छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सटे राजिम नगर पंचायत के चरौदा गांव में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. गांव के ही 40 वर्षीय अमरौतिन साहू की बीमारी के चलते मौत हो गई, जिसके बाद उसके परिवार वाले उसका अंतिम संस्कार करने नवनिर्मित श्मशान घाट पहुंचे. पर वहां उनको इसलिए अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया, क्योंकि संबंधित विभाग के मंत्री ने श्मशान घाट का लोकार्पण नहीं किया है.
परिजनों को मजबूरन अमरौतिन साहू का अंतिम संस्कार खुले में करना पड़ा. ग्रामीणों के मुताबिक लंबे समय से सरपंच के द्वारा यहां अंतिम संस्कार करने नहीं दिया जा रहा है. इतना ही नहीं, जिस ठेकेदार ने श्मशान घाट का निर्माण किया, उसे भी आधी-अधूरी रकम मिल पाई है. लिहाजा ठेकेदार भी अड़ा हुआ कि जब तक श्मशान घाट के निर्माण की पूरी रकम उसे नहीं मिल जाती है, तब तक वो किसी को भी श्मशान घाट का उपयोग नहीं करने देगा. उसने श्मशान में ताला जड़ रखा है.
श्मशान में अंतिम संस्कार नहीं करने देने का यह पहला मामला नहीं है. महीने भर में लगभग आधा दर्जन लोगों को श्मशान घाट में मृतक की लाश जलाने और अंतिम संस्कार पूरा करने नहीं दिया गया. श्मशान घाट में पुख्ता बंदोबस्त नहीं होने के चलते लोगों को शव के दाह संस्कार के लिए दो-चार होना पड़ रहा है. इस घटना को लेकर लोग में जमकर आक्रोशित है.
छत्तीसगढ़ सरकार ने रोजगार गारंटी योजना के तहत इस गांव में श्मशान घाट निर्माण कराया था. करीब पांच लाख की लागत वाले इस श्मशान घाट के निर्माण पर व्यय रकम का आधा हिस्सा यानी करीब ढाई लाख रुपये ठेकेदार को मिल चुके हैं, जबकि बाकी रकम लालफीताशाही के चलते ठेकेदार को नहीं मिल पाई है. ठेकेदार के सुपरवाइज़र बीएल साहू के मुताबिक बकाया रकम देने में अफसर आनाकानी कर रहे है.
उनके मुताबिक कुछ बाबू कमीशन भी मांग रहे है. इससे बिल पास नहीं हो पाया. उधर, निर्माण कार्य पूरा होने की सूचना ग्रामीण विकास विभाग को मिलने के बाद नवनिर्मित श्मशान घाट के लोकार्पण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई. हालांकि अभी तक लोकार्पण इसलिए नहीं किया जा सका, क्योंकि मंत्रीजी ने समय नहीं दिया. नतीजतन नवनिर्मित श्मशान घाट में शवों को जलाने की अघोषित पांबंदी पंचायत ने लगाईं हुई है. इससे ग्रामीणों की नाराजगी बढ़ती चली जा रही है.
राम कृष्ण / सुनील नामदेव