जम्मू-कश्मीर वन्यजीव संरक्षण विभाग की अनुसंधान टीम ने कैमरा ट्रैप तस्वीरों के जरिए किश्तवाड़ हाई एल्टीट्यूड नेशनल पार्क में हिम तेंदुओं की मौजूदगी की पुष्टि की है. ऐसे में लुप्तप्राय प्रजातियों को लेकर एक बार फिर उम्मीदें जाग उठी हैं. हिम तेंदुए ज्यादातर 3,000 और 4,500 मीटर के बीच की ऊंचाई पर पाए जाते हैं और जम्मू क्षेत्र में किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान और इसके आसपास के क्षेत्रों मध्य और उत्तरी कश्मीर के कुछ हिस्सों और लद्दाख के बर्फीले क्षेत्रों में देखे गए हैं.
वन्यजीव वार्डन अरुण गुप्ता ने बताया कि 2,195.50 वर्ग किलोमीटर में फैले राष्ट्रीय उद्यान में बर्फबारी से पहले कैमरा ट्रैप लगाए गए थे. इन कैमरा ट्रैप को फिर से प्राप्त कर लिया है और फ्रेम में हिम तेंदुओं की कई तस्वीरों को कैद किया गया है. बता दें कि इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने हिम तेंदुए को संवेदनशील के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
हिम तेंदुए के लिए चलाया था कैंपेन
इससे पहले नवंबर 2021 में वन्यजीव विभाग ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की हिम तेंदुआ परियोजना के तहत अपनी तरह का पहला एक अभियान चलाया था, जिसमें हिम तेंदुआ जनसंख्या मूल्यांकन कैंपेन शुरू किया गया था. इसके जरिए प्रजातियों और उनके उचित संरक्षण के लिए चुनौतियों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था.
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बर्फ से ढके इलाके में घूमते दिखे हिम तेंदुए
गुप्ता ने बताया कि एक कैमरा ट्रैप फ्रेम में तीन हिम तेंदुओं को किश्तवाड़ हाई एल्टीट्यूड नेशनल पार्क के रेनाई कैचमेंट में बर्फ से ढके इलाके के बीच घूमते हुए देखा गया है. जबकि इससे पहले विभाग ने आउटसोर्स वैज्ञानिक अध्ययन के माध्यम से नांथ नाले में दो व्यक्तियों (एक वयस्क और एक किशोर) को कैमरे के एक ही फ्रेम में कैद किया है.
पनपने के लिए ऊंचाई वाला वातावरण उपयुक्त
उन्होंने बताया कि अध्ययन हिम तेंदुए की आबादी के आकलन और विभाग द्वारा किए जा रहे संरक्षित क्षेत्रों के जैव विविधता डॉक्यूमेंटेशन का हिस्सा है. उन्होंने आगे कहा कि कैमरा ट्रैप तस्वीरें इस प्रजाति की मौजूदगी को दर्शा रही हैं, जो किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान के चुनौतीपूर्ण ऊंचाई वाले वातावरण में पनपने के लिए उपयुक्त है. यह क्षेत्र कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों समेत वनस्पतियों और जीवों के विविध प्रकार के लिए प्रसिद्ध है.
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पार्क में लुभावनी अल्पाइन घास के मैदान हैं. बर्फ से ढकी चोटियां और हरे-भरे जंगल शामिल हैं, जो कई वन्यजीव प्रजातियों के रहने के लिए एक महत्वपूर्ण इकोलॉजिकल कॉरिडोर के रूप में काम करता है. जम्मू-कश्मीर के मुख्य वन्यजीव वार्डन सुरेश कुमार गुप्ता ने हिम तेंदुओं को देखे जाने पर खुशी जताई और क्षेत्रीय वन्यजीव वार्डन कुमार एमके और वन्यजीव वार्डन चिनाब डिवीजन किश्तवाड़ माजिद बशीर मिंटू के नेतृत्व में अनुसंधान दल के प्रयासों की सराहना की.
अनुकूल वातावरण किया जा रहा है तैयार
उन्होंने कहा कि हिम तेंदुओं का सफल कैमरा ट्रैप देखना पार्क की संरक्षण रणनीतियों की प्रभावशीलता की पुष्टि है, जिसमें आवास संरक्षण, अवैध शिकार विरोधी पहल, सामुदायिक जुड़ाव और वैज्ञानिक अनुसंधान शामिल हैं. मुख्य वन्यजीव वार्डन ने कहा कि इन संयुक्त प्रयासों ने हिम तेंदुए की आबादी के लिए पार्क की सीमाओं और आसपास के क्षेत्रों में पनपने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया है.
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