सस्ता पड़ेगा महंगा! खतरनाक हो सकता है सड़क किनारे की वाटर ट्रॉलियों का पानी

दिल्ली की सड़क किनारे लगने वाले वाटर ट्रॉलियों का पानी पीना सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है क्योंकि यह बहुत साफ-सुथरे नहीं होते.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

स्मिता ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 12:19 AM IST

शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने दिल्ली की तपती गर्मी से बचने के लिए सड़क किनारे जगह-जगह महज 2 रुपए में मिलने वाले ठंडे पानी का सहारा नहीं लिया होगा. तेज धूप और उमसभरी गर्मी से निजात पाने का इससे सस्ता और सरल विकल्प और कोई नहीं है.

आम आदमी के लिए ब्रांडेड ठंडे पानी की बोतलें खरीदना उनकी जेबों में छेद करने के बराबर है. इसलिए राजधानी की जनता आमतौर पर हर जगह लगे पानी के ठेलों से 2 रुपए में मिलने वाले एक गिलास ठंडे पानी से अपनी प्यास बुझा लेते हैं. पानी पीने वाले को लगता है कि अगर देश की राजधानी की नगर पालिका ने इसका लाइसेंस दिया है तो इन ठेलों पर मिलने वाला पानी शुद्ध और पीने योग्य होगा.

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अगर आपने ऐसा सोचा है तो यह खबर आपको सोचने पर मजबूर कर देगी. आपको जान कर हैरानी होगी कि एमसीडी द्वारा लाइसेंस प्राप्त 572 पानी की ट्रॉलियों की जब जांच की गई तो पता चला कि इनमे से एक भी ट्राली ऐसी नहीं है जिसमे पीने योग्य पानी मिलता हो.

नार्थ दिल्ली म्युनिसिपल कॉपरेशन के नोडल अथॉरिटी द्वारा गर्मियों में गंदे पानी से होने वाली बीमारियों के रोकथाम के लिए एक जांच समिति बनाई गई जिसने जब इन पानी की ट्रॉलियों की जांच की तो सभी ट्रालियां इसमें फेल हो गई.

नगर पालिका ने 1623 ट्रॉलियों को लाइसेंस दिया हुआ है और ऐसी ट्रालियां दिल्ली के प्रमुख इलाकों जैसे कनॉट प्लेस, इंडिया गेट, सरोजनी नगर मार्किट और कई जगहों पर सड़क किनारे खड़े मिल जाएंगे. ये ट्रालियां दिल्ली के रामनगर मार्किट में बनाई जाती हैं और पानी भरने का काम भी सदर बाजार, राम नगर मार्किट और दूसरे जगहों पर किया जाता है. हमने भी राम नगर बाजार में जा कर ऐसी फैक्ट्री का जायजा लिया जहां से ट्रालियां पानी भरती हैं.

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रामनगर बाजार में कई सालों से पानी की फैक्ट्री चला रही मिसेस रत्ना का कहना है कि एमसीडी की और डॉक्टरों की टीम कुछ महीनों के अंतराल पर हर वाटर फैक्ट्री का मुआयना करती है और सब कुछ सही पाए जाने पर ही उनको लाइसेंस दिया जाता है. ऐसे में एमसीडी की ही मॉनिटरिंग कमिटी की जांच में पानी की गंदी क्वालिटी का पाया जाना अपने आपमें कई सवाल उठाता है और रत्ना से जब हमने ये सवाल पूछा तो उन्होंने महज सिर हिला कर यह सवाल टाल दिया.

जांच के लिए बनाई गई मॉनिटरिंग कमिटी की चेयरपर्सन वीना वेरमणी का कहना है कि अभी इन ट्रॉलियों को चेतावनी देकर छोड़ा गया है और कुछ दिनों के बाद दोबारा औचक निरीक्षण कराया जाएगा. अगर उस समय जांच में भी इन ट्रॉलियों में गंदा पानी मिला तो इनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. विणा वेरमणी ने साफ किया, 'हम राजधानी की जनता के सेहत के साथ खिलवाड़ नही होने देंगे, साफ पानी सस्ते दाम में मुहैया कराने का हमारा मकसद था, पर  अगर कोई अपने मुनाफे के लिए इस तरके का काम करता है तो उसको बक्शा नहीं जाएगा.'

आम आदमी को गरमी से कुछ पल की राहत देने के इरादे से शुरू की गई इन ठंडे पानी की ट्रालियों का इस्तेमाल दिल्ली का हर तबका करता है. सस्ता और शुद्ध पानी मुहैया कराने के वायदे से इन ट्रॉलियों की शुरुआत हुई थी पर अब ये सस्ते के बजाए घाटे का सौदा बनता जा रहा है क्योंकि गंदा पानी कई तरह की गंभीर बीमारियों का मुख्य कारण है. ऐसे में राजधानी की आम जनता के साथ हो रहे इस खिलवाड़ का जिम्मेदार कौन है एक बड़ा सवाल है.

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