भारत कजाकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास, जानिए 'काजिंद-22' के बारे में अहम बातें 

मेघालय में भारत कजाकिस्तान का संयुक्त सैन्य अभ्यास 'काजिंद-22' चल रहा है. दोनों देशों के बीच साल 2016 में वार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास की शुरुआत हुई थी. तब इसे प्रबल दोस्तीक नाम दिया गया था. साल 2018 में इसका नाम बदलकर काजिंद कर दिया गया. इसमें कजाकिस्तान की सेना के दक्षिणी क्षेत्रीय कमान के सैनिक और भारतीय सेना के 11-गोरखा राइफल्स के सैनिक भाग ले रहे हैं.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

अनुपम मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:38 PM IST

भारत कजाकिस्तान का संयुक्त सैन्य अभ्यास 'काजिंद-22' मेघालय के उमरोई में चल रहा है. यह सैन्य अभ्यास भारत और चीन के बीच अरुणाचल सीमा पर तनाव के बीच ही पूर्वोत्तर में शुरू हुआ था, जो कि अभ समापन की ओर है. दोनों देशों के बीच साल 2016 में वार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास की शुरुआत हुई थी. तब इसे प्रबल दोस्तीक नाम दिया गया था. साल 2018 में इसका नाम बदलकर काजिंद कर दिया गया.

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इस सैन्य अभ्यास में कजाकिस्तान की सेना के दक्षिणी क्षेत्रीय कमान के सैनिक और भारतीय सेना के 11-गोरखा राइफल्स के सैनिक भाग ले रहे हैं. सैन्य अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र शांति प्रवर्तन शासनादेश के तहत सकारात्मक सैन्य संबंध को आगे बढ़ाना है. साथ ही एक-दूसरे की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करना और काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन पर कार्य करते हुए एक साथ सैन्य गतिविधियों की क्षमता को बढ़ावा देना है. 

वर्तमान में यह सैन्य अभ्यास बेहद महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है. खासतौर पर ऐसे में जब चीन आंखें दिखाने की कोशिश कर रहा है तो पूर्वोत्तर में इस तरह का सैन्य अभ्यास उन सभी दुश्मनों के लिए एक संदेश है कि हमारी ओर आंख उठाकर देखने की ज़ुर्रत न करें. 

किस तरह पहाड़ों पर विपरीत परिस्थितियों में पेट्रोलिंग की जाती है, कैसे दुश्मन पर घात लगाकर हमला किया जाता है और आतंकियों पर कैसे प्रहार किया जाता है, ये बातें इस सैन्य अभ्यास का हिस्सा हैं. प्रशिक्षण अभ्यास के दौरान दोनों सेनाओं के सैनिक संयुक्त योजना, संयुक्त सामरिक अभ्यास, विशेष हथियार कौशल, एचएडीआर और लक्ष्य पर हमला करने से लेकर विभिन्न मिशनों में शामिल होते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि काजिंद अभ्यास भारतीय और कजाकिस्तान की सेना के बीच रक्षा सहयोग के स्तर को बढ़ाएगा, जो कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ावा देगा.

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