दिल्ली में रेहड़ी-पटरी कानून होगा लागू, मिलेगा लाइसेंस

देश की राजधानी दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने वर्षों से लंबित रेहड़ी-पटरी संचालकों को कानूनी दर्जा देने के लिए टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन कर दिया है. इस संबंध में दिल्ली सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया.

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अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो) अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

पंकज जैन

  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:23 AM IST

  • दिल्ली में रेहड़ी-पटरी कानून होगा लागू
  • रेहड़ी-पटरी वालों को मिलेगा लाइसेंस

देश की राजधानी दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने वर्षों से लंबित रेहड़ी-पटरी संचालकों को कानूनी दर्जा देने के लिए टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन कर दिया है. इस संबंध में दिल्ली सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया. पूरी दिल्ली में 28 वेंडिंग कमेटी का गठन हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन किया गया है.

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इसके साथ ही पूरे देश में दिल्ली पहला राज्य होगा, जिसने रेहड़ी-पटरी संचालकों को कानूनी रूप दिया है. अभी तक यह व्यवस्था हांगकांग समेत दुनिया के कुछ बड़े शहरों में थी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि एक वेंडिंग कमेटी में तीस सदस्य हैं, जिनमें से 12 वेंडर है जो प्रक्रिया से चुने गए हैं. इनमें पुलिस अधिकारी, यातायात पुलिस अधिकारी, टाउन प्लानर, बाजार एसोसिएशन पदाधिकारी, रेहड़ी-पटरी संचालक होंगे.

दिल्ली सीएम ने बताया कि ज्यादातर टाउन वेंडिंग कमेटी के सदस्यों का चयन हो गया है. अब इस कमेटी की जिम्मेदारी दिल्ली में रेहड़ी-पटरी वालों का सर्वे करना होगा. सर्वे के बाद रेहड़ी-पटरी वालों को सर्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग दिया जाएगा. इस सर्टिफिकेट के आधार पर ही आगे लाइसेंस दिया जाएगा. जिसके बाद उन्हें दुकान का संचालन करने से पुलिस और एमसीडी रोक नहीं सकती है.

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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'कानूनी दर्जा न होने के कारण रेहड़ी-पटरी वालों को कई सारी एजेंसियां परेशान करती रही हैं. इसके अलावा व्यवस्थित न होने की वजह से लोगों को ट्रैफिक और गंदगी का भी सामना करना पड़ता है. इन दोनों ही समस्याओं को हमें दिल्ली से खत्म करना है.

टाउन वेंडिंग कमेटी की पहली बैठक

टाउन वेंडिंग कमेटी गठन होने के बाद अब नगर निगम को रेहड़ी-पटरी संचालकों का सर्वे करना होगा. कैबिनेट मंत्री सतेंद्र जैन ने सोमवार को सभी निगमों के साथ बैठक कर एक सप्ताह में टाउन वेंडिंग कमेटी (TVC) की मीटिंग बुलाई है और सर्वे शुरू करने की बात कही है. साथ ही पूरी दिल्ली में दो महीने में सर्वे का काम पूरा करने को कहा गया है.

कहां होगा रेहडी-पटरी का संचालन

सर्वे का काम पूरा होने के साथ ही वेंडरों को सर्टिफिकेट देने का काम भी पूरा हो जाएगा. सर्टिफिकेट में इस बात का जिक्र होगा कि रेहड़ी-पटरी का संचालन कहां होगा. सर्टिफिकेट में संचालक की ओर से बेचे जाने वाले सामान की जानकारी भी होगी. साथ ही जोन और लोकेशन के बारे में विस्तार से डिटेल होगी. संचालक के नाम, पता समेत पूरी जानकारी भी होगी.

दिल्ली के लोगों को भी फायदा

कोई भी नया व्यक्ति अब बिना टाउन वेंडिंग कमेटी को अप्लाए किए कहीं भी नहीं बैठ पाएगा. टाउन वेंडिंग कमेटी जहां जगह होगी, वहीं पर नए लोगों को बिठाएगी. जिससे पूरा सिस्टम व्यवस्थित होगा और ट्रैफिक की समस्या का भी समाधान होगा.

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सर्वे में जानकारी

- दिल्ली में किस क्षेत्र में कितने रेहड़ी-पटरी संचालक हैं.

- सभी रेहड़ी-पटरी संचालक की विस्तृत जानकारी

- वह किस तरह के दुकान का संचालन कर रहे हैं.

- दुकान पर कितने लोग आते हैं.

- किस क्षेत्र में कितनी दुकानों की आवश्यकता है.

- किन जगहों पर रेहड़ी-पटरी का संचालन होना चाहिए.

हटाए गए रेहड़ी-पटरी संचालक भी कर सकेंगे आवेदन

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली में पिछले तीन-चार साल में जिन रेहड़ी-पटरी संचालकों को हटाया गया है, वह भी टाउन वेंडिंग कमेटी के पास आवेदन कर सकते हैं. साथ ही नए बाजार लगाने की इजाजत भी टाउन वेंडिंग कमेटी को ही देनी है. वेंडर कमेटी के पास ही यह सारा अधिकार होगा कि रेहड़ी-पटरी को किन जगहों पर लगाया जाए.

दिल्ली की लाइफ लाइन हैं रेहड़ी-पटरी

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'किसी भी बड़े शहर में आज रेहड़ी-पटरी लाइफ लाइन हो गई हैं . साथ ही यह शहर के विकास और रोजगार देने का बड़ा साधन बनकर उभरे हैं. हांगकांग जैसे दुनिया के बड़े शहरों में भी स्ट्रीट वेंडर्स हैं. वह विकास में बड़ा योगदान दे रहे हैं. साथ ही शहर की लाइफ लाइन बने हैं. दिल्ली में भी ऐसा ही है. यहां के लोगों की दैनिक आवश्यकता पूरी करने के साथ रेहड़ी-पटरियों से लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है.'

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दिल्ली के सीएम ने कहा कि एक दिन के लिए भी रेहड़ी-पटरी को हटा दिया जाए तो सब्जी से लेकर कई जरूरी सामान घर में आने बंद हो जाएंगे. एक तरह से सामान्य जन-जीवन ठप हो जाएगा. बहुत से जरूरी सामान के लिए लोगों को भटकना पड़ेगा.

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