आर्थिक वृद्धि के इंजन

गुजरात और गोवा अपने बराबर वाले दूसरे राज्यों से आगे निकले, तो हरियाणा और मणिपुर ने भी पकड़ी तेज रफ्तार.

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सक्षम अगुआ: गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सक्षम अगुआ: गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल

अनिलेश एस. महाजन / कौशिक डेका

  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 6:34 PM IST

राज्यों की दशा-दिशा

कैटेगरी विजेता : अर्थव्यवस्था

कृषि, फार्मास्युटिकल तथा तेल और गैस गुजरात को वृद्धि के शिखर पर बनाए रखते हैं और उसे बड़े राज्यों की श्रेणी में अर्थव्यवस्था के लिहाज से सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य बनाते हैं. उधर, पर्यटन और खनन क्षेत्रों में नई जान आने से उत्साहित गोवा छोटे राज्यों की श्रेणी में सबसे आगे है. गुजरात पिछले साल के नंबर 2 पायदान से शीर्ष पर आ गया, तो गोवा पिछले साल के तीसरे पायदान से इस साल नंबर 1 बन गया.

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सबसे ज्यादा सुधार करने वाले बड़े राज्यों में हरियाणा नंबर 9 से छलांग लगाकर नंबर 1 पर आ गया. सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात में अग्रणी होने के अलावा हरियाणा के मानेसर और फरीदाबाद में फैक्ट्रियां हैं जिनके पास देश की करीब 60 फीसद ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता है. छोटे राज्यों की श्रेणी में मणिपुर खास तौर पर अंतरराष्ट्रीय सैलानियों के आगमन में हुई बढ़ोतरी के बल पर पिछले साल के नंबर 3 पायदान से शीर्ष पर आ गया.

सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन वाला बड़ा 
राज्य: गुजरात

गुजरात की प्रति व्यक्ति आय 2.15 लाख रुपए है, जो उसके बराबर के आकार वाले बड़े राज्यों में सबसे ज्यादा है और 1.27 लाख रुपए के राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा है. कृषि पिछले कई दशकों से राज्य की अर्थव्यवस्था का इंजन रही है और आज भी है. दूसरा चालक फार्मास्युटिकल उद्योग है और खासा बड़ा योगदान देने वाला तीसरा क्षेत्र तेल और गैस का है.

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2020-21 में गुजरात का शुद्ध सकल घरेलू उत्पाद 10.99 लाख करोड़ रुपए था जो 1995 में 52,013 करोड़ रुपए के मुकाबले बड़ी छलांग था. यह देश के सबसे शहरीकृत राज्यों में से एक है, जिसकी 44.5 फीसद आबादी शहरी इलाकों में रहती है. गुजरात में प्रति एक लाख आबादी पर 13 बैंकों का अच्छा अनुपात है और प्रति एक लाख आबादी पर 9.34 फीसद व्यावसायिक बैंक हैं. राज्य ने 2020-21 के दौरान 22,336 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश या एफडीआइ आमंत्रित किया, जो देश में आए कुल एफडीआइ का 5.02 फीसद है.

सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन वाला छोटा 
राज्य: गोवा

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च 2019 में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने अपने मेंटर और दिवंगत मनोहर पर्रीकर से विरासत में भाजपा की सरकार हासिल की थी. तब गोवा की अर्थव्यवस्था सुस्ती से जूझ रही थी और राज्य राजनैतिक अस्थिरता का खतरा झेल रहा था. 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने खनन के 88 लाइसेंस रद्द करते हुए राज्य से कहा कि वह मौजूदा लाइसेंस का नवीनीकरण करने के बजाय नए लाइसेंस जारी करे, और साथ ही खनन कराने वालों से 35,000 करोड़ रुपए की वसूली का निर्देश दिया.

पर्यटन क्षेत्र भी सुस्ती का शिकार था. खदानें राज्य के जीडीपी में 20 फीसद का योगदान देती थीं, तो पर्यटन 17 फीसद जुटाता था. गोवा जैसे छोटे राज्य में इसका असर आधी से ज्यादा आबादी की रोजी-रोटी पर पड़ता है. सावंत ने चीजों को पटरी पर लाने के लिए कुछ तेज कदम उठाए. 2022-23 में मौजूदा कीमतों पर राज्य का जीएसडीपी 91,400 करोड़ रुपए है. यह राज्य में खुशहाली लाता है, जहां प्रति व्यन्न्ति आय देश में सबसे ज्यादा करीब 4.7 लाख रुपए है और करीब 90.1 फीसद लोग गरीबी की रेखा से ऊपर जीवनयापन करते हैं.

