डोर स्‍टेप डिलीवरी: 'मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना' पर SC में केंद्र-केजरीवाल सरकार आमने-सामने

केंद्र सरकार ने कहा है कि दिल्‍ली में मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना (Mukhyamantri ghar ghar ration yojana) के कारण एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (One nation one ration card) योजना के कार्यान्वयन पर असर होगा.

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केजरीवाल की मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना पर केंद्र सरकार ने उठाए सवाल केजरीवाल की मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना पर केंद्र सरकार ने उठाए सवाल

संजय शर्मा

  • नई दिल्‍ली ,
  • 09 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:49 PM IST
  • SC में केंद्र ने दायर की याचिका
  • राशन डीलरों ने भी HC के आदेश को चुनौती दी
  • 12 नवम्‍बर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

आम आदमी पार्टी (Aam aadmi party) की डोर स्‍टेप डिलीवरी स्‍कीम 'मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना' (Mukhyamantri ghar ghar ration yojana) पर केंद्र सरकार और केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) आमने-सामने आ गए हैं. इस योजना के खिलाफ केंद्र की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शुक्रवार को सुनवाई होगी.

दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को केंद्र ने चुनौती दी है, केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के उल्लंघन में एक समानांतर PDS चलाने का प्रयास है. जिसका लाभार्थियों पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है. वहीं केंद्र ने अपनी याचिका में ये भी कहा है कि HC ने दिल्ली सरकार की योजना के हानिकारक प्रभाव पर केंद्र को सुने बिना योजना को लागू करने की अनुमति दी है.

ये योजना जरूरतमंदों को राशन वितरण पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत चलती है. केंद्र ने इस मामले में ये भी दलील दी है कि इसके महत्वपूर्ण प्रतिकूल प्रभावों में से एक "एक राष्ट्र एक राशन कार्ड" योजना के कार्यान्वयन पर असर होगा. जिसे केंद्र सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को लाभान्वित करने के लिए शुरू किया था. इस योजना के तहत जो भारत में कहीं भी अपने कार्यस्थल पर है. वह राशन की दुकानों से बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण से राशन प्राप्त कर सकते हैं. केंद्र के अलावा राशन डीलरों ने भी हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है. 

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केंद्र सरकार ने केजरीवाल सरकार पर लगाए ये आरोप 
केंद्र ने AAP सरकार पर राशन की दुकानों पर ePOS मशीनें लगाने और 'एक राष्ट्र एक राशन कार्ड' योजना को लागू करने में विफल रहने का आरोप लगाया है. केंद्र का कहना है  कि दिल्ली सरकार अब इन मामलों में अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए अब NFSA (National Food Security Act) के उल्लंघन में एक नई योजना शुरू करने का प्रयास कर रही है.  

क्‍या था दिल्‍ली हाईकोर्ट का फैसला?
दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को लोगों को घर में राशन पहुंचाने को मंजूरी दी थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि उचित दर पर दुकानों में राशन की कमी नहीं होनी चाहिए. हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वह सभी उचित मूल्य की दुकानों  को उन कार्डधारकों की जानकारी दें, जिन्होंने घर पर ही राशन प्राप्त करने का विकल्प चुना है.

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कोर्ट ने कहा कि इसके बाद उचित मूल्य के दुकानदारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के उन लाभार्थियों को राशन की आपूर्ति करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. जिन्होंने घर पर ही राशन प्राप्त करने का विकल्प चुना है. ऐसे में इन दुकानों पर ऐसे लोगों का राशन भेजे जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. जस्टिस  विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने कहा था हम इसलिए 22 मार्च 2021 को दिए अपने आदेश में संशोधन किया है. 


 

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