राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में केजरीवाल सरकार और दिल्ली नगर निगम के बीच विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. पूर्वी दिल्ली नगर निगम के नए फरमान ने इस तनाव को और भी बढ़ा दिया है. इस फरमान में कहा गया कि अब इलाके में पार्षद की मंजूरी के बिना सांसद और विधायक किसी भी तरह का विकास कार्यों नहीं करा सकेंगे.
नए फरमान के बाद से यह तय माना जा रहा है कि इस मामले को लेकर केजरीवाल सरकार और दिल्ली नगर निगम एक बार फिर से आमने-सामने आ सकते हैं. इससे पहले भी कई मसलों पर दिल्ली सरकार और नगर निगम आमने-सामने आ चुके हैं.
पूर्वी दिल्ली नगर निगम की ओर से जारी सर्कुलर के मुताबिक अब कोई भी सांसद और विधायक इलाके के पार्षद की मंजूरी के बिना कोई भी काम नहीं करा सकेंगे. इसका मतलब यह हुआ कि इलाके में जो भी विकास के कार्य होंगे, उसकी कार्य योजना बनाने से लेकर कार्य आदेश, शिलान्यास और उद्धाटन होने तक में पार्षदों की मंजूरी लेनी होगी.
इतना ही नहीं, इलाके में जो विकास कार्य होने वाले हैं या हो चुके हैं, उनके शिलापट्ट पर पार्षद का भी नाम अंकित करना होगा. इस संबंध में पूर्वी नगर निगम के प्रमुख अभियंता द्वारा सभी निगम अधिकारियों को सर्कुलर जारी कर सूचना दे दी गई है.
संविधान में 1992 में हुए 74वें संशोधन में इसकी व्यवस्था की गई है, लेकिन अभी तक इसका पालन नहीं हो पा रहा था. दरअसल, ये बात तब सामने आई, जब कई पार्षदों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी. इसमें आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों द्वारा दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों से कोई भी काम करवा लिया जाता था और पार्षदों को इसकी जानकारी भी नहीं होती थी. इसको लेकर पर्षादों में नाराजगी थी.
दिल्ली नगर निगम के मुताबिक पहले कोई भी विधायक निगम के इंजीनियर को बुलाकर अपने फंड से होने वाले विकास कार्यों को अपने तौर पर करवा लेते थे, लेकिन पार्षदों को इसका पता ही नहीं होता था यानी विकास कार्य की अनुमानित लागत से लेकर उसके कार्य आदेश तक के काम निगम के जूनियर इंजीनियर ही करते हैं, लेकिन उसमें पार्षद को भागीदार बनाना तो दूर शिलापट्ट पर नाम तक नहीं लिखा जाता था, जिसे लेकर कई बार हंगामा भी हो चुका है.
किसी भी विकास कार्य के शिलान्यास और उद्घाटन के समय शिलापट्ट पर जो नाम लिखे जाते हैं, उस पर अब पार्षद के नाम भी शामिल होंगे. पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मेयर बिपिन बिहारी सिंह का कहना है कि ऐसा नहीं है कि हमने कोई नया काम किया है, बल्कि अधिकार हमारे पास था, लेकिन उसका पालन नहीं किया रहा था. अब इलाके के पार्षद के मंजूरी के बाद ही कोई भी काम करवाया जा सकेगा.
इससे पहले हाल ही में दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट विभाग ने नई गाड़ी खरीदने के दौरान रजिस्ट्रेशन के साथ लगने वाला वन टाइम पार्किंग चार्ज को कई गुना बढ़ा दिया था, लेकिन कुछ दिन बाद ही दिल्ली सरकार ने अपने इस आदेश को रद्द कर दिया था. इसको लेकर दिल्ली सरकार और नगर निगम में टकराव की नौबत आ गई थी.
रोहित मिश्रा