कांग्रेस ने तारिक अनवर का MLC टिकट काटकर समीर सिंह को बनाया प्रत्याशी

बिहार विधान परिषद चुनाव के लिए कांग्रेस ने ऐन वक्त पर दिग्गज नेता तारिक अनवर का टिकट काटकर राज्य पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष समीर सिंह को एमएलसी उम्मीदवार बनाया है. बिहार की 9 विधान परिषद सीटों के लिए 6 जुलाई को चुनाव है.

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी और समीर सिंह कांग्रेस नेता राहुल गांधी और समीर सिंह

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2020,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST

बिहार विधान परिषद चुनाव के लिए कांग्रेस ने ऐन वक्त पर तारिक अनवर का टिकट काटकर राज्य पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष समीर सिंह को एमएलसी उम्मीदवार बनाया है. हालांकि, बुधवार की शाम को कांग्रेस पार्टी ने तारिक अनवर को उच्च सदन भेजने का फैसला किया था, लेकिन उनका पता बिहार के बजाय दिल्ली होने की तकनीकी परेशानी की वजह से नामांकन करने से रोक दिया गया और अब समीर सिंह को पार्टी ने कैंडिडेट बनाया है.

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समीर कुमार सिंह छात्र जीवन से ही कांग्रेस संगठन से जुड़ गए थे. उनके दादा बनारसी प्रसाद सिंह जी मुंगेर से तीन बार लगातार सांसद रहे और पंडित जवाहर लाल नेहरू के काफी नजदीकी लोगों में से थे. समीर सिंह के पिता राजेंद्र प्रसाद सिंह बिहार के कैबिनेट मंत्री रहे. वे बहुत विद्वान और ईमानदार थे. समीर कुमार सिंह देश और पार्टी की सेवा में पूरी निष्ठा के साथ जुड़े हुए हैं.

राष्ट्रीय छात्र संगठन, यूथ कांग्रेस और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी के रूप में समीर सिंह का उल्लेखनीय योगदान रहा है. 2008 और 2018 में समीर सिंह को बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है.

जेडीयू के कैंडिडेट

जेडीयू और बीजेपी विधान परिषद के जरिए आगामी विधानसभा चुनाव पर दांव खेल रहे हैं. जेडीयू ने 6 जुलाई को होने वाले एमएलसी चुनाव के लिए तीन प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है, जिसमें जेडीयू ने गुलाम गौस, कुमुद वर्मा और भीष्म साहनी को उम्मीदवार बनाया है. पार्टी ने इस बार एक मुस्लिम, एक महिला और एक अत्यंत पिछड़ा समाज का उम्मीदवार उतारा है. भीष्म साहनी मल्लाह समुदाय से आते हैं और मोतिहारी इलाके से हैं. इस तरह से जातीय के साथ-साथ क्षेत्रीय समीकरण को साधने की कवायद भी की गई है.

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बीजेपी ने उतारा प्रत्याशी

बीजेपी ने भी विधान परिषद के जरिए जातीय समीकरण को सेट करने की कोशिश की है. बीजेपी ने एमएलसी के लिए कायस्थ समुदाय से डॉ. संजय मयूख और ओबीसी समुदाय से आने वाले कुशवाहा जाति के सम्राट चौधरी को प्रत्याशी बनाया है. बिहार में कायस्थों की आबादी भले ही दो प्रतिशत से भी कम है, मगर इस जाति का राजनीतिक रसूख कहीं ज्यादा है और बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा की काट के लिए सम्राट चौधरी पर भरोसा जताया गया है.

आरजेडी ने खेला मुस्लिम दांव

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी एमएलसी चुनाव के जरिए अपने कोर वोट बैंक पर ही दांव खेला है. लालू यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को विधान परिषद भेजने की चर्चाओं पर विराम लगाते हुए जातिगत समीकरण के लिहाज से अपने उम्मीदवार तय किए हैं. इसी के तहत राजपूत समाज से सुनील सिंह और मुस्लिम समुदाय से फारुख शेख जबकि अतिपिछड़ा समुदाय से आने वाले रामबली सिंह चंद्रवंशी को प्रत्याशी बनाया है. इस तरह से देखना है कि सेमीफाइल के जरिए बिछाए जा रहे जातीय समीकरण के बाद फाइनल कौन फतह करता है?

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