कालका मंदिर में महिला पुजारी बनने और मंदिर मे आने वाले चढ़ावे को लेकर 2 बहनों और भाई की लड़ाई दिल्ली हाई कोर्ट में दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है. मंगलवार को ही दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल किया था कि कालकाजी मंदिर में महिलाएं सेवा क्यों नही कर सकती और पुजारिन बनने का हक महिलाओं को क्यों नहीं है.
शशिबाला और विजयलक्षमी एक ही परिवार की इन 2 बहनों ने कालकाजी मंदिर में पुजारिन बनने और मंदिर में चढ़ावे में हिस्सेदारी को लेकर याचिका लगाई है कि पुजारी बनने और चढ़ावे लेने का उन्हें भी वही अधिकार मिलना चाहिए जो उनके पुजारी भाई को मिला हुआ है. शशिबाला और विजयलक्ष्मी को कोर्ट इसलिए आना पड़ा क्योंकि भाई ने बिना कोर्ट आए उनकी बात सुनी ही नहीं.
बहनों को प्रताड़ित कर रहा भाई
दिल्ली की निचली कोर्ट ने दोनों बहनों के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसे उसके पुजारी भाई ने हाई कोर्ट में चुनौती दे दी. 2003 से अब तक हर बार कालकाजी मंदिर मे आने वाले चढ़ावे मे शशिबाला और विजयलक्ष्मी को भाई से हिस्सा तभी मिला है जब उन्होंने कोर्ट का रुख किया और खुद कोर्ट ने आदेश दिया. लेकिन अभी तक पुजारी भाई ने मंदिर मे सेवा के अधिकार से बहनों को दूर ही रखा है. कालकाजी मंदिर के इतिहास में कभी कोई महिला पुजारिन नहीं बनाई गई है. शशिबाला ने कहा कि भाई सत्यदेव का व्यवहार बेहद खराब है. मंदिर मे हर जगह उनके लोग बैठे हुए है. हमें तो वो मंदिर की सीढ़ियों पर भी नहीं चढ़ने देते.
15 साल से कोर्ट में मसला
दोनों बहनें उम्र के छठे दशक मे चल रही हैं. दोनों विधवा हैं. उनके पास आय का कोई और जरिया नहीं है. ऐसे मे ये चढ़ावा ही इनके घर का खर्च चलाने का जरिया है, लेकिन अपने हक को अपने ही भाई से लेने के लिए इन्हें 15 साल से लगातार कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है.
शुक्रवार को आ सकता है फैसला
हाई कोर्ट में कालकाजी मे आने वाले चढ़ावे से मंदिर के राखरखाव पर भी सवाल उठे. हाई कोर्ट में बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने ये तक कह दिया कि अगर चढ़ावे के बंटवारे को लेकर इतनी परेशानी है तो क्यों न कालकाजी मंदिर को वैष्णो देवी ट्रस्ट या ऐसे ही किसी और ट्रस्ट को सौंप दिया जाए. दिल्ली हाई कोर्ट ने कालकाजी के पुजारी के वकील से पूछा था कि मंदिरों में महिलाएं पूजा और सेवा क्यों नहीं कर सकतीं? हाई कोर्ट शुक्रवार को इस मामले मे कोई फैसला सुना सकता है.
पूनम शर्मा