दिल्ली की एक कोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगों के एक मामले में आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को जमानत दे दी है. कोर्ट ने कहा कि इसमें उनकी भूमिका 'दूरस्थ प्रकृति की' थी और वह पहले ही तीन साल से अधिक समय हिरासत में बिता चुके हैं. हालांकि ताहिर हुसैन सलाखों के पीछे ही रहेंगे, क्योंकि वह दंगों के अन्य मामलों में भी आरोपी हैं, जिसमें सांप्रदायिक दंगे के पीछे बड़ी साजिश और वित्तपोषण से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग का मामला शामिल है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला खजूरी खास पुलिस स्टेशन में दर्ज एक मामले में हुसैन की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जहां 25 फरवरी 2020 को एक दंगाई भीड़ ने एक दुकान में तोड़फोड़ कर आग लगा दी थी.
कोर्ट ने कहा कि 25,000 रुपये के निजी मुचलके और जमानती बांड तथा इतनी ही राशि की जमानत राशि जमा करने पर जमानत दी जाए. अदालत ने कहा कि जमानत की अन्य शर्तों में यह भी शामिल है कि वह देश नहीं छोड़ेंगे.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में आवेदक (ताहिर हुसैन) की भूमिका कथित तौर पर भड़काने वाले और साजिशकर्ता की है. बेशक वह उस भीड़ का हिस्सा नहीं थे, जिसने दुकान पर हमला किया था. लिहाजा आवेदक की भूमिका, सह-आरोपियों की तुलना में बहुत दूर की प्रकृति की है.
कोर्ट ने कहा कि आवेदक की भूमिका और हिरासत में बिताए गए समय (लगभग तीन साल और 11 महीने) को ध्यान में रखते हुए हमारा मानना है कि आवेदक इस मामले में जमानत का हकदार है.
सुनवाई के दौरान विशेष लोक अभियोजक (Special Public Prosecutor) मधुकर पांडे ने आरोप लगाया कि ताहिर हुसैन इलाके के पार्षद थे और उन्होंने दंगाइयों को भड़काने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया. जबकि ताहिर के वकील ने उनके लिए जमानत मांगते हुए कहा कि उन्हें सांप्रदायिक दंगों के 5 मामलों में पहले ही राहत मिल चुकी है.
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