकार

केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा की तर्ज पर झारखंड की हेमंत सरकार जल्द ही शहरी अकुशल श्रमिकों के लिए रोजगार देने के लिए नई योजना शुरू करने जा रही है. देश में यह पहली बार है कि शहरी क्षेत्र में भी लोगों को रोजगार की गारंटी दी जाएगी और काम न मिलने पर उन्हें बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा.

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मनरेगा के तहत काम के दौरान मजदूर (फोटो- आजतक) मनरेगा के तहत काम के दौरान मजदूर (फोटो- आजतक)

सत्यजीत कुमार

  • रांची,
  • 23 जून 2020,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST

  • झारखंड के शहरी क्षेत्र में 100 दिन के काम की गारंटी
  • 15 दिन के अंदर काम नहीं तो मिलागा बेरोजगारी भत्ता

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य में वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों को राज्य में ही रोजगार देने की कवायद शुरू कर दी है. केंद्र की मनरेगा की तर्ज पर हेमंत सरकार जल्द ही शहरी अकुशल श्रमिकों के लिए रोजगार देने के लिए नई योजना शुरू करने जा रही है. देश में यह पहली बार है कि शहरी क्षेत्र में भी लोगों को रोजगार की गारंटी दी जाएगी और काम न मिलने पर उन्हें बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा.

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शहरी क्षेत्र में रोजगार की गारंटी

हेमंत सोरेन सरकार 'मुख्यमंत्री श्रमिक (शहरी रोजगार मंजूरी फॉर कामगार) योजना के तहत लोगों को महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की तरह कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाएगी. नगर विकास एवं आवास विभाग ने इस योजना को लागू करने की दिशा में काम भी शुरू कर दिया है. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 15 अगस्त को इस योजना का आगाज कर कर सकते हैं.

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झारखंड में इस योजना के शुरू होने के बाद राज्य के शहरी श्रमिकों को भी रोजगार मिलने की सहुलियत होगी. श्रमिकों को अपने परिवार के पालन पोषण और जीविकोपार्जन के लिए दूसरे प्रदेशों का रुख नहीं करना पड़ेगा. उन्हें अपने वार्ड या अपने शहर में ही काम मिलेगा.

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रोजगार नहीं भत्ता देगी सरकार

मुख्यमंत्री शहरी रोजगार मंजूरी फॉर कामगार योजना के तहत झारखंड के शहरों में रहने वाले 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के अकुशल श्रमिकों को एक वित्त वर्ष में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी मिलेगी. अगर किसी आवेदक कामगार को आवेदन के 15 दिन के अंदर काम नहीं मिल पाया, तो वह बेरोजगारी भत्ते का हकदार होगा. यह भत्ता पहले माह न्यूनतम मजदूरी का एक चौथाई, दूसरे माह न्यूनतम मजदूरी का आधा और तीसरे माह से न्यूनतम मजदूरी के बराबर दिया जाएगा.

स्थानीय स्तर पर रोजगार

हेमंत सोरेन सरकार के विभिन्न विभागों की ओर से शहरों में चलायी जा रही योजनाओं में वहां के स्थानीय श्रमिकों को रोजगार सुनिश्चित कराया जायेगा. कार्यस्थल पर शुद्ध पेयजल, प्राथमिक चिकित्सा के लिए फर्स्ट एड बॉक्स आदि की व्यवस्था की जायेगी. यदि वहां कोई महिला कामगार होगी, तो उनके बच्चों को रखने की भी व्यवस्था की जायेगी, ताकि वे निश्चिंत होकर काम कर सकें.

नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे

योजना के संचालन के लिए सरकार अपनी विकास की सीमाओं और आर्थिक क्षमता के अनुरूप शहरी क्षेत्र के लिए उपलब्ध बजट का उपयोग करेगी. इसके अलावा नगर निकायों को क्रिटिकल गैप फंड (ग्रांट) के रुप में अतिरिक्त राशि देने का भी बजटीय प्रावधान किया गया है. सीएम की इस योजना को नगर विकास एवं आवास विभाग राज्य शहरी आजीविका मिशन के माध्यम से संचालित करेगा. नगर निकायों के नगर आयुक्त/कार्यपालक पदाधिकारी और विशेष पदाधिकारी इसके नोडल पदाधिकारी बनाए जाएंगे.

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बता दें कि झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने 2.5 लाख प्रवासी श्रमिकों की स्किल मैपिंग की है. विभाग ने कहा है कि इनमें से 30 फीसदी यानी कम से कम 75 हजार लोग अकुशल श्रमिक हैं, जो अलग-अलग राज्यों से लॉकडाउन के दौरान अपने घर लौटे हैं. ऐसे में हेमंत सोरने सरकार की कोशिश है कि दोबारा श्रमिकों का अब पलायन न हो. राज्य सरकार का लक्ष्य इन लोगों को घर में ही रोजगार उपलब्ध कराना है.

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