दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को एप आधारित ओला-उबर और दूसरी कैब कंपनियों के खिलाफ फिलहाल कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए हैं. मंगलवार को कोर्ट ने कहा कि किराया और अन्य मुद्दों पर समान नीति बनने कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. यह आदेश तब आया, जब दिल्ली सरकार ने कोर्ट से कहा कि मामले के लंबित होने तक कैब कंपनियों पर कार्रवाई पर रोक लगाई जानी चाहिए.
सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, 'कंपनियों पर भरोसा रखें. वह अदालत के निर्देशों का पालन कर रही हैं.' दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि परिवहन विभाग के अधिकारियों ने मौखिक रूप से कहा है कि जब तक यह मामला अदालत में लंबित है, तब तक इन कैब कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए निर्देश दिया गया है.
उबर की अर्जी पर हो रही सुनवाई
हाई कोर्ट उबर कंपनी की उस अर्जी पर सुनवाई कर रही है, जिसमें सरकार को उनकी कैब का चालान करने की कार्रवाई पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सवाल उठाया कि उसे बताया गया था कि इन कंपनियों को सरकार की कार्रवाई के खिलाफ संरक्षण नहीं दिया गया है, वहीं सरकारी वकील कह रहे हैं कि मामले के लंबित होने तक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.
सरकार ने इससे पहले कोर्ट को बताया था कि इन कंपनियों को सिर्फ इस आधार पर कोई छूट नहीं मिल जाती कि एक समान नीति तय करने के लिए गठित विशेष कमेटी अभी गाइडलाइंस बनाने को लेकर काम कर रही है.
कैब कंपनी ने लगाए ये आरोप
दूसरी ओर, ओला-उबर ने तर्क रखा था कि मीटर न होने को आधार बनाकर उनकी कैब के चालान और कैब को जब्त किया जा रहा है. आरोप लगाया गया कि ऐसा उनकी प्रतिद्वंदी कंपनियों के इशारे पर किया जा रहा है. सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कहा, 'दिल्ली सरकार के वकील ने माना कि सभी सहयोग कर रहे हैं. ऐसे में गठित कमेटी की रिपोर्ट आने तक कैब कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए.'
अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि यदि कोई भी तय नियमों और दिए गए वादों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. 11 अगस्त को हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि 22 अगस्त के बाद कोई भी कैब कंपनी दिल्ली सरकार द्वारा तय की गई दरों से ज्यादा पैसे यात्रियों से नहीं वसूलेगी. हाई कोर्ट ने एक समान नीति बनाने के लिए एक कमेटी का भी गठन करने का आदेश दिया था.
पूनम शर्मा