शिक्षकों को पढ़ाने की तरकीबें बदलनीं पड़ीं पर वे छात्रों

सबसे पहले, संकाय ने कोविड-19 के कारण पैदा हुए व्यवधानों के बावजूद विभिन्न संसाधनों का उपयोग करते हुए सीखने की अपनी प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई.

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प्रो. जॉय सैमुअल धनराज प्रो. जॉय सैमुअल धनराज

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2021,
  • अपडेटेड 2:34 PM IST

लोयला कॉलेज, चेन्नै, 

गुरु वाणी
‘‘शिक्षकों को पढ़ाने की तरकीबें बदलनीं पड़ीं पर वे छात्रों के लिए भावनात्मक रूप से हमेशा उपलब्ध थे’’


प्रो. जॉय सैमुअल धनराज
विभागाध्यक्ष, एमबीए, लोयोला कॉलेज, चेन्नै

हम शिक्षण और प्रशिक्षण की प्रक्रियाओं में सुधार के लिए रणनीति विकसित करने में लगातार जुटे हैं. फैकल्टी को कई पहलुओं पर विचार करना पड़ा, जिसमें टेक्नॉलोजी तक उनकी अपनी खुद की पहुंच और छात्रों की टेक्नॉलोजी प्लेटफॉर्म तक पहुंच को समझने जैसी बातें शामिल है.

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पूरी प्रक्रिया के दौरान छात्रों के लिए भावनात्मक रूप से उपलब्ध रहते हुए उन्होंने पढ़ाने की अपनी तरकीबों को जरूरत के हिसाब से ढाला. छात्रों के ऑनलाइन मूल्यांकन के आयोजन में विभाग ने उच्च स्तर की अखंडता बनाए रखी. यह आसान न था, संकाय को विभिन्न तकनीकों के साथ खुद को ढालते हुए यह सीखना-समझना था कि वे अपने विद्यार्थियों के लिए क्या पेशकश कर सकते हैं जिससे विभिन्न विषयों को समझने में कोई परेशानी न आए.

साथ ही उन्हें अपने विद्यार्थियों की सामाजिक-मनोवैज्ञानिक स्थिति को समझते हुए उसके अनुरूप भी व्यवहार करना था. सबसे पहले, संकाय ने कोविड-19 के कारण पैदा हुए व्यवधानों के बावजूद विभिन्न संसाधनों का उपयोग करते हुए सीखने की अपनी प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई.

दूसरे, ऑनलाइन शिक्षण के नए तरीकों के साथ ढलने और तकनीकी जानकारी विकसित करने के दौरान संकाय ने अपने सहयोगियों की मदद और परामर्श पर भरोसा किया. ऑनलाइन शिक्षण कौशल विकसित करने के लिए सहयोगियों का समर्थन जरूरी था क्योंकि वे भी उसी तरह की परिस्थितियों का सामना कर रहे थे. संकाय आदर्श माहौल में सफल रहे और इसका लाभ पूरे संस्थान को मिला.’’

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(आर. गिरीश्वरन से बातचीत के आधार पर).

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