केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की भर्ती में महिला से भेदभाव करने के आरोपों को लेकर दायर जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और CISF को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच में दायर इस जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि CISF में ड्राइवर समेत कुछ पदों पर महिलाओं को नौकरी नहीं दी जा रही है, जो मौलिक अधिकारों का हनन है.
कोर्ट ने केंद्र और सीआईएसएफ को अपने जवाब में यह बताने के लिए कहा कि आखिर महिलाओं को नौकरी देने में भेदभाव क्यों किया जा रहा है? यह याचिका कुश कालरा ने दायर की है. याचिकाकर्ता के वकील चारू वालीखन्ना ने कहा कि सरकार सीआईएसएफ की भर्ती में महिलाओं के साथ भेदभाव कर रही है.
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में यह भी कहा गया कि बिना किसी तार्किक आधार के सांस्थानिक भेदभाव कर रहे हैं और महिलाओं को उन पदों पर काम करने के अधिकार से वंचित कर रहे हैं. सरकार ऐसा कोई कानून नहीं बना सकती है, जो मौलिक अधिकारों के विरुद्ध हो और नतीजतन प्रतिवादी अपने कामकाज के लिए ऐसे कोई कानून, नियम, उप कानून, नियमन नहीं बना सकते हैं, जो मौलिक अधिकारों से असंगत हों.
याचिकाकर्ता का दावा है कि सीआईएसएफ सिपाही/ड्राइवर और सिपाही/ड्राइवर सह पंप ऑपरेटर पद पर सिर्फ पुरुषों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया है. याचिका में इस विज्ञापन को रद्द करने की मांग की गई है, क्योंकि यह न सिर्फ महिलाओं के समानता के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि उनके मानवाधिकारों का भी हनन है.
राम कृष्ण / पूनम शर्मा