बिहार: वो तीन गलतियां जो मुकेश सहनी को पड़ गईं भारी, टूट गई 3 साल पुरानी VIP पार्टी

मुकेश सहनी के लिए मुश्किल और ज्यादा इसलिए भी बढ़ गई क्योंकि उनके पार्टी के तीनों विधायक राजू सिंह, स्वर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव बीजेपी में शामिल हो गए. ये तीनों नेता बीजेपी बैकग्राउंड के थे और 2020 विधानसभा चुनाव में सभी ने वीआईपी के सिंबल पर चुनाव लड़ा था और जीते थे.

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वीआईपी पार्टी चीफ मुकेश सहनी (फाइल फोटो) वीआईपी पार्टी चीफ मुकेश सहनी (फाइल फोटो)

रोहित कुमार सिंह

  • पटना,
  • 24 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 11:15 AM IST
  • मुकेश सहनी की पार्टी के तीनों विधायक बीजेपी में शामिल
  • सहनी ने पहले यूपी में फिर बिहार में बीजेपी के खिलाफ उतारे थे प्रत्याशी

2020 बिहार विधानसभ चुनाव से ठीक पहले विकासशील इंसान पार्टी सुप्रीमो मुकेश सहनी ने सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर महागठबंधन छोड़ दिया था. इसी के साथ मुकेश सहनी ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर पीठ में खंजर घोंपने का आरोप लगाया था. 

महागठबंधन से बाहर आने के बाद सहनी को बीजेपी का सहारा मिला और बीजेपी ने सीट बंटवारे के तहत वीआईपी को 11 सीटें विधानसभा चुनाव में दीं और एक एमएलसी की सीट भी दी. इनमें से वीआईपी के 3 विधायकों की जीत हुई और मुकेश सहनी खुद एमएलसी बनकर नीतीश कुमार सरकार मंत्री बन गए. लेकिन ऐसा लगता है कि मुकेश सहनी का अत्यधिक महत्वकांक्षी होना उन्हें ही महंगा पड़ गया.

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सहनी की पहली गलती- बीजेपी के खिलाफ यूपी में चुनाव लड़ा

मुकेश सहनी जिन्होंने महज 3 साल पहले विकासशील इंसान पार्टी की स्थापना की थी. उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ ही 53 सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए. यही नहीं चुनाव के दौरान मुकेश सहनी ने अखबारों में बीजेपी के खिलाफ फुल पेज का विज्ञापन भी दिया, जहां पर उन्होंने मतदाताओं से बीजेपी को वोट नहीं करने की अपील की थी. यूपी चुनाव के नतीजे आए तो वीआईपी एक भी सीट नहीं जीत पाई और कई सीटों पर उनके उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो हुई.

मुकेश सहनी से नाराज बीजेपी ने इसके बाद ही 'ऑपरेशन मुकेश सहनी' की शुरुआत कर दी और माना जा रहा था कुछ ही दिनों में उन्हें एनडीए से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है, और हुआ भी ऐसा ही. बुधवार को सहनी को बड़ा झटका तब लगा, जब उनके तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. यूपी चुनाव के बाद से ही बिहार बीजेपी के आला नेता मुकेश सहनी को मंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग कर रहे थे क्योंकि उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया था और बीजेपी के खिलाफ यूपी में चुनाव लड़ा था.

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दूसरी गलती- बिहार में एमएलसी चुनाव में उतारे उम्मीदवार

यूपी चुनाव में की गई गलती के बाद भी मुकेश सहनी ने सबक नहीं लिया. उन्होंने बिहार में 24 सीटों पर होने वाले एमएलसी चुनाव में बीजेपी के खिलाफ सात सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए. बीजेपी सहनी की इस हरकत से काफी नाराज हुई.

तीसरी गलती- बोंचहा उपचुनाव ताबूत में आखिरी कील

12 अप्रैल को बोंचहा में उपचुनाव होना है. इस सीट को लेकर बीजेपी और वीआईपी में जबरदस्त तकरार देखने को मिला है. इस सीट पर 2020 विधानसभा चुनाव में वीआईपी उम्मीदवार मुसाफिर पासवान ने जीत दर्ज की थी मगर पिछले दिनों उनकी मौत के बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है. इस सीट पर जब मुकेश सहनी ने उम्मीदवार खड़ा करने का ऐलान किया तो बीजेपी के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने इस सीट पर अपनी उम्मीदवार बेबी कुमारी के नाम का ऐलान कर दिया. 

बीजेपी के खिलाफ लगातार उम्मीदवार खड़े करने के बाद यह लगभग तय हो गया था कि अब मुकेश सहनी ज्यादा दिन तक एनडीए गठबंधन में नहीं रह पाएंगे. मुकेश सहनी के लिए मुश्किल और ज्यादा इसलिए भी बढ़ गई क्योंकि उनके पार्टी के तीनों विधायक राजू सिंह, स्वर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव बीजेपी में शामिल हो गए. ये तीनों नेता बीजेपी बैकग्राउंड के थे और 2020 विधानसभा चुनाव में सभी ने वीआईपी के सिंबल पर चुनाव लड़ा था और जीते थे.

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वीआईपी उम्मीदवार के पर्चा भरने के बाद बीजेपी ने किया गेम ओवर

बुधवार को जैसे ही वीआईपी उम्मीदवार गीता कुमारी ने बोंचहा विधानसभा उपचुनाव के लिए अपना पर्चा दाखिल किया, बीजेपी ने मुकेश सहनी का गेम ओवर कर दिया. वीआईपी के तीनों विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. यानी तीनों की घर वापसी हो गई. 

 

 

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