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सर्वाधिक सुधार वाला बड़ा राज्य: हरियाणा
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 2019 में जब बमुश्किल दूसरा जनादेश हासिल किया, उन्होंने अपने लिए एक लक्ष्य तय किया—गरीबी को पूरी तरह खत्म करना. खट्टर कहते हैं कि गरीबी पर दोतरफा वार किया गया—एक तो लोगों की आमदनी बढ़ाने में मदद की गई और दूसरे, तीन आयामों यानी स्वास्थ्य, शिक्षा और रहन-सहन के स्तर को लक्ष्य बनाया गया.

नीति आयोग 1.2  लाख रुपए या उससे कम की सालाना आमदनी वाले परिवारों को गरीब मानता है जबकि हरियाणा में गरीबी की सीमारेखा 1.8 लाख रुपए है. राष्ट्रीय थिंक टैंक ने 2011-12 में एकत्र आंकड़ों का अध्ययन करते हुए हरियाणा में गरीबी को 29.3 फीसद पर रखा.

मगर मुख्यमंत्री कहते हैं कि पिछले दशक के दौरान वे स्थिति से वैज्ञानिक ढंग से निबटे, ''अगले दो साल में हरियाणा में इससे कम आमदनी वाला ऐसा कोई परिवार नहीं होगा.’’ हरियाणा, जहां तकरीबन 300 एमएनसी के दफ्तर या मुख्यालय हैं, 1.1 लाख करोड़ रुपए की राजस्व प्राप्तियों की उम्मीद कर रहा है, जो 2021-22 के संशोधित अनुमान 93,488 करोड़ रुपए से 15 फीसद ज्यादा है. इसी अवधि के दौरान राज्य को 1.4 लाख करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है. 

सर्वाधिक सुधार वाला छोटा राज्य: मणिपुर
मणिपुर में बीते पांच साल में आर्थिक गतिविधियों में अच्छी बढ़ोतरी दिखी. 2015-16 और 2022-23 के बीच राज्य का जीएसडीपी 11.67 फीसद की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा. पहले के मुकाबले बीते पांच साल में आई शांति के भी जबरदस्त फायदे हुए—अंतरराष्ट्रीय सैलानियों के आगमन में 2016 के बाद 200 फीसद से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई, जिससे स्थानीय राजस्व और अव्वल ब्रांड के साथ रोजगार के अवसर बढ़े.

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चूंकि मणिपुर प्राथमिक तौर पर उपभोक्ता राज्य है, इसलिए जीएसटी के जरिए यह बेहतर कर राजस्व कमा रहा है जो कुल संग्रहीत करों का करीब 70 फीसद है. इससे उत्साहित होकर राज्य सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में पूंजीगत खर्चों में 35 फीसद की बढ़ोतरी की. मगर राज्य के पास गैर-कर राजस्व का अपना तकरीबन कोई स्रोत नहीं है और ऐसे में राजकोषीय घाटा बड़ी चिंता का विषय है, जिसके जीएसडीपी का 6.5 फीसद होने का अनुमान है.

सरकार वैसे तो बाहरी निवेशों और उद्योगों का हमेशा स्वागत करती है लेकिन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की सरकार ने राज्य के भीतर ही आर्थिक पुनरुत्थान का रास्ता खोजने की कोशिश की. वे कहते हैं, ''हर घर में किचन गार्डन, तालाब और छोटा-सा मुर्गीपालन या सूअरपालन फार्म है. लोग पहले इन स्रोतों के दम पर आत्मनिर्भर थे. हमारा उद्देश्य उन्हें न केवल दोबारा आत्मनिर्भर बनाना बल्कि दूसरे राज्यों के लिए उत्पादक बनाना भी है.’’ सरकार की दूरदृष्टि रंग ला रही है.
—जुमाना शाह

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