दिल्ली की सीमाओं पर 42 दिन से धरना दे रहे किसानों को अपने हक के साथ अब कुदरत से भी लड़ाई करनी पड़ रही है. तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने और अन्य मांगों को लेकर किसान यहां डटे हैं. कड़ाके की ठंड के साथ पिछले कुछ दिनों से हो रही बेमौसम बरसात ने किसानों की मुश्किलों को बढ़ाया है लेकिन उनके जोश में कहीं कोई कमी नहीं है.
सिंघु बार्डर पर ट्रैक्टरों पर अस्थाई बसेरों में जमा किसानों के लिए ये मुसीबतों की बरसात से कम नहीं है. टेंटों से पानी टपकने से बिस्तर गीले होने से किसानों का सोना भी मुहाल है, वहीं लकड़ियां गीली होने से लंगर के काम में भी दिक्कत आ रही है. लेकिन इन सब परेशानियों के बीच किसानों के लिए राहत की बात ये है कि दिल्ली और आसपास के इलाकों से मदद के हाथ भी लगातार उनके लिए आगे बढ़ रहे हैं. जगदीश कौर और रश्मीत कौर भी ऐसे ही मददगारों में शामिल हैं. वे खाने का सामान और छाते लेकर सिंघु बॉर्डर पहुंची.
किसानों की तरफ लगातार बढ़ रहे मदद के हाथ
जगदीश कौर ने आजतक से कहा कि खराब मौसम और बरसात के चलते किसानों को दिक्कतें हो रही हैं, इसलिए हम छाते, तेल और जरूरत की दूसरी चीजें लेकर यहां आए हैं. मोदी सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए. पंजाब के मोहाली के रहने वाले किसान कुलबीर सिंह ने पिछले कई हफ्तों से सिंघु बार्डर पर डेरा डाला हुआ है. कुलबीर कहते हैं, “पिछले कुछ दिन से बरसात हो रही है, लेकिन हम किसान हैं और खेतों में काम करते वक्त हर साल ऐसे मौसम को झेलते हैं. महिलाओं और बच्चों के लिए जरूर बारिश से कई परेशानियां हो रही हैं. वह हमारा परिवार हैं, इसलिए हमें उनकी ज्यादा फिक्र है.”
किसानों के इलाज में जुटी डॉक्टरों की टीम
खुले में रहने पर स्वास्थ्य की दिक्कतों को देखते हुए अमृतसर से डॉक्टरों का एक जत्था भी किसानों की मदद में जुटा है. इनकी ओर से किसानों को दवाइयां, इलाज मुहैया कराया जा रहा है. इसी जत्थे से जुड़े डॉ. करनजीत सिंह कहते हैं, "किसी के घुटने में दर्द है, लोगों को ब्लड प्रेशर की दिक्कत हो रही है, कोई सर्दी जुकाम से परेशान है. हमने किसानों को बारिश से बचने और गर्म कपड़े पहन कर रहने की हिदायत दे रहे हैं.”
मोहाली के रहने वाले डॉ. सनी आहलुवालिया और उनकी टीम भी सिंघु बॉर्डर पर किसानों की सेवा कर रही है. डॉ. आहलुवालिया का कहना है, “खराब मौसम से किसानों में एलर्जी बढ़ रही है. अस्थमा, ब्लड प्रेशर की समस्या और शुगर की तकलीफ भी बढ़ रही हैं. गीले जूते-मौजे पहनने से बचने के लिए हम किसानों को और जूते-मौजे मुहैया करा रहे हैं. हम लगातार सामान मंगवा रहे हैं."
बरसात की वजह से लंगर सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं. जहां खाना बनाया जाता था, वहां पानी जमा है. नगर निगम और दिल्ली सरकार की ओर से पानी निकालने और कूड़ा उठाने का प्रबंध तो दिखाई पड़ता है लेकिन कुदरत के आगे सब इंतजाम बौने साबित हो रहे हैं. कई दिन से जारी रहने से साफ-सफाई कितनी भी क्यों न की जाए, कम पड़ रही है. लेकिन ऐसे मुश्किल हालात में भी लंगर की सेवा लगातार जारी है.
