दिल्ली के मायापुरी इलाके में स्क्रैपिंग का काम तो बंद है लेकिन दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में इनको फिर खोल दिया गया है. आवासीय इलाकों में चल रही इन यूनिट्स के चलते आम लोगों को प्रदूषण की दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. सोसायटी फॉर अल्टरनेटिव फ्यूल एंड एनवायरमेंट नाम की एनजीओ ने आम लोगों की इन्हीं दिक्कतों को देखते हुए एनजीटी में एक याचिका लगाई है. मायापुरी से दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर शिफ्ट हुई स्क्रैपिंग यूनिट्स को बंद कराने के लिए याचिका लगाई गई है.
एनजीओ की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सांकला ने कोर्ट को बताया कि मामला सिर्फ स्क्रैपिंग यूनिट्स के नई जगह शिफ्ट होने तक ही सीमित नहीं है बल्कि पुराने वाहनों को लेकर बनाई गई गाइडलाइंस का पालन भी दिल्ली में नहीं हो रहा है. यहां तक कि डीटीसी की पुरानी बसों और सरकारी विभागों की पुरानी गाड़ियों को भी सही ढंग से स्क्रैप नहीं किया जा रहा है, जो सीधे-सीधे एनजीटी के आदेशों की अवमानना है.
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सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि दिल्ली सरकार ने डीपीसीसी के साथ मिलकर एनजीटी को यह हलफनामा तो दे दिया कि मायापुरी इलाके से स्क्रैपिंग यूनिट्स को बंद करा दिया गया है लेकिन वो और कहां-कहां खुल गई हैं, इसको लेकर सरकार की तरफ से कोर्ट को कोई जानकारी नहीं दी गई. आवासीय इलाकों में खुलेआम चल रही इन स्क्रैपिंग यूनिट्स को लेकर एनजीटी ने सरकार और संबंधित विभागों पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में वह जल्द ही गाइडलाइंस के पालन को लेकर संबंधित विभागों और सरकार को दिशा-निर्देश जारी करेंगे.
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मायापुरी स्क्रैप यूनिट्स को बंद कराने का मामला उस वक्त उठा था जब मायापुरी में केमिकल का रिसाव हुआ था. दरअसल मायापुरी के कबाड़ मार्केट के आसपास कई रिहायशी कॉलोनियां थीं. ऐसे में आम लोगों की सुरक्षा को देखते हुए एनजीटी ने इनको खाली कराने के आदेश दिल्ली सरकार को दिए थे लेकिन अब सवाल यह है कि मायापुरी से तो स्क्रैप यूनिट्स बंद हो गईं लेकिन दिल्ली के बाकी इलाकों में नई-नई खुलती स्क्रैप यूनिट्स को बंद कराने का काम कौन करेगा.
पूनम शर्मा