देश के विभिन्न हिस्सों से प्रवासी मजदूरों का श्रमिक एक्सप्रेस से बिहार वापस लौटना जारी है. पिछले 12 दिन में 169 विशेष ट्रेनों से तकरीबन 2 लाख 20 हजार प्रवासी मजदूर बिहार लौट चुके हैं. इसके अलावा अगले 10 दिन में तकरीबन 2 लाख 50 हजार प्रवासी मजदूर विशेष ट्रेन के जरिए बिहार लौटने वाले हैं.
वहीं, बिहार में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. सूबे में अब तक कोरोना मरीजों की संख्या 1005 हो चुकी है. शुक्रवार सुबह 10 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक सूबे में अब तक जितने कोरोना वायरस के मामले सामने आए हैं, उनमें से करीब 42 फीसदी यानी 416 प्रवासी मजदूर हैं. कुल 416 संक्रमित प्रवासी मजदूरों में से 358 वैसे हैं, जो श्रमिक एक्सप्रेस से 2 मई के बाद बिहार लौटे हैं.
बिहार सरकार के प्रोटोकॉल के मुताबिक स्पेशल ट्रेन के जरिए प्रदेश लौटने वाले सभी प्रवासी मजदूरों को उनके प्रखंड के क्वारनटीन सेंटरों में 21 दिन के लिए रखा जा रहा है. बिहार सरकार ने ट्रेन के जरिए 4 से 13 मई के बीच लौटे 4275 प्रवासी मजदूरों की कोरोना जांच करवाई, जिनमें से 320 प्रवासी मजदूर कोरोना संक्रमित पाए गए.
यहां सवाल यह भी है कि जो प्रवासी मजदूर पैदल, साइकिल या फिर किसी अन्य वाहन से बिहार लौट रहे हैं, उनकी कोरोना जांच क्यों नहीं कराई जा रही है? ऐसे प्रवासी मजदूर के बारे में राज्य सरकार के पास कोई डाटा भी उपलब्ध नहीं है. ऐसे में इन प्रवासी मजदूरों के अपने गांव पहुंचने और जांच नहीं होने से वहां संक्रमण का खतरा कई गुना ज्यादा बढ़ सकता है.
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अगले 10 दिन में 2 लाख 50 हजार से भी ज्यादा प्रवासी मजदूर बिहार लौटने वाले हैं. ऐसे में राज्य सरकार के लिए समस्या और ज्यादा गंभीर होने वाली है. अब राज्य सरकार के पास इन सभी प्रवासी मजदूरों को क्वारनटीन सेंटरों में रखने और इनकी कोरोना जांच कराने की चुनौती है.
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आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि बड़ी तादाद में ऐसे प्रवासी मजदूर भी हैं, जो पैदल या किसी अन्य साधन से बिहार लौट रहे हैं. सरकार इन प्रवासी मजदूरों पर किसी भी प्रकार की निगरानी नहीं रख पा रही है और ये प्रवासी मजदूर सीधे अपने घर चले जा रहे हैं. अगर राज्य सरकार इन लोगों को क्वारनटीन सेंटरों में नहीं रखेगी, तो बिहार में कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसफर का बहुत खतरा है.
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रोहित कुमार सिंह