अमेरिका से वापस आए स्वामी सहजानन्द सरस्वती से जुड़े दस्तावेज

स्वामी सहजानन्द सरस्वती (1889-1950) को भारत में किसान आन्दोलन के जनक कहा जाता है. वे एक बुद्धिजीवी, लेखक, समाज-सुधारक, क्रान्तिकारी, इतिहासकार एवं किसान-नेता थे.

Advertisement
सुशील मोदी सुशील मोदी

रोहित / सुजीत झा

  • पटना,
  • 01 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 10:12 PM IST

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि स्वामी सहजानन्द सरस्वती के नाम पर भव्य स्मारक व शोध संस्थान बनना चाहिए. इसे बनाने के लिए उन्होंने सरकारी सहयोग देने की बात भी कही. वे 'स्वामी सहजानन्द सरस्वती से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेजों की पुनः वापसी समारोह' में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे.

स्वामी सहजानन्द सरस्वती (1889-1950) को भारत में किसान आंदोलन के जनक कहा जाता है. वे एक बुद्धिजीवी, लेखक, समाज-सुधारक, क्रान्तिकारी, इतिहासकार एवं किसान-नेता थे. स्वामी सहजानन्द सरस्वती आदि शंकराचार्य सम्प्रदाय के दसनामी संन्यासी अखाड़े के दंडी संन्यासी थे. स्वामी जी ने 'हुंकार' नामक एक पत्र भी प्रकाशित किया.

Advertisement

50 और 60 के दशक में शोधकर्ता वाल्टर हाउजर द्वारा विदेश ले जाए गए स्वामी जी से संबंधित दस्तावेजों की पुनः वापसी पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सीताराम ट्रस्ट के सचिव डा. सत्यजीत सिंह व रिसर्चर कैलाश चन्द्र झा को धन्यवाद दिया और कहा कि इन दस्तावेजों का बेहतर संरक्षण व प्रदर्शन होना चाहिए. विगत सौ साल में बाबू कुंवर सिंह के बाद जो बड़ा नाम दिखाई पड़ता है वह स्वामी सहजानंद सरस्वती का ही है.

पटना में आयोजित इस समारोह में मोदी ने कहा कि बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय द्वारा पांच खंड में ‘किसान आंदोलन इन द रिकार्ड ऑफ बिहार स्टेट अर्काइव’ का प्रकाशन किया गया है. आरा में स्वामी जी की भव्य मूर्ति लगने जा रही है.

बिहार में  जिनकी जमीन है उनमें से अधिकांश खेती नहीं करते हैं. खेती करने वाले किसानों को जमीन के कागजात के अभाव में बैंक से ऋण व सरकारी योजनाओं का जितना लाभ मिलना चाहिए, वह मिल नहीं पाता है. बिहार सरकार ने अब गैररैयत किसानों से धान खरीदना व उन्हें भी डीजल अनुदान, फसल सहायता योजना का लाभ आदि देना शुरू किया है.

Advertisement

उन्होंने आगे कहा कि, बिहार व देश के लोग स्वामी जी के महत्व को उस समय नहीं समझ पाए, मगर एक विदेशी शोधकर्ता ने जब उसे दर्शाया तब लोगों का ध्यान गया. स्वामी जी के विचारों पर एक बार फिर अध्ययन व शोध करने की जरूरत है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement