कोर्ट के दो आदेशों के बीच फंसा मिलेनियम बस डिपो का अस्तित्व

सात साल पुराना मिलेनियम बस डिपो यमुना तट पर रहेगा या हटेगा, यह सवाल सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के दो आदेशों के बीच फंस गया है. सुप्रीम कोर्ट पहले ही साफ कर चुका है कि या तो दिल्ली सरकार को डिपो यहां से हटाना होगा, या फिर लैंड यूज को बदलना होगा.

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मिलेनियम बस डिपो मिलेनियम बस डिपो

पूनम शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 6:04 AM IST

सात साल पुराना मिलेनियम बस डिपो यमुना तट पर रहेगा या हटेगा, यह सवाल सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के दो आदेशों के बीच फंस गया है. सुप्रीम कोर्ट पहले ही साफ कर चुका है कि या तो दिल्ली सरकार को डिपो यहां से हटाना होगा, या फिर लैंड यूज को बदलना होगा.

दिल्ली सरकार और डीडीए का कोर्ट में कहना है कि एऩजीटी का आदेश है कि यमुना बैंड पर किसी भी तरह के निर्माण की इजाजत नही है, इसलिए लैंड यूज को तब तक नही बदला जा सकता, जब तक कि एनजीटी अपने इस आदेश को वापस न ले ले.

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एनजीटी ने सुनवाई के दौरान डीडीए को मिलेनियम बस डिपो रिलोकेट करने के मुद्दे पर जवाब दायर करने के लिए एक हफ्ते का समय और दिया है. यमुना के फल्डप्लेन पर बने मिलेनियम बस डिपो को रिलोकेट करने में डीडीए पहले भी असमर्थता जाता चुका है. डीडीए ने कहा कि NGT के पिछले आदेश के चलते रिलोकेट करने पर रोक लगी है, यानि कि अब अगली सुनवाई पर डीडीए के जवाब के अलावा ये भी साफ होगा कि एनजीटी का इस पर क्या रुख है, क्या एनजीटी अपने पुराने आदेश को वापस लेगा या फिर मिलेनियम डिपो हटाया जाएगा.

मिलेनियम बस डिपो को यमुना बैंड से हटाने में सबसे बड़ी समस्या ये भी आ रही है कि डीडीए के पास इतनी बड़ी जगह दिल्ली में कहीं और नहीं है. अगर मिलेनियम डिपो को यहां से हटाया गया, तो कई टुकडों में कई जगह डिपो को शिफ्ट करना पड़ेगा. दिल्ली सरकार जहां दिल्ली में बसों को और बढ़ाने की बात कर रही है, ऐसी सूरत में मिलेनियम डिपो ऐसी जगह है, जहां से पूरी दिल्ली के लिए कनेक्टिविटी आसान है. मिलेनियम बस डिपो को 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान 100 करोड़ रुपये खर्च करके बनाया गया था.

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