बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने जब से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की है, बिहार के सभी जिलों में पंचायत चुनाव को लेकर गहमागहमी तेज ही गई है. कोरोना संक्रमण को लेकर पंचायत चुनाव में हुई देरी के बाद अब बाद जिला प्रशासन और राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष कराने को लेकर न केवल जोग-शोर से तैयारियां कर रहे हैं.
पंचायती राज विभाग की ओर से नए सिरे से पंचायती राज के होने वाले निर्वाचित प्रतिनिधियों का दायित्व भी तय किया जा रहा है. पंचायती राज में निर्वाचित मुखिया को विकास योजनाओं के लिए मिलने वाली पंजी की निगरानी के साथ-साथ ग्राम सभा और पंचायत की बैठक बुलाने का अधिकार दिया गया है.
वहीं सरपंच को अन्य कार्यों के अलावा गांवों की सड़कों की देखभाल, सिंचाई की व्यवस्था और पशुपालन के व्यवसाय को बढ़ाने पर भी जोर देने की जिम्मेदारी दी गई है. नए पंचायती राज व्यवस्था में वर्तमान सरकार ने सरपंच को और अधिक जिम्मेदारी दे ही है.
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क्या होंगी सरपंच की जिम्मेदारियां?
नई मिलने से सरंपच पद के लिए होने वाले चुनाव की अहमियत बढ़ गई है. नए नियम के मुताबिक सरपंच को गांव की सड़कों की देखभाल, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, सिंचाई की व्यवस्था करने के अलावा दाह संस्कार और कब्रिस्तान का रख-रखाव करवाना भी होगा.
बैठक की अध्यक्षता का अधिकार
ऐसे में माना जा रहा है कि नए जिम्मेदारियों और अधिकारों की वजह से पंचायत के अधिकार बढ़ गए हैं. ऐसे इनके पास पहले से ग्राम पंचायत की बैठक बुलाने और उस बैठक की अध्यक्षता करने का अधिकार मिला हुआ है.
हर साल करनी होगा मुखिया को चार बैठकें
पंचायती राज विभाग के नए नियम के अनुसार मुखिया को अपने कार्य क्षेत्र में एक वर्ष में कम से कम चार बैठकें करनी होगी. बैठक के अलावा इनके पास ग्राम पंचायतों के विकास की कार्य योजना बनाने के साथ-साथ प्रस्तावों को लागू करने की भी जवाबदेही होगी.
पंचायत समिति के जिम्मे होगा ये काम
पंचायत समिति को जो कार्य सौंपे गए हैं उसके मुताबिक इन्हें केंद्र, राज्य और जिला परिषद द्वारा सौंपे कार्यों का निष्पादन करना भी है. इसके साथ ही पंचायत समिति का काम वार्षिक बजट बनाना और बजट पेश करना भी होगा.
सुजीत झा