दिल्ली: DERC की बैठक में भिड़े BJP और AAP विधायक, जमकर की नारेबाजी

बैठक में बीजेपी विधायक और आम आदमी पार्टी के विधायक आपस में भिड़ गए. बैठक हॉल में जमकर नारेबाजी हुई. पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली में फिक्स चार्ज कम होने चाहिए. इस पर डीईआरसी को जनसुनवाई करने के लिए कहा गया था.

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आम आदमी पार्टी का विरोध प्रदर्शन (फाइल फोटो) आम आदमी पार्टी का विरोध प्रदर्शन (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 3:37 PM IST

दिल्ली में बिजली के बढ़े हुए फिक्स चार्ज को लेकर के दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) की ओर से जनसुनवाई की जा रही है. इस बैठक में बुधवार को बीजेपी विधायक और आम आदमी पार्टी के विधायक आपस में भिड़ गए. बैठक हॉल में जमकर नारेबाजी हुई. दरअसल, पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली में बिजली के फिक्स चार्ज कम होने चाहिए. इस पर डीईआरसी को जनसुनवाई करने के लिए कहा गया था. पिछले साल फरवरी के महीने में डीईआरसी ने दिल्ली में फिक्स चार्ज में इजाफा किया था.

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आप विधायकों ने पिछले 4 साल में बिजली के दामों में इजाफा न होने की बात कही और देश की राजधानी दिल्ली में सबसे सस्ती बिजली होने का दावा किया. इसी दावे पर बीजेपी विधायक और जमकर हंगामा किया. हंगामा इस कदर बढ़ा कि जनसुनवाई के लिए बनाया गया मंच राजनीति का अखाड़ा बन गया. एक दूसरे के खिलाफ जमकर नारेबाजी की बात हाथापाई तक पहुंच गई.

कुछ विधायक टेबल पर ही चढ़ गए. दोनों दलों के विधायक एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लागते रहे और मीटिंग 2 घंटे तक शुरू नहीं हो पाई. आरडब्लूए के मेंबर्स की मानें तो वे दिल्ली में बढ़े हुए फ्रीचार्ज को ले करके अपनी बात रखने के लिए आए थे.

इसी से जुड़े मामले में दिल्ली हाई कोर्ट 17 जुलाई को दिल्ली में बिजली के बिल की रिडिंग से संबंधित नियमों में फेरबदल करने की याचिका पर सुनवाई करेगा. दिल्ली बिजली नियम समिति (सप्लाई कोड एंड परफॉर्मेस स्टेंडर्ड्स) अधिनियम 2017 में संशोधन की मांग करते हुए वकील संजना गहलोत और हरज्ञान गहलोत की ओर से दायर याचिका पर अदालत सुनवाई करेगी.

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याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम 17 (4) (प्रथम) और (तृतीय) में संशोधन करने की याचिका दायर की है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रदेश सलाहकार समिति और डीईआरसी राष्ट्रीय राजधानी के उपभोक्ताओं और नागरिकों के हितों की रक्षा करने में नाकाम रहे हैं. याचिका में आगे लिखा है कि बिजली लोड की रिडिंग के लिए सभी 12 महीनों की नहीं बल्कि चार महीने के औसत की गणना होती है, जिस कारण निकाला गया औसत वास्तविक औसत से ज्यादा है.

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