शाह कमीशन से मोदी को क्लीन चिट पर सुरेश मेहता ने उठाए सवाल

मेहता ने कहा कि कमीशन की जांच को पूरी तरह से प्रभावित किया गया है. जांच में कहीं पर भी नरेन्द्र मोदी को क्लीन चिट नहीं मिली है.

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गुजरात गुजरात

गोपी घांघर

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  • 06 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 8:26 PM IST

गुजरात सरकार के 12 साल के भ्रष्टाचार की एमबी शाह कमीशन से जांच चल रही थी. जिसमें मिली क्लीन चिट को गुजरात भाजपा के ही पूर्व मुख्यमंत्री सुरेश मेहता ने खारिज कर दिया है. मेहता ने कहा कि कमीशन की जांच को पूरी तरह से प्रभावित किया गया है. जांच में कहीं पर भी नरेन्द्र मोदी को क्लीन चिट नहीं मिली है.

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गुजरात के उस वक्त के मुख्यमंत्री और आज देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एमबी शाह कमीशन के जरिए दी गई क्लीनचिट पर गुजरात बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री सुरेश मेहता ने ही सवाल खड़े कर दिए हैं. सुरेश मेहता का कहना है कि एमबी शाह कमीशन की जांच को पूरी तरह से सरकार के प्रभाव में तैयार किया गया है. इतना ही नहीं मेहता ने कहा कि जिस रिपोर्ट की बात की जा रही है, कि सरकार को क्लीन चिट मिल गई है, सिर्फ एक भ्रामक बात हैं.

मेहता के मुताबिक 17 ऐसे घोटाले थे, जिसे लेकर कांग्रेस ने राष्ट्रपति से राज्य में लोकायुक्त की मांग की थी. दरअसल लोकायुक्त ना बनाना पड़े इसलिए उस वक्त की मोदी सरकार ने एमबी शाह कमीशन का गठन किया था. मेहता ने जो आरोप लगाये हैं उसमें तीन प्रमुख मामले इस जांच में थे.

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नरेन्द्र मोदी और उस समय की राजस्व मंत्री आनंदीबेन पटेल पर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगाए हैं. मुख्यमंत्री कार्यालय और राजस्व मंत्रालय के जरिए इंडी गोल्ड रिफाइनरी कच्छ की 36.25 एकड़ खेती की जमीन को कम कीमतों पर बेच दिया गया. जिसे बाद में प्रति एकड़ 70 लाख रुपये पर बेचा गया.

सुजलाम सुफलाम योजना जिसमें दो कमीशन बने थे. पीएसी और कैग दोनों ने कहा था कि घोटला हुआ है. जबकि शाह कमीशन ने कहा कि पीएसी तय करेगी.

वहीं, GSPC(गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन) के जरिए बड़े पैमाने पर तेल के कुएं मिलने की बड़ी- बड़ी घोषणा की थी. अखिरकार उसका कोई नतीजा नहीं आया. जिसमें भी बड़े पैमाने पर सरकार के जरिए भ्रष्टाचार किया गया है.

1881 पन्नों की इस रिपोर्ट को लेकर अर्थशास्त्री भी सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं. अर्थशास्त्रियों का कहना हैं कि अगर सरकार को क्लीन चिट मिली है तो रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की गई, इस रिपोर्ट के लिए नियम बनाया गया है कि कोई इसकी फोटोकॉपी नहीं कर सकता है ओर ना ही कोई मोबाइल में फोटो ले सकता है.

मेहता ने यह भी आरोप लगाया कि एमबी शाह का रिपोर्ट ऐसी तैयार करवाई गई है, जिससे सरकार को बचाया जा सके, और जहां नहीं बच सके,वहां अलग -अलग रिपोर्ट का हवाला देकर सरकार को सुरक्षित निकाल लिया गया.

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