71 वर्ष गणतंत्र के/ इन्फ्रास्ट्रक्चर/उड्डयन
चार एयरलाइनों ने पुणे से 13 शहरों तक कोविड-19 वैक्सीन की 56.5 लाख डोज पहुंचाने के लिए नौ उड़ानें भरीं क्योंकि देश एक अरब से अधिक की आबादी का टीकाकरण के लिए तैयार है. देश के विमानन क्षेत्र की यह उपलब्धि सराहनीय है, जो हाल में सबसे बुरे दौर से उबर रहा है.
1997 में 1.9 करोड़ यात्रियों से वित्त वर्ष 2019 में 34.5 करोड़ यात्रियों को आवाजाही सुविधा उपलब्ध कराने वाले देश के विमानन क्षेत्र ने लंबा सफर तय किया है, जिसे 1991 में ही नियंत्रण मुक्त कर दिया गया था. यही नहीं, हम 2024 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बनने के लिए ब्रिटेन को पछाडऩे के लिए तैयार हैं.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के विजन डॉक्यूमेंट के अनुसार, 2040 तक हवाई यात्री छह गुना बढ़ जाएंगे. हवाई अड्डों की संख्या 101 से दोगुना होकर 200 के आसपास हो सकती है. शीर्ष 31 शहरों में दो हवाई अड्डे हो सकते हैं, और दिल्ली और मुंबई तीन-तीन होंगे.
विजन डॉक्यूमेंट में कम यात्रियों वाले रूटों पर मदद के लिए 2 अरब डॉलर (करीब 14,600 करोड़ रुपए) के शुरुआती कोष के साथ एनएबीएच निर्माण निधि के गठन की सिफारिश है. क्षमता विकास के लिए हवाई अड्डों को अंतरराष्ट्रीय हब, क्षेत्रीय हब और अन्य किफायती हवाई अड्डों के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा. निष्क्रिय हवाई अड्डों के मद्देनजर ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की अनुमति सिर्फ वहीं होगी, जहां मौजूदा एयरपोर्ट पर अनुमानित मांग पूरी न हो पा रही हो.
सरकार ने 2017 में देश में दूरदराज के स्थानों को रियायती किराये पर हवाई मार्ग से जोडऩे के उद्देश्य से उड़ान यानी उड़े देश का आम नागरिक नामक क्षेत्रीय संपर्क योजना की घोषणा की. मंत्रालय के अनुसार, उड़ान योजना के तहत 766 मार्गों को मंजूरी दी गई है.
भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण प्रक्रियाओं और नियमों को सरल बनाने और उड़ान में देरी कम करने के लिए कार्गो हैंडलिंग के मानक स्थापित करने की प्रक्रिया में है. कुल माल ढुलाई 2018-19 से 2022-23 तक 8.2 प्रतिशत की दर से बढऩे की उम्मीद है. देश के वाणिज्यिक विमानों के बेड़े में 2040 तक 650 से 2,359 विमान होने की संभावना है.
विमानन उद्योग का भविष्य ज्यादा ऑटोमेशन (स्वचालन), हवाई अड्डों के नए डिजाइन और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से ही तय होगा. अधिक विमानों और हवाई अड्डों को जोडऩे के अलावा, अल्पकालिक उद्देश्य से आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को आगमन के 45 मिनट के भीतर और प्रस्थान करने वाले यात्रियों को 60 मिनट में मंजूरी देना है. घरेलू उड़ानों के मामले में यह समय 30 से 45 मिनट रखा गया है.
हालांकि इस क्षेत्र के भारी विस्तार और बेहिसाब वृद्धि ने पर्यावरण संबंधी चिंताओं को भी बढ़ाया है. भारत ने 2020 से कार्बन मुक्त विकास की दिशा में बढऩे के लिए 2016 में अंतरराष्ट्रीय विमानन के लिए कॉर्सिया या कार्बन ऑफसेट और न्यूनीकरण योजना पर हस्ताक्षर किए हैं. ऐसे में घरेलू विमानन क्षेत्र को भी एक संभावित कार्बन टैक्स के लिए तैयार रहना पड़ सकता है. यानी विकास के साथ पर्यावरण का ख्याल रखा जाए.
75वें वर्ष का एजेंडा
हवाई अड्डों की क्षमता का विकास करें, ज्यादा से ज्यादा ऑटोमेशन करें
महानगरों में और हवाई अड्डे बनाएं, दिल्ली और मुंबई में तीन तक की इजाजत द
कार्बन-न्यूट्रल विकास का लक्ष्य बनाएं
श्वेता पुंज