हिमाचल में आंधी-ओलावृष्टि की चेतावनी, इन जिलों के लिए IMD का येलो और ऑरेंज अलर्ट जारी

हिमाचल प्रदेश में बारिश और ओलावृष्टि की चेतावनी है. मौसम विज्ञान (MeT) कार्यालय ने 24 मार्च को ऊना, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला और सोलन सहित छह जिलों में आंधी, बिजली और ओलावृष्टि के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है.

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rain and thunderstorm alert (File Photo) rain and thunderstorm alert (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 10:59 AM IST

मैदानी इलाकों के साथ-साथ पहाड़ी इलाकों में भी मौसम ने करवट ली है. IMD  के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के ऊंचे इलाकों में एक बार फिर हल्की बर्फबारी हुई है और अभी कुछ दिन बारिश और ओलावृष्टि का सिलसिला जारी रहने वाला है.

हिमाचल के कधराला और गोंडला में कल (22 मार्च) तीन सेंटीमीटर और एक सेंटीमीटर बर्फबारी हुई है, जबकि मध्य और निचले इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश हुई है. अब स्थानीय मौसम विज्ञान (MeT) कार्यालय ने 24 मार्च को ऊना, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला और सोलन सहित छह जिलों में आंधी, बिजली और ओलावृष्टि के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है और राज्य के बचे हुए 6 जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है. वहीं, 28 मार्च तक इस क्षेत्र में बारिश की भी संभावना जताई गई है.

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सब्जियों की फसलों के लिए फायदेमंद बारिश

बता दें कि राज्य में हुई बारिश से गिरावट दर्ज की गई है. 15 मार्च को ये 86 प्रतिशत से घटकर 22 मार्च को 54 प्रतिशत तक पहुंच गई. मार्च के महीने में अब तक 85.5 मिमी की सामान्य बारिश के मुकाबले 39.1 मिमी बारिश हुई है. इस पर कृषि निदेशक राजेश कौशिक ने बताया कि सोलन और सिरमौर जिलों में सब्जियों की फसलों के लिए बारिश फायदेमंद है.

उन्होंने कहा कि अनाज बनने के चरण के दौरान बारिश को गेहूं की फसल के लिए भी अच्छा माना जाता है. राज्य में 6.17 लाख मीट्रिक टन (मीट्रिक टन) के उत्पादन लक्ष्य के साथ 3.30 लाख हेक्टेयर में गेहूं का उत्पादन किया जा रहा है, जबकि 1,759 हजार मीट्रिक टन के उत्पादन लक्ष्य के साथ 82,000 हेक्टेयर क्षेत्र को सब्जियों के तहत कवर करने का प्रस्ताव है.

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बारिश की कमी से फसलों को नुकसान

राज्य में 1 जनवरी से 28 फरवरी तक कुल बारिश में लगभग 36 प्रतिशत की कमी देखी गई, जो पिछले साल दिसंबर के महीने में लगभग 100 प्रतिशत थी. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अपर्याप्त बारिश के कारण राज्य में कुल रबी फसलों का लगभग 10-15 प्रतिशत नुकसान हुआ है और वर्षा आधारित क्षेत्रों में सबसे अधिक 33 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है.

 

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