दिल्ली सरकार के दावों के बावजूद सरकारी स्कूलों मे नहीं मिल रहा दाखिला

दिल्ली सरकार भले ही शिक्षा के क्षेत्र में सुधार का लाख दावा कर रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि दिल्ली में गरीब और कम जानकार लोगों को अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों मे कराने मे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. दिल्ली में सैकड़ों ऐसे मामले हैं जहां सरकारी स्कूल मैनेजमेंट ने बच्चों को दाखिला देने से इंकार कर दिया और इसके पीछे अलग-अलग तरीके के कारण बताए जा रहे हैं. कारण भी ऐसे जिनका दाखिले से कुछ लेना देना नहीं है. 

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सरकारी स्कूल की बिल्डिंग, फाइल फोटो सरकारी स्कूल की बिल्डिंग, फाइल फोटो

विवेक पाठक / अंकित यादव

  • नई दिल्ली,
  • 20 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 12:22 AM IST

दिल्ली सरकार भले ही शिक्षा के क्षेत्र में सुधार का लाख दावा कर रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि दिल्ली में गरीब और कम जानकार लोगों को अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों मे कराने मे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. दिल्ली में सैकड़ों ऐसे मामले हैं जहां सरकारी स्कूल मैनेजमेंट ने बच्चों को दाखिला देने से इनकार कर दिया और इसके पीछे अलग-अलग तरीके के कारण बताए जा रहे हैं. कारण भी ऐसे जो दाखिले के लिए जरूरी नहीं है.

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बाहरी राज्यों के बच्चों को एडमिशन में कठिनाई !

जब हम स्थिति जानने के लिए दिल्ली के कापसहेड़ा इलाके में पहुंचे, तब हमने पाया कि यहां  ऐसे बहुत से बच्चे हैं जिन्हें सरकारी स्कूल में दाखिला देने से इनकार कर दिया गया. बिहार के समस्तीपुर जिले के मनोज कुमार और प्रीती देवी जब दिल्ली रहने आएं तब उन्होंने नहीं सोचा होगा कि इनके बच्चों को दिल्ली के सरकारी स्कूल में दाखिला नहीं मिलेगा. बड़ा बेटा रवि 8वीं की पढ़ाई कर चुका है और नवीं में दाखिला चाहता है. वहीं, छोटा बेटा सतीश 6ठी क्लास में दाखिला चाहता है. लेकिन स्कूल ने यह बोलकर दाखिला देने से इनकार कर दिया कि इनके पास दिल्ली का आवासीय प्रमाण पत्र नहीं है.

इसी तरह पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार में रहने वाले कई परिवारों के बच्चों के साथ दिक्कतें आईं हैं. जहां आधार कार्ड ना होने की वजह से स्थानीय सरकारी स्कूल प्रशासन ने बच्चों को दाखिला देने से इनकार कर दिया.

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हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल !

इस तरीके के 400 मामले दिल्ली हाईकोर्ट के वकील अशोक अग्रवाल के पास पहुंचे. जिसके बाद उन्होंने एक पीआईएल के जरिए हाई कोर्ट में अर्जी लगाई जिसकी सुनवाई शुक्रवार से शुरू होगी.

अशोक अग्रवाल बताते हैं कि राइट टू एजुकेशन के तहत बच्चों को स्कूल में दाखिले के लिए अगर जरूरी कागज पूरे नहीं है तो भी इनकार नहीं किया जा सकता. अब सैकड़ों परिवार कोर्ट की मदद से अपने बच्चों का भविष्य बचाने की गुहार कर रहे हैं. परिजनों को उम्मीद है कोर्ट तो उनकी परेशानियों को सुनेगी और दिल्ली सरकार को आदेश देगी. 

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