जालंधर से आए बलदेव सिंह कहते हैं, “बारिश के चलते लंगर में दिक्कत तो आ रही थी जिसके चलते अनाज गीला हो रहा था लेकिन हमने किसी तरह उसे सुरक्षित बचा लिया. यह बाबा नानक का लंगर है जो कभी बंद नहीं होने वाला चाहे कितनी परेशानियां सामने आएं. पानी जमा होता है तो हम खुद निकालते रहते हैं. रात को बरसात होती है तो सोने में दिक्कत होती है, ऐसे में हम पास के पेट्रोल पंप पर चले जाते हैं.” सिंघु बॉर्डर पर जो भी किसान या उनके परिवार जमा हैं, वे अपनी ओर से खुद ही साफ-सफाई का ध्यान रख रहे हैं. एक दूसरे में जोश भरने के लिए यहां नारों और गानों का सहारा लिया जा रहा है.
वाटरप्रूफ टेंट का हो रहा इंतजाम
सिंघु बॉर्डर पर ऐसे कई मंच है जहां से किसान करीब डेढ़ महीने से अपनी बात कहते आ रहे हैं. लेकिन बारिश ने इस काम में भी बाधा पहुंचाई. ऐसे में सिंघु बॉर्डर पर ऐसे वाटरप्रूफ पक्के टेंट बनाए जा रहे हैं, जिनका बड़ी रैलियों में इस्तेमाल किया जाता है. सड़कों पर ड्रिल करके और लोहे के खंभों के जरिए ये टेंट लगाए जा रहे हैं.
मोहाली से आए कुलवंत सिंह और बलविंदर सिंह भी ऐसे पक्के टेंट बना रहे हैं जिससे आने वाले दिनों में अगर मौसम खराब हो तो भी अधिक दिक्कतों का सामना न करना पड़े. साथ ही लंगर भी अच्छी तरह से चलता रहे. मोहाली में एक गांव के प्रधान कुलवंत सिंह ने वाटरप्रूफ टेंट के लिए खुद 1 लाख रुपए खर्च किए हैं. वहीं बलविंदर सिंह कहते हैं, "सरकार सिर्फ तारीख पर तारीख दे रही है इसलिए हमारी लड़ाई अभी लंबी होने वाली है, लड़ाई लंबी है तो तैयारियां भी मजबूत करनी होंगी.”
मच्छरों और संक्रमण से बचने के लिए फॉगिंग मशीन
एक और किसान अवतार सिंह ने सिंघु बॉर्डर पर मच्छरों का प्रकोप बढ़ने की शिकायत की. अवतार सिंह ने कहा, “मच्छर परेशान कर रहे हैं, मौसम खराब है तो दूसरी दिक्कतें भी हो रही हैं लेकिन बाबा जी की कृपा रहेगी." कड़ाके की ठंड जारी है, इसलिए बुजुर्ग किसानों को तंबुओं के अंदर या ट्रैक्टरों पर बने अस्थाई बसेरों में ही अधिक वक्त बिताने की हिदायत दी जा रही है. जलभराव की वजह से मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियां और संक्रमण फैलने का खतरा है. इसके लिए सिंघु बॉर्डर पर कैमिकल फॉगिंग मशीन का भी इंतजाम किया गया है. इसका धुआं तंबुओं, ट्रैक्टरों और लंगर के इलाकों के आसपास छिड़का जा रहा है.
फॉगिंग मशीन मोहाली के रहने वाले संतोष सिंह लेकर आए हैं. संतोष सिंह के मुताबिक कुछ दोस्तों की मदद से इन मशीनों की व्यवस्था की गई. संतोष सिंह कहते हैं कि किसानों की जरूरत के हर सामान को जुटाने की कोशिश की जा रही है.
ट्रैक्टर परेड की रिहर्सल
किसान अब ट्रैक्टर परेड की तैयारी कर रहे हैं, जिसके लिए पंजाब, हरियाणा और दूरदराज के राज्यों से ट्रैक्टर दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर लाने की तैयारी की जा रही है. पेरीफेरल एक्सप्रेसवे पर ये परेड की जाएगी. किसानों के मुताबिक पहले इसकी रिहर्सल होगी और 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड की जाएगी.
आशुतोष मिश्रा